मंगलवार, 16 जून 2009

ई मेल, मेल या फीमेल

आजकल इन्टरनेट, ई मेल, चैट, एस एम् एस काफी चर्चित और जाने माने शब्द हैं । इनमे से एक है ई मेल । लोग अपना एक ई मेल पता तो बनवा लेते हैं और बांटते भी रहते हैं लेकिन मुड़ के भी उधर नही झांकते । इस तरह के लोगों में बड़े बड़े नाम स्समिल हैं । आज हर सरकारी संस्थान के प्रमुखों के पास यह सुविधा है किंतु जवाब पाने की उम्मीद न रखिये क्योंकि या तो इसका उपयोग नही होता या ये बंद मिलेगी ।
हर सांसद और विधायक के पास कंप्यूटर इन्टरनेट और ई मेल है लेकिन उपयोग ?
यही अवस्था सरकार के अन्य तंत्रों की है । प्राइवेट संस्थान, समाचारपत्र , चिकित्सक व अन्य भी इस से परे नही हैं। ई मेल रखने के कुछ स्वयम नियंत्रित नियम हैं लेकिन यहाँ किसको पड़ी है नियम कानूनों की । ई मेल का जवाब एक समय से दिया जाना चाहिए । जवाब देते समय रोमन में छोटे फॉण्ट का उपयोग होना चाहिये, अन्य अन्य

6 टिप्‍पणियां:

राज भाटिय़ा ने कहा…

एक सुंदर बात कही आप ने.
धन्यवाद

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

सही लिखा है।

Anil Pusadkar ने कहा…

महेश भैया हम भी उनमे से एक हैं सारी थे।आपकी बात से अकल आ गई है।आगे से समय पर चेक कर लिया करेंगे और जवाब भी दे देंगे।

Udan Tashtari ने कहा…

सही कह रहे हैं, ऐसी ईमेल का क्या फायदा कि फोन करके बताना पड़े-आपको ईमेल भेजी है, जरा देख लिजियेगा. :)

SACCHAI ने कहा…

sahi baat hai

प्रवीण त्रिवेदी ने कहा…

एक सुंदर बात कही आप ने.
धन्यवाद