tag:blogger.com,1999:blog-4488757223568870804.post7510424955795330356..comments2023-08-27T21:21:01.045+05:30Comments on संस्कृति: इसे क्या कहेंगे भाग्य की अनबूझी पहेली या कर्म का फलडॉ महेश सिन्हाhttp://www.blogger.com/profile/18264755463280608959noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-4488757223568870804.post-34401946360577742832009-08-30T02:06:49.565+05:302009-08-30T02:06:49.565+05:30@ शरद जी क्या विज्ञानं हर चीज को समझ पाया है . मैं...@ शरद जी क्या विज्ञानं हर चीज को समझ पाया है . मैं एक चिकित्सक हूँ लेकिन मेरा मानना है हर बात को वैज्ञानिक सन्दर्भ में नहीं रखा जा सकता है . विज्ञानं दरअसल है क्या ? ब्रह्माण्ड में उपस्थित शक्तियों की खोज और ये अनवरत चलती रहती है क्योंकि जिस दिन विज्ञानं ने सब जान लिया विज्ञानं ख़त्म हो जायेगा . इन शक्तियों की खोज हमारे ऋषि मुनियों ने कब से कर रखी थी लेकिन इस ज्ञान को उनने दुरुपोग होने से बचाने के लिया आगे नहीं बढाया . भारतीय धर्म में कर्म और भाग्य दोनों को स्थान दिया गया है और पुनर्जन्म को भी, विज्ञानं इस भाषा के समझने में अभी सक्षम नहीं है . एक वस्तु को एक स्थान से दुसरे स्थान में परावर्तित करने को एक कपोल कल्पना माना जाता रहा है कि व्यक्ति एक स्थान से दूसरे स्थान अपनी शक्ति से जा सकता है. आज विज्ञानं ने एक सूक्ष्म प्रयोग से इसे सिद्ध करने में सफलता पाई हैडॉ महेश सिन्हाhttps://www.blogger.com/profile/18264755463280608959noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4488757223568870804.post-34382092272037215272009-08-29T19:12:35.306+05:302009-08-29T19:12:35.306+05:30यह भाग्य या कर्म दोनो का मामला नही है डॉ.साहब ऐसी ...यह भाग्य या कर्म दोनो का मामला नही है डॉ.साहब ऐसी घटनायें तो घटित होती रहती है । आप तो चिकित्सक है आपका कुछ तो वैज्ञानिक दृष्टिकोण होगा ?शरद कोकासhttps://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4488757223568870804.post-62643651303985251242009-08-29T16:14:05.651+05:302009-08-29T16:14:05.651+05:30Behad dukhad.
( Treasurer-S. T. )Behad dukhad.<br /><a href="http://sb.samwaad.com/" rel="nofollow">( Treasurer-S. </a><a href="http://ts.samwaad.com/" rel="nofollow">T. )</a>Arshia Alihttps://www.blogger.com/profile/14818017885986099482noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4488757223568870804.post-86736569060102283422009-08-28T23:08:29.086+05:302009-08-28T23:08:29.086+05:30@ राज जी दरअसल हिन्दू संस्कृति पुर्नजन्म को मानती ...@ राज जी दरअसल हिन्दू संस्कृति पुर्नजन्म को मानती है और हमें अपने पूर्व जन्म के बारे में पता नहीं होता है . कुछ विधियां हैं जिनसे इनका पता लगाया जा सकता है . बौध धर्मं में इस पर काफी काम हुआ है . एक महत्वपूर्ण पुस्तक है " Life after death "डॉ महेश सिन्हाhttps://www.blogger.com/profile/18264755463280608959noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4488757223568870804.post-53160581256986435972009-08-28T23:01:47.656+05:302009-08-28T23:01:47.656+05:30इसे तो कर्मो का फ़ल ही कहेगे... क्योकि हम जो दिखते ...इसे तो कर्मो का फ़ल ही कहेगे... क्योकि हम जो दिखते है वेसे नही होते, ओर जो होते है वो हम दिखते नही.... लेकिन भगवान तो सब देखता है.राज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4488757223568870804.post-39897321814053189382009-08-28T19:50:28.687+05:302009-08-28T19:50:28.687+05:30हम विचारों से कितना भी आधुनिक होने का दावा करें .....हम विचारों से कितना भी आधुनिक होने का दावा करें .. समाज के सुख दुख को देखते हुए भाग्य को मानना हमारी मजबूरी है !!संगीता पुरी https://www.blogger.com/profile/04508740964075984362noreply@blogger.com