शनिवार, 19 मार्च 2011

सरकारी वेब साइटों का बुरा हाल

बड़े धूम धाम से सरकारी वेब साइटों का उदघाटन होता है । उसके बाद उन्हे देखने वाला कोई नहीं होता । न आपको कोई जवाब ईमेल से मिलता है । जागो जागो का नारा लगाने वाली सरकार खुद सोते रहती है ।
एक उदाहरण देखिये : रायपुर नगर निगम के वेब साइट में मुख्यमंत्री और महापौर का नाम गलत दिया है यहाँ तक की महापौर शब्द भी गलत लिखा है।


8 टिप्‍पणियां:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

उन्हें ठीक करने का उत्साह सरकारों में बना रहे।

राज भाटिय़ा ने कहा…

आप को सपरिवार होली की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!

bilaspur property market ने कहा…

पिचकारी की धार,
गुलाल की बौछार,
अपनों का प्यार,
यही है यारों होली का त्यौहार.
होली की ढेरों बधाई व शुभकामनायें ...जीवन में आपके सारे रंग चहकते ,महकते ,इठलाते ,बलखाते ,मुस्कुराते ,रिझाते व हसाते रहे

manish jaiswal
bilaspur
chhattisgarh

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद ने कहा…

ये तो खेल खतम पैसा हज़म मामला होता है। उसे अपडेट कौन करें ?

Rahul Singh ने कहा…

वेब साइटों का इस्‍तेमाल बढ़ने पर हर स्‍तर पर अधिक सजगता होगी.

abhi ने कहा…

ye to bahut se sites ki kahani hai..irctc bhi kuch alag nahi,

बेनामी ने कहा…

I think the government's contracts for website creation, designing and content management go to the rubbish contractors. They are most unsightly, most user unfriendly and need high-speed connections. So a no-go to begin with. And, in most cases of doing online transactions, they still require people to sign, stamp and post or bring documents for physical verfication. This is what happens when the babus are tasked for e-governance.

BrijmohanShrivastava ने कहा…

शव्द गलत तो नाम गलत