शुक्रवार, 29 अक्तूबर 2010

इस देश की कानून व्यवस्था(सरकार) क्या संगठित अपराधियों को महिमामंडित करके इस देश के सविधान की बलि चढ़ा रही है ?

केन्द्रीय सरकार ने देशद्रोहियों के खिलाफ मामला दर्ज करने का  विचार त्याग दिया है !! क्योंकि इससे माहौल खराब होने का अंदेशा है कश्मीर में ? आज जो हालत हैं उससे ज्यादा क्या हालत खराब होंगे वहाँ ।

जब भी किसी संगठित अपराधी गिरोह चाहे वो कश्मीरी अलगाववादी हों या नक्सलवादी , सरकार उनसे सम्झौता करती है तो क्या संदेश जाता है आम जनता में । कि अपराध करना हो तो बड़ा करो , छूट भी जाओगे और सम्मान भी मिलेगा । एक छोटा गरीब चोर जेल में दाल दिया जाता है । छोटा अपराधी और आम जनता पुलिस से घबराती है लेकिन अगर आपने अपना गिरोह बना लिया तो सरकार आपको माला पहनाती है ।
सविधान निर्माता डॉ अंबेडकर ने कहा था अगर यह सविधान फेल हो गया तो इसे जला देना चाहिए क्या वह समय आ गया है ।

पता नहीं कब इस देश को लोग जगेंगे इस देश में छुपे गद्दारों को पहचानेगे । एक नहीं अनेक अरुंधति हैं यहाँ ।

शुक्रवार, 15 अक्तूबर 2010

मेकाले ने 1835 में ब्रिटिश संसद में क्या कहा था


ईमेल से प्राप्त

 A “must read” email 

if you are proud to be an INDIAN.
Just see what British thought of India and how they managed to rule us.

Please don't forget to read 

the letter in the end
Just read what INDIA was as per LORD MACAULAY on his statement on 2nd February 1835, in the last snap. That would really shock us Old Photographs from Indian History. Please Read the last Article Carefully

 The daughter of an Indian maharajah seated on a panther she shot, sometime during 1920s. 

cid:1.1001336520@web57801.mail.re3.yahoo.com
A British man gets a pedicure from an Indian servant. 
cid:2.1001336520@web57801.mail.re3.yahoo.com


The Grand Trunk Road , built by Sher Shah Suri, was the main trade route from Calcutta to Kabul .

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A group of Dancing or notch girls began performing with their elaborate costumes and jewelry


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A rare view of the President's palace and the Parliament building in New Delhi . 

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Women gather at a party in Mumbai ( Bombay ) in 1910. 
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A group from Vaishnava, a sect founded by a Hindu mystic. His followers are called Gosvami-maharajahs 

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An aerial view of Jama Masjid mosque in Delhi , built between 1650 and 1658. 

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The Imperial Airways 'Hanno' Hadley Page passenger airplane carries the England to India air mail, stopping in Sharjah to refuel. 

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See what the India was at 1835....... 
Read this carefully



But now 
JAn Indian owns Britain's East India Company - Another circle got completed.


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The East India Company which ruled India for more than 200 years is now ruled by an Indian Sanjiv Mehta who took over the company for $150 lac.
He said” at an emotional level as an Indian, when you think with your heart as I do, I had this huge feeling of redemption - this indescribable feeling of owning a company that once owned us”
 

But media is not interested in such great news. They were busy in useless 
KALMADI & SHASHI THAROOR MARRIAGE .
Let us be the media…&..Fwd this mail to all Indians...

Sanjiv Mehta, CEO of The East India Company 



Just think………???????????????????????


Forward it to all Indian
 s . I really liked it, so forwarding it to you .........


  

मंगलवार, 12 अक्तूबर 2010

वर्धा ब्लॉगर मिलन से वापसी, बाल बाल बचे

दो दिवसीय सम्मेलन एक नया और अलग अनुभव रहा । इसमें न केवल ब्लॉग और ब्लोगरी पर चर्चा हुई बल्कि कई शख्सियतों से रूबरू होने का मौका मिला । कई चेहरे तो पहचाने गए कुछ को पहचानना पड़ा :) सबसे ज्यादा आश्चर्यचकित किया प्रवीण पांडे ने इतने युवा हैं इसका अंदाज कम ही लोगों को था ।
किन्तु परंतु, कई प्रश्न और विवाद हर बात के साथ खड़े किए जा सकते हैं , इस बार शायद यह कम रहा ।
कई लोग याद किए गए, सिद्धार्थ ने सौम्यता पूर्ण कहा कि सबको खुला निमंत्रण था ।  ललित शर्मा याद किए गए कि उनका एक सम्मेलन छत्तीसगढ़ में करवाने का वादा अब तक पूरा नहीं हुआ ।
समापन से पहले रवि रतलामी जी का दूरस्थ प्रसारण एक नयी बात हुई , मोबाइल और इंटरनेट का मिला जुला उपयोग ।
वापसी का रेल आरक्षण कनफर्म नहीं हो पाया था इसलिए मैंने और संजीत ने थोड़ा पहले स्टेशन जाने और वहाँ जगह ढूँढने का निश्चय किया । हम उस वक़्त की गाड़ियों को देख रहे थे । एक तों खचाखच भरी हुई थी इसलिए अगली का इंतेजार  किया । आश्चर्य हुआ जब मुंबई मेल के आने की घोषणा हुई क्योंकि यह उसका आधिकारिक समय नहीं था । चार महीने पहले हुए नक्सली हमले के बाद से अभी भी कोलकाता से मुंबई चलने वाली ट्रेने , एक बड़े क्षेत्र में रात में नहीं चलाइ जा रही हैं। खैर किसी तरह इसमें स्थान मिला ।
नागपुर स्टेशन से निकलते समय आवाज हुई और ऐसा लगा कि बोगी एक तरफ झुकी हुई है और बड़ी ज़ोर से हिल रही है । अटटेंडेंट से पूछने पर उसने कहा कि प्लैटफ़ार्म में पातों का ठीक से रखरखाव नहीं होने से ऐसा होता है । ट्रेन की गति ज्यादा नहीं थी ।
सुबह के अखबार में खबर थी कि उसके बाद उसी प्लैटफ़ार्म से निकलने वाली अहमदाबाद एक्सप्रेस के कुछ डब्बे पटरी से उतर गए । भाग्य से किसी को कोई चोट नहीं आई ।
 


आलोक धनवा जी हिन्दी विश्वविद्यालय के विशिष्ठ आमंत्रित हैं उनकी कवितायें और विचार सुनने मिले ।
कुछ विचार आप भी सुनिए. सौजन्य : संजीत त्रिपाठी



अनीता कुमार जी चित्र लेने में व्यस्त 

सोमवार, 4 अक्तूबर 2010

क्या गूगल बज, एक ब्लॉग अग्रीगेटर की भूमिका निभा सकता है

Google Buzz

बहुत से ब्लॉगर इस मंच से जुड़ चुके हैं । अभी इस माध्यम में कार्य और विकास चल रहा है । यह हिन्दी और अन्य भारतीय भाषाओं में अपनी सेवा उपलब्ध करा रहा है । इसमे शामिल होने से आपके ब्लॉग समर्थक अपने आप इससे जुड़ जाते हैं । हिन्दी ब्लॉग संकलको से आए दिन परेशान होने वाले ब्लॉगर इस मंच का उपयोग अपने ब्लॉग को अन्य लोगों तक  पहुँचाने के लिए कर सकते हैं ।

कई बार तो इसमें बड़े ही मजेदार संवाद भी हुए हैं
एक झलक यहाँ देखिये 

ज्यादा जानकारी यहाँ उपलब्ध है
 http://www.google.com/buzz


क्या लगता है आपको

मंगलवार, 28 सितंबर 2010

कैसे अभिवावक हैं आप। सफलता के मायने क्या होते हैं

दैनिक भास्कर से साभार 


दैनिक भास्कर में एक लेख छपा प्रीतिश नंदी जी का । उसे मैंने अपनी बिटिया को भेजा । उसका जवाब पढ़िये  ।

Dear Papa

I think you are a very successful father. I am what I am because of
you.I am happy with the choices that I have made in life and you were
and still are supportive of everything. I have also learned that money
isn't everything, its people you care for, your family and your
friends who are important :)

Love

मंगलवार, 21 सितंबर 2010

इस देश में डाक्टर कम क्यों हैं ?

साठ साल से ज्यादा समय तक जनता को बेवकूफ बनाने के बाद शायद अब कुछ अक्ल सरकार को आ रही है लेकिन सोच वही पुरानी है । 
जब भी यह बात होती थी की गाँव में डाक्टर नहीं हैं तो मंत्री जी यही आश्वाशन ही देते रहे की हम जरूर भेजेंगे । इनसे किसी ने यह नहीं पूछा कहाँ से लाएँगे, जब शहरों में भी कमी है तो गाँव के लिए कहाँ से लाएँगे ? 
सबसे पहले तो अपने देश की जरूरत के अनुसार कोई राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति जैसी की पड़ोसियों ने बनाई(चीन, बंगला देश, पाकिस्तान, श्री लंका) वैसा किसी ने करने की नही सोची । अंग्रेजों के द्वारा छोडी हुई व्यवस्था में कुछ परिवर्तन करके, लोगों का इस शिक्षा और ज्ञान को प्राप्त के रास्ते में झूठे , आडम्बरपूर्ण मानक बनाकर रोड़े ही अटकाये  गये । 
इस देश में बिखरी हुई युवा शक्ति को अभी तक वंचित किया जा रहा है, अपना हक़ पाने के लिए । इतने बड़े ज्ञान के भंडार को वंचित किया जाता रहा इस शिक्षा को प्राप्त करने से । हर वर्ष लाखों विद्यार्थी डाक्टर बनने के लिए प्रवेश परीक्षाओं में भाग लेते हैं कुछ हजार सीटों के लिए !!
इस देश के अकूत युवा बुद्धि को वंचित रखा गया , उचित ज्ञान प्राप्त करने से । आज यह स्थिति आ खड़ी हुई है की कई विद्यालयों में जीव विज्ञान का विषय ही बंद कर दिया गया है उचित मात्रा में विद्यार्थी नहीं मिलने के कारण ।
क्यों हुआ ऐसा । पहला कारण तो यह रहा की दंभ ,की इस क्षेत्र में ज्यादा लोग न आयें और बाद में नेताओं के कॉलेज जो बहुत बड़े केंद्र बन गए पैसा उगाहने के । 
देखते हैं क्या रुकावटें खड़ी की गयी इस राह में । सबसे पहले तो आरएमपी/एलएमपी को बंद किया गया इसमें चिकित्सा शिक्षकों का बड़ा हाथ था । पहले कोई व्यक्ति कुछ वर्षों तक किसी चिकित्सक के साथ काम करके , उसकी अनुषंशा से चिकित्सक बन सकता था । इसके बंद होने और मेडिकल कॉलेज में सीट कम होने से अभाव की स्थिति पैदा हुई। जब भी कोई अभाव की स्थिति पैदा होती है या की जाती है तो मौकापरस्त लोग लग जाते हैं इसका अपने हक़ में फायदा उठाने में । सरकार ने नए संस्थान खोलने कम कर दिये लेकिन सत्ता में बैठे नेताओं ने अपनी दुकान खोल ली । दो प्रमुख आवश्यकताएँ  हैं किसी मेडिकल कॉलेज को खोलने के लिए  एक तो अधोसरचना जैसे जमीन , उपकरण इत्यादि जिसे कोई धनी व्यक्ति या संस्थान ही जुटा सकते हैं । यहाँ तक भी संभव है । असली रुकावट खड़ी होती है शिक्षकों के मापदंड से । सरकारें अपने मेडिकल कॉलेज में नए पद सृजन नहीं करती रही  क्योंकि अगर आंकड़े निकाले जाएँ  तो इस देश में स्वास्थ्य और शिक्षा को सबसे निम्न श्रेणी में रखा गया । इसका सबसे बड़ा उदाहरण है इन्हे  मध्यवर्ती सूची में रखना, याने धोबी का कुत्ता न घर का ना घाट  का (श्वान प्रजाति से क्षमा याचना के साथ)।  शिक्षकों के माप दंड पर भी एक नजर, त्रिस्तरीय, व्याख्याता, सहायक  प्राध्यापक , प्राध्यापक । व्याख्याता - किसी मान्यता प्राप्त संस्थान से उपयुक्त स्नातकोत्तर डिग्री प्राप्त (बहुत  सारे कॉलेज को  इसे प्राप्त करने में सालों 20-25 तक लग जाते हैं) सहायक  प्राध्यापक - व्याख्याता के रूप में 8 वर्ष तक कार्य,   प्राध्यापक - सहायक  प्राध्यापक के रूप  में 4-6 वर्ष का अनुभव । साथ ही इनमें कई और पुछल्ले जोड़े गए जैसे हर स्तर से आगे जाने के लिए तथाकथित शोधकार्य और उसका किसी आधिकारिक पत्रिका में प्रकाशन ?? ये पत्रिकाएँ पूरे देश के लोगों के लेख प्रकाशित करती हैं, उनके अपने नियम और रुकावटें होती हैं । 
ये सारे नियम कायदे केवल भ्र्श्टाचार को बढ़ावा देते रहे । सरकार ने एक और नया कदम उठाया सविदा नियुक्ति याने ठेके पे काम लेना और वो भी आधी या उससे भी कम मजदूरी देना , उच्चतम शिक्षा प्राप्त लोगों के शोषण का इससे बडा उदाहरण कहीं और नहीं मिल सकता । एक डाक्टर को एक विधायक या सांसद से कम तंख्वाह और सुविधा मिलती है । 
यहाँ एक और बेईमानी न जाने कबसे चली आ रही है । इंजीन्यरिंग कॉलेज में पहले 11वीं पास करने के बाद 5 वर्षों का कोर्स था , 12वीं कक्षा के आने से यह कोर्स 4 वर्ष का हो गया । मेडिकल में प्रवेश के लिए पहले 11+1(कॉलेज में ) और 5 1/2 साल का कोर्स था जो 12 वीं कक्षा आने के बाद भी 5 1/2 वर्षों का है । इसका मतलब यह है की एक प्रारम्भिक डाक्टर बनने में 17 1/2 वर्ष लगते हैं जबकि इंजीनियर बनने में 16 वर्ष । यह कम से कम एक साल का नुकसान है चिकित्सा शिक्षा में ।
सरकार के एक आदेश से कितना परिवर्तन होता है इसका एक उदाहरण - चिकित्स शिक्षा में पहले एक स्नातकोत्तर शिक्षक(व्याख्याता 5 वर्ष के अनुभव के बाद)  के पीछे एक विद्यार्थी को प्रवेश मिलता था अब इसे दुगुना करने से पूरे देश में सीटें दुगनी हो जाएंगी ।
मेडिकल कौंसिल ने कुछ नयी सलाह दी है सरकार को !! कहा जाता है की एमसीआई स्वतंत्र संस्था है लेकिन उसे भी सरकार से संस्तुति लेनी पड़ती है ?




Intention to produce more doctors, prevent poaching of experienced teachers

To overcome the shortage of medical practitioners, the Medical Council of India (MCI) has recommended enhancing the retirement age of government medical professionals to 70 years from the existing 65 years. It has also suggested relaxations in the land requirement for setting up new medical colleges. 

Announcing this at a press conference here on Saturday, S.K. Sarin, Chairman of the Board of Governors of the MCI, said enhancing the retirement age of government medical professionals would help in producing more MBBS doctors and prevent private medical colleges from poaching on experienced and talented teachers. 

In another important recommendation made to the Union Health and Family Ministry, the MCI has said that the land requirement for setting up a new medical college should be reduced to 10 acres instead of the present 20 acres in urban areas, but within a 5-km radius. In difficult areas like hilly areas, tribal areas and the North East region, the land can be taken up at two places within a 10-km radius for setting up a hospital and medical colleges so that students are able to visit the patients in the hospital. 

The government had earlier relaxed the land norms from 25 acres to 20 acres with permission to take land in two pieces in difficult areas and densely populated cities about a year ago due to non-availability of large chunks of land. Similarly, the retirement age of Central government doctorswas also increased to 65 years from 60 years. The Government medical colleges had also been allowed to increase the number of under-graduate seats but without compromising on the quality of education. 

The MCI too, has recommended reducing the student bed ratio from 1:8 to 1:5, meaning that a 1,500-bedded hospital could have 250 undergraduate students. 


यहाँ मैं एक बहुत अच्छी व्यवस्था थी, मुंबई में जिसे सरकारी प्रभाव ने नष्ट कर दिया । मुंबई के सारे बड़े निजी चिकित्सक जो न केवल देश बल्कि अंतराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त हैं अपनी निशुल्क सेवा सप्ताह में एक दिन सरकारी मेडिकल कॉलेज को उपलब्ध कराते थे । मरीजों की जांच करना, पढाना और ऑपरेशन तक भी निशुल्क करना । लेकिन हमारी व्यवस्था और अहंकार ने इसे समाप्त कर दिया !!


मैं ऊपर दिये विचार से एक बात पर  थोड़ा असहमत हूँ ।वह है सेवानिवृत्ति पर,  पहला किसी शिक्षक की पढाने की कोई उम्र नहीं होती । यह हर जगह उम्र की रुकावट हमारे देश में ही है । विदेशों में 60 साल के ऊपर का भी व्यक्ति कोई शिक्षा प्राप्त कर सकता है तो हम ये अवरोध क्यों खड़ा कर रहे हैं । इसका दूसरा पहलू यह भी है की जब तक कोई पद खाली नहीं होगा तो दूसरे को अवसर नहीं मिलेगा। एक उम्र जो भी सर्वमान्य हो निश्चित की जाए उसके बाद भी कोई काम करना चाहता है तो उसे एक सम्माननीय दरजा देते हुई उसकी सेवा शर्तें अलग बनाई जाएँ, न की पहले पड़ाव में  कदम रखते युवा को वंचित किया  जाए ।
और कई बातें हैं फिर कभी और ।
अपने विचार जरूर रखें क्योंकि यह एक बहुत महत्वपूर्ण विषय है इस देश के भविष्य के लिए 

मंगलवार, 14 सितंबर 2010

ये हिन्दी हिन्दी क्या है

आजकल चहु ओर हिन्दी हिन्दी के नाम से बरसात हो रही है । क्या है यह हिन्दी दिवस और पखवाड़ा ?
क्या कोई भी भाषा, किसी दिन या पखवाड़े की मोहताज है । ये महज एक राजनैतिक षडयंत्रों के सिलसिले का एक अंग है । दुनिया में कहीं भी कोई अँग्रेजी, चीनी, जर्मन या फ्रांसीसी दिवस मनाया जाता है, मेरी जानकारी में तो नहीं है । समय के साथ परिवर्तन हर वस्तु में होता है और भाषा भी उससे बच नहीं पाती । भाषा वही प्रचलित और प्रसारित होती है जो जन जन को समझ में आए । साहित्य की भाषा अलग होती है और सामान्य जन की अलग। इस देश में बहुत सी भाषाएँ और बोलियाँ बोली जाती हैं । नेताओं का अगला शिकार ये कभी भी हो सकती हैं , कुछ क्षेत्रों में तो यह प्रारम्भ भी हो गया है। नीव तो तभी खुद गयी थी जब  अच्छी तरह से व्यवस्थित राज्यों को भाषायी आधार पर पुनर्गठित किया गया ।

छवि: सौजन्य गूगल

हिन्दी भाषियों को एक झुनझुना पकड़ा दिया गया है की हिन्दी राजभाषा है और सरकार उसके लिए बहुत प्रयासरत है की उसे राष्ट्रभाषा बना दिया जाए। क्या वाकई कोई भी राजनैतिक पार्टी, जो राष्ट्रिय स्तर की है इसे अपने चुनाव का मुद्दा बना सकती है ? इस देश की जनता बहुत ही झुनझुना प्रिय है । जनता पारंगत है झुनझुने  पकड़ने  में और नेता उन्हे पकड़ाने  में।

गुरुवार, 9 सितंबर 2010

चिकित्सा से उत्पन्न चोट का सहायक सेवा संस्थान

हमारे देश में जहां अभी पूरी  तरह से चिकित्सा व्यवस्था भी उपलब्ध नहीं है क्या ऐसी कोई व्यवस्था हो सकती है ? हमारी सबसे बड़ी कमजोरी रही है हर बात की नकल करने की, आज यह हो गया है की किसकी नकल करें , इसलिए फैसले या तो लिए नहीं जाते या अनिश्चित काल के लिए विलंबित होते हैं। हमारे नीति निर्धारकों ने स्वास्थ्य और शिक्षा को न्यूनतम श्रेणी में रखा लंबे समय  तक और इसे बीच वाली श्रेणी में रखा याने तेरा माई बाप कौन  । सारी अव्यवस्थाओं का कारण है हमारी मध्यवर्ती सूची जिसे फूटबाल के तरह जनता झेल रही है ।





गुरुवार, 19 अगस्त 2010

वाह पाकिस्तान !! जागो कश्मीरियों जागो

पाकिस्तान ने फिर एक इतिहास कायम कर दिया । मानवाधिकार के हनन की इससे बड़ी घटना शायद ही कोई हो ।
पाकिस्तान में गंभीर बाढ़ आई और उसने एक बड़े इलाके को तहस नहस करके रख दिया । इसके चलते इस वर्ष वहाँ स्वतन्त्रता दिवस के कार्यक्रम भी स्थगित कर दिये गए । भारत ने एक पड़ोसी और सवेदनशील जागरूकता का परिचय देते हुए हर संभव सहायता और 50 milion $ की तुरंत मदद की पेशकश की । पाकिस्तान ने यह पेशकश ठुकरा दी !! यूएनओ और अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएं सारे विश्व से मदद की गुहार कर रही हैं ।
एक राष्ट्र जो एक प्राकृतिक त्रासदी में भी अपने नागरिकों का भला नजरंदाज करता है उसके बारे में क्या कहा जाए ?

जागो कश्मीरियों जागो

रविवार, 8 अगस्त 2010

भारत भूमि धन्य हुई , विश्व के सबसे अमीर अमेरिकी अमीरों ने आवाज दी

भारत भूमि धन्य हुई , विश्व के सबसे बड़े अमेरिकी अमीरों ने आवाज दी . बिल गेट्स और वार्रेन बफ्फेट जो अमेरिका के सबसे बड़े धनी हैं ने भारत और चीन के अमीरों से यह अनुरोध किया है कि वे अपनी आधी सम्पती दान कर दें  .
बिल और वारेन ने यह अभियान अमेरिका में प्रारंभ किया है . अब वे यह सन्देश भारत और चीन तक पहुँचना चाहते हैं . विस्तृत विवरण यहाँ पढ़ें .
http://in.news.yahoo.com/20/20100806/372/tbs-buffet-and-gates-to-urge-indian-rich.html

शनिवार, 31 जुलाई 2010

क्या सूप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार से यह पूछेगी की देश में किसकी सरकार चल रही है ?

कुछ समय पहले सर्वोच्च न्यायालय ने छत्तीसगढ़ सरकार के बारे में यह कहा था की आधे प्रदेश में तो आपकी सरकार नहीं चल रही है यहाँ पढ़ें .छत्तीसगढ़ सरकार तो अपना पूरा प्रयास कर रही है नक्सलवाद को समाप्त करने के लिए. यह समस्या किसी एक राज्य की समस्या नहीं है .विभिन्न राज्य के मुख्यमंत्रियों में भी एक राय नहीं है . केंद्र सरकार और काँग्रेस पार्टी में भी मतभेद है इस विषय में. आजतक न तो सोनिया गांधी न राहुल ने इसके बारे में कोई टिप्पणी की . कुछ लोगों का तो आरोप है की आंध्र,झारखंड और पश्चिम बंगाल में वह इन का समर्थन लेती है चुनाव में. लंबे समय से इस समस्या पर ध्यान नहीं देने के कारण इसने विकराल रूप ले लिया है . अपने छोटे से पड़ोसी देश श्री लंका से कुछ सबक लिया जाएगा ?

लंबे समय से पश्चिम बंगाल, झारखंड में रात के समय रेल यातायात ठप्प है . दिन में भी पायलट इंजिन की सुरक्षा में रेलगाड़ियों का आवागमन हो रहा है. यह तब से प्रारंभ है जब नक्सलियों ने ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस को उड़ा दिया था . रेल भारत सरकार का मंत्रालय है . देश के एक बड़े भूभाग में सुरक्षा प्रदान करने में असक्षमता के लिए कौन जिम्मेदार है ? कोलकाता-मुंबई एक मुख्य रेल मार्ग है . इस संकट के कारण पूरा यातायात प्रभावित है इस रूट में.

क्या सूप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार से भी यही प्रश्न पूछेगी की किसकी सरकार है इस देश में ?

बुधवार, 14 जुलाई 2010

राष्ट्रमंडलीय खेल और राष्ट्र का सम्मान

कॉमन वैल्थ याने जो आम संपत्ति थी एक साम्राज्य की उसका प्रतीक है राष्ट्रमंडलीय खेल. किसकी संपत्ति ब्रिटैन की, जिसपर वह आज तक काबीज है कहीं खुले रूप में कहीं क्षद्म रूप में . हमारे देश में यह मौजूद है क्षद्म र्रोप में क्योंकि आज भी हम उसी कानून व्यवस्था और नौकरशाही के सहारे देश चला रहे हैं जो अंग्रेजों ने अपने लिए बनाई थी .
80,000 करोड़ का खर्च किया जा रहा है इस आयोजन पर . कहीं किसीसे पूछने की जरूरत महसूस हुई जिनने यह पैसा अपनी मेहनत से जमा किया था सरकार के खजाने में ?
ऐसी कोई व्यवस्था ही नहीं है इस देश में की पूछा जाए . मूठी भर लोग , राजनेता और अधिकारी फैसला करते हैं जनता के धन के बंदरबाँट कैसे होगी .
इस देश की 80 प्रतिशत जनता गरीब है . याने लगभग 96 करोड़ . इस पैसे को अगर इन गरीबों में बाँट दिया जाता तो इस देश की गरीबी दूर हो जाती . लेकिन ऐसा चाहता कौन है . समाजवाद के प्रवर्तक आज अपना मुह छुपा रहे होंगे कि उनके नाम पर डाकुओं की फ़ौज खडी है .
जिस देश में हर जगह नेता ही बसे हों वहाँ शुभम   करोति कल्याणं की सोच ही बेमानी लगती है .

एक ठो डंडा पकड़ के नाचे हम
वही जो हमारे पीठ पे पड़ा था कभी

फिर भी है एक आशा क्योंकि आशा में ही जीवन है

शनिवार, 3 जुलाई 2010

ब्लागर में अपने ब्लॉग के आँकड़े देखने की नई सुविधा

ब्लागर ने अपने dashboard में एक नयी सुविधा प्रारंभ की है . इससे आपके ब्लाग में रोज कितने लोग और कहाँ से आये इत्यादी काफी विवरण उपलब्ध है . आपके कौन से पोस्ट पढ़े गए यह भी इसमें दिया हुआ है

बुधवार, 30 जून 2010

हे ब्लागवाणी तू छुपी है कहाँ.



हिमांशु मोहन जी के अनुरोध पर बज से ब्लाग पर 
ब्लागवाणी का अपडेट 18.06.2010 से बंद है . 24 से 29 तक शहर से बाहर रहने का बाद आज देखा की वही स्थिती बरकरार है .

हिन्दी वाले कुछ ज्यादा ही सेंटीयातें हैं 
चढ़ जाते हैं कभी टंकी पर कभी पहाड़ पर 
कभी नाले पर कभी पेड़ पर 
कभी रोको रोको मुझे मत जाने दो 
अब इसका असर समूह पर भी तो पड़ेगा 
बेचारी ब्लागवाणी भी इस वाइरस से ग्रस्त हो गयी 
बिना बताये माइके चली गयी 
अरे भाई गाना तो गाना था 
झूठ बोले कौवा काटे 
कौवा भी खुश होता किसी ने याद किया 
वरना केवल श्राद्ध में याद करते हैं 

हे निष्ठुर, देखो बेरहम, तुम्हारे प्रेमी कैसे तड़फ रहे हैं 
कहीं भी गई हो पता ठिकाना नहीं मालूम तो मोबाइल तो पास होगा 
24 घंटे में खबर नहीं आई तो पक्का समझो थाने में खबर लिखवाई 
तुम तो अभी नादान हो लेकिन इतनी तो समझदार हो 
की शरीफ़ घरों की बहू बेटियाँ थाने कचहरी के चक्कर में नहीं पड़ती 
कोई ऐसा वैसा चक्कर हो तो भी न घबराना 
फौरन से पेश्तर फुनिया घूमाना देश अब हमारा प्रगति कर रहा है . 
कुछ कोनो में पंचायतें अपना काम कर रही हैं उनका भी काम तमाम किया जाएगा 
कही इसमें अफ़ज़ल, कसाब , एंडेरसन का हाथ तो नहीं . 
घबराना नहीं मंत्रियों का दल है तैनात, तुम्हारी फरियाद जरूर सुनी जायेगी . 
मनमोहन जी ने संग्रहालय से जहांगीर का घंटा मंगवाया है .

गुरुवार, 10 जून 2010

क्या होगा अगर मैं इस देश के सविधान को मानने से इंकार कर दूँ

मैंने जन्म लिया इस धरती पर . जिसे लोगों ने बाँट रखा था . क्या मेरा कोई अधिकार है प्रजातन्त्र में ?

लोग कहेंगे क्या फालतू की बात है . अब इसपर कोई कानूनदा ही बता सकता है की कानूनी क्या व्यवस्था है.

किसी भी मनुष्य को इस देश में संवैधानिक अधिकार 18 वर्ष की उम्र में प्राप्त होते हैं . इसके पहले उसके क्या अधिकार हैं और कौन उसका और उसके कर्मों का  जिम्मेदार है ?

जब उसे यह अधिकार मिलता है तो उसे कोई इसकी जानकारी सरकार द्वारा उपलब्ध करायी जाती है . उसे कोई ज्ञान दिया जाता है की क्या हैं उसके अधिकार और क्या है उसकी जिम्मेदारियाँ . उसे कोई मौका दिया जाता है इसे स्वीकार या अस्वीकार करने का या केवल इस भूखंड में जन्म लेने के कारण वह एक बंधक है इस भूभाग के साम्राज्यकारियों का . कहाँ है freedom of choice. बहुत बहस होती है इस देश में चुनाव , सरकार और व्यवस्था के बारे में . इन सबके बीच आम आदमी का व्यक्तिगत अधिकार बली चढ़ जाता है .यही है सबसे बड़ा कारण भ्रष्टाचार का .एक संगठित सरकारी व्यवस्था जहाँ एक भुलावा दिया जा रहा है जनता को कि यहाँ प्रजातन्त्र है लेकिन वास्तव में प्रजा तंत्र में है .
इतने सदियों की गुलामी भी शायद genes में परिवर्तन ला देती है .

इस देश को गरीबी के चंगुल से छुडाने वालों का कहीं जिक्र ही नहीं सारी वाहवाही सरकार ने लूट ली . क्या किया सरकार ने ? काम किया इस देश के युवाओं ने रात रात जग कर BPO और कम्प्युटर में काम करके मलाई नेता खा रहे हैं .

एक तो संविधान बना राजशाही के आधार पर और उसे भी कमजोर पाकर आधुनिक राजा उसमें भी अपनी सुविधा जोड़ते गए .


बड़ी छोटी सी दुनिया है हिन्दी ब्लाग जगत की . इससे उम्मीद की जाए क्या इंकलाब की .

गुरुवार, 3 जून 2010

शिक्षा संस्थानों के फर्जीवाड़े

Navbharat Times - Breaking news, views. reviews, cricket from across India
फर्जी संस्थानों का फेर
29 May 2010, 2359 hrs IST,नवभारत टाइम्स  
12वीं का रिजल्ट आने के बाद ग्रैजुएशन कोर्सों में दाखिले के लिए स्टूडेंट्स और पैरंट्स पूरे जोर-शोर से तैयारियों में जुट गए हैं। जिन्हें
नामी कॉलेज या संस्थान में दाखिला मिल जाएगा, उनकी तो बल्ले-बल्ले है लेकिन जिन्हें यह खुशी नसीब नहीं हो पाएगी, वे पढ़ाई के नाम पर चल रहे फजीर्वाड़े में फंस सकते हैं। दरअसल, ऐसी बहुत-सी प्राइवेट, सेमी-प्राइवेट, डीम्ड यूनिवर्सिटी आदि हैं, जिनके कोर्सों की मान्यता नहीं है। अब तो इस कड़ी में कुछ विदेशी यूनिवर्सिटी भी शामिल हो गई हैं। स्टूडेंट्स के भविष्य के साथ खिलवाड़ करनेवाले संस्थानों और उनसे बचाव की पूरी जानकारी दे रहे हैं अशोक सिंह :

किसी भी फर्जी संस्थान या कोर्स में दाखिले से स्टूडेंट्स के करियर के खिलवाड़ के साथ-साथ पैरंट्स की जेब को भी भारी चपत लग जाती है। यह वक्त और पैसे, दोनों की बर्बादी है। ऐसे फर्जीवाड़े से बचने के लिए सही जानकारी होनी जरूरी है।

क्या होते हैं फर्जी संस्थान 
फर्जी संस्थान से मतलब उन शिक्षा संस्थानों से है, जो किसी भी सरकारी नियामक संस्थान या प्राधिकरण से मान्यता प्राप्त नहीं हैं और बिना इजाजत ऐसे कोर्स करा रहे हैं, जिन्हें कराने का अधिकार उनके पास नहीं है। यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमिशन (यूजीसी) हर साल ऐसी यूनिवर्सिटीज की लिस्ट जारी करता है, जो फर्जी संस्थानों के दायरे में आती हैं। प्रफेशनल कोर्सों की बात करें तो देश के विभिन्न हिस्सों में केंद्र व राज्य स्तर पर बहुत-सी सरकारी संस्थाएं हैं, जो सरकारी और प्राइवेट शिक्षा संस्थानों को संबंधित कोर्स कराने की इजाजत देती हैं। इनमें खासतौर पर ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन, असोसिएशन ऑफ इंडियन यूनिवर्सिटीज, फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया, नर्सिंग काउंसिल आदि हैं।

गैर-मान्यता प्राप्त कोर्सों का नुकसान 
इस तरह के डिप्लोमा या तथाकथित डिग्री कोर्सों के आधार पर सरकारी तो दूर, प्राइवेट सेक्टर में भी जॉब नहीं मिल पाती। किसी कॉम्पिटीटिव एगाम में शामिल होने की इजाजत भी नहीं मिलती। ऐसे में या तो छोटी-मोटी नौकरी करने को मजबूर होना पड़ता है या फिर से किसी रिकग्नाइज्ड कोर्स में दाखिले के लिए जद्दोजहद करनी पड़ती है।

कैसे बचें शब्दों के मायाजाल से 
आजकल मीडिया में विभिन्न कोर्सों से संबंधित विज्ञापनों की भरमार देखी जा सकती है। इनमें बड़े ही लुभावने शब्दों का इस्तेमाल किया जाता है। फर्जी संस्थानों के विज्ञापनों या उनके प्रॉस्पेक्ट्स में दी गई भाषा और जानकारी के आधार पर भी काफी कुछ समझा जा सकता है। नीचे लिखीं बातों पर गौर करके आप काफी हद तक फजीर्वाड़े से बच सकते हैं :

- विज्ञापन में संस्थान के रजिस्टर्ड और मान्यता प्राप्त होने संबंधी जानकारी का न होना।
- किसी यूनिवसिर्टी से एफिलिएटेड संस्थान के सभी कोर्स रेकग्नाइज्ड हों, यह जरूरी नहीं है क्योंकि एफिलिएटेड संस्था होती है। उसके सभी कोर्स मान्य ही हों, यह जरूरी नहीं है। अगर कोई संस्था किसी यूनिवर्सिटी से रेकग्नाइज्ड है तो यह मान्यता सारे कोर्सों के लिए होती है। लेकिन कुछ संस्थान अपने यहां चलाए जा रहे कोर्सों में कुछ अमान्य कोर्सों को भी शामिल कर स्टूडेंट्स से दगा करते हैं।
- रेकग्नाइज्ड संस्थान का रेकग्नाइज्ड कोर्स होने के लिखित दावों की पुष्टि सरकारी तौर पर जारी सर्टिफिकेट से की जा सकती है और अपनी तसल्ली के लिए संबंधित निकाय से भी वेरिफाई कर सकते हैं।
- नामी सरकारी संस्थानों और मान्यता-प्राप्त कोर्सों से मिलते-जुलते नाम रखने का फर्जी संस्थानों का पुराना हथकंडा।
- उत्तरी भारत में जारी विज्ञापनों में दक्षिण भारतीय यूनीवर्सिटी से रजिस्टर्ड (पंजीकृत) या मान्य होने का दावा, ताकि आसानी से असलियत का पता लगाना मुमकिन न हो।
- सोसायटी एक्ट में संस्थान के रजिस्टर्ड होने का मतलब यह कतई नहीं कि उसके सारे कोर्स रेकग्नाइज्ड हैं।

205 तकनीकी शिक्षा संस्थान हैं फर्जी 
- राज्यसभा में मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री डी. पुरंडेश्वरी ने कुछ महीने पहले बताया था कि ऑल इंडिया काउंसिल ऑफ टेक्निकल एजुकेशन ने 205 फर्जी तकनीकी शैक्षिक संस्थानों की पहचान की है। इनमें से 76 महाराष्ट्र में, 24 दिल्ली में, 22 कर्नाटक में, 16 तमिलनाडु में, 16 यूपी में, 15 पश्चिम बंगाल में, 10 हरियाणा में, 9 चंडीगढ़ में, 8 आंध्र प्रदेश में, 3 गुजरात में, 2 पंजाब में, 2 केरल में, 1 गोवा में और 1 राजस्थान में है। इस बारे में पूरी जानकारी के लिए वेबसाइट www.aicte-india.org पर देख सकते हैं। इसमें MIS/Reports में जाकर Unapproved Institutes खोलें।

क्चटेक्निकल, प्रफेशनल और बाकी तरह के शिक्षा संस्थानों को मान्यता देनेवाली सरकारी संस्थाएं

इन संस्थाओं से संपर्क करके या वेबसाइट से आप असली-नकली संस्थान की जानकारी हासिल कर सकते हैं :

मेडिकल 
- एलोपैथी (एमबीबीएस, एमडी, एमएस आदि) : मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया, पॉकेट-14, सेक्टर-8, द्वारका फेज-1, नई दिल्ली - 110077, वेबसाइट : www.mciindia.org
- डेंटल (बीडीएस, एमडीएस) : डेंटल काउंसिल ऑफ इंडिया, ऐवाने गालिब मार्ग, कोटला रोड, टेंपल लेन, नई दिल्ली - 110002, वेबसाइट : www.dciindia.org
- आयुर्वेदिक, यूनानी (बीएएमएस, बीयूएमएस) : सेंट्रल काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसिन, जवाहरलाल नेहरू भारतीय चिकित्सा एवं होम्योपैथी अनुसंधान भवन, 61-65, इंस्टिट्यूशनल एरिया, जनकपुरी, नई दिल्ली -110058, वेबसाइट : www.ccimindia.org
- होम्योपैथी (बीएचएमएस) : सेंट्रल काउंसिल ऑफ होम्योपैथी, जवाहरलाल नेहरू भारतीय चिकित्सा एवं होम्योपैथी अनुसंधान भवन, 61-65, इंस्टिट्यूशनल एरिया, जनकपुरी, नई दिल्ली -110058, वेबसाइट : www.cchindia.org
- फार्मेसी (बी. फार्मा आदि) : फामेर्सी काउंसिल ऑफ इंडिया, कोटला रोड, ऐवाने गालिब मार्ग, नई दिल्ली - 110002, वेबसाइट : www.pci.nic.in

- नर्सिंग : इंडियन नर्सिंग काउंसिल, कोटला रोड, टेंपल लेन, नई दिल्ली - 110002, वेबसाइट : www.indiannursingcouncil.org

विकलांग पुनर्वास और विशेष शिक्षा (मेंटली रिटारडेड, हियरिंग इम्पेयर्ड, ब्लाइंड, ऑटिज्म, स्पैक्ट्रम डिस्ऑर्डर आदि) : रिहैबिलिटेशन काउंसिल ऑफ इंडिया (मिनिस्ट्री ऑफ सोशल जस्टिस एंड एम्पावरमेंट), बी-22, कुतुब इंस्टिट्यूशन एरिया, नई दिल्ली - 110016, वेबसाइट : www.rehabcouncil.nic.in


- वेटिरिनरी एजुकेशन (बीवीएससी एंड एएच डिग्री) : वेटिरिनरी काउंसिल ऑफ इंडिया, 'ए' विंग, सेकंड फ्लोर, अगस्त क्रांति भवन, भीकाजी कामा प्लेस, नई दिल्ली -110066, वेबसाइट : www.vci-india.in

इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट में डिप्लोमा कोर्स : ऑल इंडिया काउंसिल ऑफ टेक्निकल एजुकेशन, (7वीं मंजिल, चंदलोक बिल्डिंग, जनपथ, नई दिल्ली - 110001, वेबसाइट : www.aicte-india.org

कंप्यूटर एजुकेशन : डीओईएसीसी सोसायटी (कम्युनिकेशन एंड आईटी मिनिस्ट्री), इलेक्ट्रॉनिक्स निकेतन, 6 सीजीओ कॉम्प्लेक्स, नई दिल्ली -110003, वेबसाइट : www.doeacc.edu.in

टीचर्स ट्रेनिंग (बीएड, एमएड, बीपीएड, बीएलएड, डीएलएड आदि) : नैशनल काउंसिल फॉर टीचर्स एजुकेशन, विंग-ढ्ढढ्ढ, हंस भवन, 1, बहादुरशाह जफर मार्ग, नई दिल्ली - 110002, वेबसाइट : www.ncte-india.org

आर्किटेक्चर : (बीआर्क) : काउंसिल ऑफ आर्किटेक्चर, इंडिया हैबिटैट सेंटर, कोर-6 ए, फर्स्ट फ्लोर, लोदी रोड, नई दिल्ली - 110003, वेबसाइट : www.coa.gov.in

एग्रिकल्चरल एजुकेशन : इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रिकल्चरल रिसर्च (कृषि मंत्रालय), कृषि अनुसंधान भवन-2, पूसा, नई दिल्ली - 110012, वेबसाइट : www.icar.org.in

लॉ एजुकेशन : बार काउंसिल ऑफ इंडिया, 21 राउज एवेन्यू, इंस्टिट्यूशन एरिया, नई दिल्ली - 110002 www.barcouncilofindia.org

डिस्टेंस एजुकेशन : डिस्टेंस एजुकेशन काउंसिल, इंदिरा गांधी नैशनल ओपन यूनिवसिर्टी (इग्नू), मैदानगढ़ी, नई दिल्ली - 110068, वेबसाइट : www.dec.ac.in

(नोट : इन संस्थानों की वेबसाइट्स पर दिए गए नंबरों पर जब कॉल किया गया तो कई सारे नंबर मौजूद नहीं थे और ज्यादातर पर कोई फोन उठा ही नहीं रहा था, इसलिए उन नंबरों को यहां नहीं दिया गया है। )

विदेशी शिक्षा संस्थाओं का खेल 
पिछले कई बरसों से विदेशी एजुकेशन का क्रेज काफी बढ़ा है, खासतौर से अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, कनाडा और रूस में पढ़नेवाले भारतीय युवाओं की संख्या में काफी इजाफा हुआ है। इन यूनिवर्सिटीज और संस्थाओं के बारे में सही जानकारी पाने के ज्यादा सोर्स नहीं हैं। लेकिन हम आपको इन देशों की एम्बेसी और हाई कमिशन के एड्रेस और नंबर दे रहे हैं, जहां से इनके बारे में सही जानकारी हासिल की जा सकती है :

अमेरिका : युनाइटेड स्टेट्स इंडिया एजुकेशनल फाउंडेशन, फुल्ब्राइट हाउस, 12 हेली रोड, नई दिल्ली-110001, फोन : 011-4209 0909, 2332 8944, वेबसाइट : www.usief.org.in

ब्रिटेन : ब्रिटिश काउंसल डिविजन, 17 कस्तूरबा गांधी मार्ग, नई दिल्ली - 110001, फोन : 011-2371 1401/2/3, वेबसाइट : www.britishcouncil.org

ऑस्ट्रेलिया : ऑस्ट्रेलिया हाई कमिशन, 1/50 जी, शांतिपथ, चाणक्यपुरी, नई दिल्ली -110021, फोन : 011-4139 9900, वेबसाइट : www.india.embassy.gov.au

कनाडा : कनाडा एम्बेसी, 7/8 शांतिपथ, चाणक्यपुरी, नई दिल्ली - 110021, फोन : 2687 6500, वेबसाइट : www.canadainternational.gc.ca

रूस : एम्बेसी ऑफ रशियन फेडरेशन, शांतिपथ, चाणक्यपुरी, नई दिल्ली-110021, फोन : 2611 0640/41/42, वेबसाइट : www.russianembassy.net

कुछ और अहम सरकारी नियंत्रक संस्थान 

इनसे संपर्क करके आप किसी यूनिवर्सिटी के असली-नकली होने का पता लगा सकते हैं :

* यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमिशन (यूजीसी), बहादुर शाह जफर मार्ग, नई दिल्ली - 110002, फोन : 011-2323 2701, 2323 6735, 2323 4116, वेबसाइट : www.ugc.ac.in

* असोसिएशन ऑफ इंडियन यूनिवर्सिटीज, एआईयू हाउस, 16 - कॉमरेड इंदजीत गुप्ता मार्ग, नई दिल्ली - 110002, फोन : 011-2323 0059, वेबसाइट : www.aiuweb.org

* मिनिस्ट्री ऑफ ह्यूमन रिसोर्स एंड डिवेलपमेंट, शास्त्री भवन, नई दिल्ली - 110001, फोन : 011-2338 3436, वेबसाइट : www.education.nic.in

यूजीसी द्वारा जारी फर्जी यूनिवर्सिटीज की लिस्ट

* बिहार
मैथिली यूनीवसिर्टी, दरभंगा

* दिल्ली
वाराणसेय संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी (यूपी), जगतपुरी, दिल्ली
कमर्शल यूनिवर्सिटी लिमिटेड, दरियागंज, दिल्ली
युनाइटेड नेशंस यूनिवर्सिटी, दिल्ली
वोकेशनल यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली
एडीआर - सेंट्रिक जूरिडिकल यूनिवर्सिटी, राजेंद्र प्लेस, नई दिल्ली
इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस एंड इंजीनियरिंग, नई दिल्ली

कर्नाटक 
* भदगनवी सरकार वर्ल्ड ओपन यूनिवर्सिटी एजुकेशन सोसायटी, गोकाक, बेलगांव, कर्नाटक

केरल 
* सेंट जॉन्स यूनिवर्सिटी, किशनट्टम, केरल

मध्य प्रदेश 
* केसरवाणी विद्यापीठ, जबलपुर, मध्य प्रदेश

महाराष्ट्र 
* राजा अरबिक यूनिवर्सिटी, नागपुर, महाराष्ट्र

तमिलनाडु 
* डीडीबी संस्कृत यूनिवर्सिटी, पुतुर, त्रिची, तमिलनाडु

पश्चिम बंगाल 
* इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ ऑल्टरनेटिव मेडिसिन, कोलकाता

उत्तर प्रदेश 
- महिला ग्राम विद्यापीठ/ विश्वविद्यालय, प्रयाग, इलाहाबाद
- गांधी हिंदी विद्यापीठ, प्रयाग, इलाहाबाद
- नैशनल यूनिवर्सिटी ऑफ इलेक्ट्रो कॉम्प्लैक्स होम्योपैथी, कानपुर
- नेताजी सुभाष चंद बोस यूनिवर्सिटी (ओपन यूनिवर्सिटी), अचालताल, अलीगढ़
- उत्तर प्रदेश विश्वविद्यालय, कोसी कलां, मथुरा
- महाराणा प्रताप शिक्षा निकेतन विश्वविद्यालय, प्रतापगढ़
- इंद्रप्रस्थ शिक्षा परिषद, इंस्टिट्यूशनल एरिया, खोड़ा, मकनपुर, नोएडा
- गुरुकुल विश्वविद्यालय, वृंदावन

कैसे बचें फर्जी संस्थानों के चंगुल से 
* पूरी कोशिश करें कि प्रतिष्ठित सरकारी शैक्षिक संस्थान में दाखिला मिल जाए, चाहे घर से दूर ही क्यों न हो।
* शक होने पर मैनेजमेंट से संस्थान और कोर्सों के मान्यता संबंधित सर्टिफिकेट (जो किसी सरकारी एजेंसी द्वारा जारी किया गया हो) दिखाने को कह सकते हैं।
* संस्थान का ट्रैक रेकॉर्ड जरूर चेक करें। इसमें संस्थान का इतिहास कैसा रहा है, कितने बैच पास-आउट हो चुके हैं, कैंपस प्लेसमेंट की स्थिति क्या है, फीस स्ट्रक्चर कैसा है, जैसे मुद्दों पर संस्थान में पढ़ रहे या वहां से पास होकर गए स्टूडेंट्स से जानकारी ले सकते हैं।
* संस्थान के इन्फ्रास्ट्रक्चर और फैकल्टी की शैक्षिक योग्यता की भी जानकारी लें।
* अगर संस्थान का कोर्स किसी यूनिवर्सिटी से रेकग्जनाइज्ड है तो उस यूनिवर्सिटी के बारे में जानने की कोशिश करें। इंटरनेट से भी इस बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। संस्थान की वेबसाइट पर जाकर भी जांच कर सकते हैं।

विकल्प क्या 
* ज्यादा फीस देकर यूनिवर्सिटी की फ्रेंचाइजी में दाखिला लेने से अच्छा है कि सीधे ओपन/ कॉरेस्पॉन्डेंस कोर्स करानेवाली यूनिवर्सिटी से संपर्क करें।
* ओपन यूनिवर्सिटी से ग्रैजुएशन कोर्स करते हुए प्रफेशनल कोर्स कर सकते हैं।
* फीस हमेशा चेक या डिमांड ड्राफ्ट से दें और रसीद भी जरूर लें।
* मजबूरी में प्राइवेट संस्थानों में दाखिला लेने की स्थिति में मैनेजमेंट से सारे दावे लिखित में जरूर लें।
(साथ में नोएडा से देवेंद्र कुमार, ग्रेटर नोएडा से पवन सिंह और फरीदाबाद से राजकिशोर)

सौजन्य : नवभारत टाइम्स  29 मई 


शिक्षा संस्थानों के फर्जीवाड़े

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फर्जी संस्थानों का फेर
29 May 2010, 2359 hrs IST,नवभारत टाइम्स  
12वीं का रिजल्ट आने के बाद ग्रैजुएशन कोर्सों में दाखिले के लिए स्टूडेंट्स और पैरंट्स पूरे जोर-शोर से तैयारियों में जुट गए हैं। जिन्हें 
नामी कॉलेज या संस्थान में दाखिला मिल जाएगा, उनकी तो बल्ले-बल्ले है लेकिन जिन्हें यह खुशी नसीब नहीं हो पाएगी, वे पढ़ाई के नाम पर चल रहे फजीर्वाड़े में फंस सकते हैं। दरअसल, ऐसी बहुत-सी प्राइवेट, सेमी-प्राइवेट, डीम्ड यूनिवर्सिटी आदि हैं, जिनके कोर्सों की मान्यता नहीं है। अब तो इस कड़ी में कुछ विदेशी यूनिवर्सिटी भी शामिल हो गई हैं। स्टूडेंट्स के भविष्य के साथ खिलवाड़ करनेवाले संस्थानों और उनसे बचाव की पूरी जानकारी दे रहे हैं अशोक सिंह :

किसी भी फर्जी संस्थान या कोर्स में दाखिले से स्टूडेंट्स के करियर के खिलवाड़ के साथ-साथ पैरंट्स की जेब को भी भारी चपत लग जाती है। यह वक्त और पैसे, दोनों की बर्बादी है। ऐसे फर्जीवाड़े से बचने के लिए सही जानकारी होनी जरूरी है।

क्या होते हैं फर्जी संस्थान 
फर्जी संस्थान से मतलब उन शिक्षा संस्थानों से है, जो किसी भी सरकारी नियामक संस्थान या प्राधिकरण से मान्यता प्राप्त नहीं हैं और बिना इजाजत ऐसे कोर्स करा रहे हैं, जिन्हें कराने का अधिकार उनके पास नहीं है। यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमिशन (यूजीसी) हर साल ऐसी यूनिवर्सिटीज की लिस्ट जारी करता है, जो फर्जी संस्थानों के दायरे में आती हैं। प्रफेशनल कोर्सों की बात करें तो देश के विभिन्न हिस्सों में केंद्र व राज्य स्तर पर बहुत-सी सरकारी संस्थाएं हैं, जो सरकारी और प्राइवेट शिक्षा संस्थानों को संबंधित कोर्स कराने की इजाजत देती हैं। इनमें खासतौर पर ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन, असोसिएशन ऑफ इंडियन यूनिवर्सिटीज, फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया, नर्सिंग काउंसिल आदि हैं।

गैर-मान्यता प्राप्त कोर्सों का नुकसान 
इस तरह के डिप्लोमा या तथाकथित डिग्री कोर्सों के आधार पर सरकारी तो दूर, प्राइवेट सेक्टर में भी जॉब नहीं मिल पाती। किसी कॉम्पिटीटिव एगाम में शामिल होने की इजाजत भी नहीं मिलती। ऐसे में या तो छोटी-मोटी नौकरी करने को मजबूर होना पड़ता है या फिर से किसी रिकग्नाइज्ड कोर्स में दाखिले के लिए जद्दोजहद करनी पड़ती है।

कैसे बचें शब्दों के मायाजाल से 
आजकल मीडिया में विभिन्न कोर्सों से संबंधित विज्ञापनों की भरमार देखी जा सकती है। इनमें बड़े ही लुभावने शब्दों का इस्तेमाल किया जाता है। फर्जी संस्थानों के विज्ञापनों या उनके प्रॉस्पेक्ट्स में दी गई भाषा और जानकारी के आधार पर भी काफी कुछ समझा जा सकता है। नीचे लिखीं बातों पर गौर करके आप काफी हद तक फजीर्वाड़े से बच सकते हैं :

- विज्ञापन में संस्थान के रजिस्टर्ड और मान्यता प्राप्त होने संबंधी जानकारी का न होना।
- किसी यूनिवसिर्टी से एफिलिएटेड संस्थान के सभी कोर्स रेकग्नाइज्ड हों, यह जरूरी नहीं है क्योंकि एफिलिएटेड संस्था होती है। उसके सभी कोर्स मान्य ही हों, यह जरूरी नहीं है। अगर कोई संस्था किसी यूनिवर्सिटी से रेकग्नाइज्ड है तो यह मान्यता सारे कोर्सों के लिए होती है। लेकिन कुछ संस्थान अपने यहां चलाए जा रहे कोर्सों में कुछ अमान्य कोर्सों को भी शामिल कर स्टूडेंट्स से दगा करते हैं।
- रेकग्नाइज्ड संस्थान का रेकग्नाइज्ड कोर्स होने के लिखित दावों की पुष्टि सरकारी तौर पर जारी सर्टिफिकेट से की जा सकती है और अपनी तसल्ली के लिए संबंधित निकाय से भी वेरिफाई कर सकते हैं।
- नामी सरकारी संस्थानों और मान्यता-प्राप्त कोर्सों से मिलते-जुलते नाम रखने का फर्जी संस्थानों का पुराना हथकंडा।
- उत्तरी भारत में जारी विज्ञापनों में दक्षिण भारतीय यूनीवर्सिटी से रजिस्टर्ड (पंजीकृत) या मान्य होने का दावा, ताकि आसानी से असलियत का पता लगाना मुमकिन न हो।
- सोसायटी एक्ट में संस्थान के रजिस्टर्ड होने का मतलब यह कतई नहीं कि उसके सारे कोर्स रेकग्नाइज्ड हैं।

205 तकनीकी शिक्षा संस्थान हैं फर्जी 
- राज्यसभा में मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री डी. पुरंडेश्वरी ने कुछ महीने पहले बताया था कि ऑल इंडिया काउंसिल ऑफ टेक्निकल एजुकेशन ने 205 फर्जी तकनीकी शैक्षिक संस्थानों की पहचान की है। इनमें से 76 महाराष्ट्र में, 24 दिल्ली में, 22 कर्नाटक में, 16 तमिलनाडु में, 16 यूपी में, 15 पश्चिम बंगाल में, 10 हरियाणा में, 9 चंडीगढ़ में, 8 आंध्र प्रदेश में, 3 गुजरात में, 2 पंजाब में, 2 केरल में, 1 गोवा में और 1 राजस्थान में है। इस बारे में पूरी जानकारी के लिए वेबसाइट www.aicte-india.org पर देख सकते हैं। इसमें MIS/Reports में जाकर Unapproved Institutes खोलें।

क्चटेक्निकल, प्रफेशनल और बाकी तरह के शिक्षा संस्थानों को मान्यता देनेवाली सरकारी संस्थाएं

इन संस्थाओं से संपर्क करके या वेबसाइट से आप असली-नकली संस्थान की जानकारी हासिल कर सकते हैं :

मेडिकल 
- एलोपैथी (एमबीबीएस, एमडी, एमएस आदि) : मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया, पॉकेट-14, सेक्टर-8, द्वारका फेज-1, नई दिल्ली - 110077, वेबसाइट : www.mciindia.org
- डेंटल (बीडीएस, एमडीएस) : डेंटल काउंसिल ऑफ इंडिया, ऐवाने गालिब मार्ग, कोटला रोड, टेंपल लेन, नई दिल्ली - 110002, वेबसाइट : www.dciindia.org
- आयुर्वेदिक, यूनानी (बीएएमएस, बीयूएमएस) : सेंट्रल काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसिन, जवाहरलाल नेहरू भारतीय चिकित्सा एवं होम्योपैथी अनुसंधान भवन, 61-65, इंस्टिट्यूशनल एरिया, जनकपुरी, नई दिल्ली -110058, वेबसाइट : www.ccimindia.org
- होम्योपैथी (बीएचएमएस) : सेंट्रल काउंसिल ऑफ होम्योपैथी, जवाहरलाल नेहरू भारतीय चिकित्सा एवं होम्योपैथी अनुसंधान भवन, 61-65, इंस्टिट्यूशनल एरिया, जनकपुरी, नई दिल्ली -110058, वेबसाइट : www.cchindia.org
- फार्मेसी (बी. फार्मा आदि) : फामेर्सी काउंसिल ऑफ इंडिया, कोटला रोड, ऐवाने गालिब मार्ग, नई दिल्ली - 110002, वेबसाइट : www.pci.nic.in

- नर्सिंग : इंडियन नर्सिंग काउंसिल, कोटला रोड, टेंपल लेन, नई दिल्ली - 110002, वेबसाइट : www.indiannursingcouncil.org

विकलांग पुनर्वास और विशेष शिक्षा (मेंटली रिटारडेड, हियरिंग इम्पेयर्ड, ब्लाइंड, ऑटिज्म, स्पैक्ट्रम डिस्ऑर्डर आदि) : रिहैबिलिटेशन काउंसिल ऑफ इंडिया (मिनिस्ट्री ऑफ सोशल जस्टिस एंड एम्पावरमेंट), बी-22, कुतुब इंस्टिट्यूशन एरिया, नई दिल्ली - 110016, वेबसाइट : www.rehabcouncil.nic.in


- वेटिरिनरी एजुकेशन (बीवीएससी एंड एएच डिग्री) : वेटिरिनरी काउंसिल ऑफ इंडिया, 'ए' विंग, सेकंड फ्लोर, अगस्त क्रांति भवन, भीकाजी कामा प्लेस, नई दिल्ली -110066, वेबसाइट : www.vci-india.in

इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट में डिप्लोमा कोर्स : ऑल इंडिया काउंसिल ऑफ टेक्निकल एजुकेशन, (7वीं मंजिल, चंदलोक बिल्डिंग, जनपथ, नई दिल्ली - 110001, वेबसाइट : www.aicte-india.org

कंप्यूटर एजुकेशन : डीओईएसीसी सोसायटी (कम्युनिकेशन एंड आईटी मिनिस्ट्री), इलेक्ट्रॉनिक्स निकेतन, 6 सीजीओ कॉम्प्लेक्स, नई दिल्ली -110003, वेबसाइट : www.doeacc.edu.in

टीचर्स ट्रेनिंग (बीएड, एमएड, बीपीएड, बीएलएड, डीएलएड आदि) : नैशनल काउंसिल फॉर टीचर्स एजुकेशन, विंग-ढ्ढढ्ढ, हंस भवन, 1, बहादुरशाह जफर मार्ग, नई दिल्ली - 110002, वेबसाइट : www.ncte-india.org

आर्किटेक्चर : (बीआर्क) : काउंसिल ऑफ आर्किटेक्चर, इंडिया हैबिटैट सेंटर, कोर-6 ए, फर्स्ट फ्लोर, लोदी रोड, नई दिल्ली - 110003, वेबसाइट : www.coa.gov.in

एग्रिकल्चरल एजुकेशन : इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रिकल्चरल रिसर्च (कृषि मंत्रालय), कृषि अनुसंधान भवन-2, पूसा, नई दिल्ली - 110012, वेबसाइट : www.icar.org.in

लॉ एजुकेशन : बार काउंसिल ऑफ इंडिया, 21 राउज एवेन्यू, इंस्टिट्यूशन एरिया, नई दिल्ली - 110002 www.barcouncilofindia.org

डिस्टेंस एजुकेशन : डिस्टेंस एजुकेशन काउंसिल, इंदिरा गांधी नैशनल ओपन यूनिवसिर्टी (इग्नू), मैदानगढ़ी, नई दिल्ली - 110068, वेबसाइट : www.dec.ac.in

(नोट : इन संस्थानों की वेबसाइट्स पर दिए गए नंबरों पर जब कॉल किया गया तो कई सारे नंबर मौजूद नहीं थे और ज्यादातर पर कोई फोन उठा ही नहीं रहा था, इसलिए उन नंबरों को यहां नहीं दिया गया है। )

विदेशी शिक्षा संस्थाओं का खेल 
पिछले कई बरसों से विदेशी एजुकेशन का क्रेज काफी बढ़ा है, खासतौर से अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, कनाडा और रूस में पढ़नेवाले भारतीय युवाओं की संख्या में काफी इजाफा हुआ है। इन यूनिवर्सिटीज और संस्थाओं के बारे में सही जानकारी पाने के ज्यादा सोर्स नहीं हैं। लेकिन हम आपको इन देशों की एम्बेसी और हाई कमिशन के एड्रेस और नंबर दे रहे हैं, जहां से इनके बारे में सही जानकारी हासिल की जा सकती है :

अमेरिका : युनाइटेड स्टेट्स इंडिया एजुकेशनल फाउंडेशन, फुल्ब्राइट हाउस, 12 हेली रोड, नई दिल्ली-110001, फोन : 011-4209 0909, 2332 8944, वेबसाइट : www.usief.org.in

ब्रिटेन : ब्रिटिश काउंसल डिविजन, 17 कस्तूरबा गांधी मार्ग, नई दिल्ली - 110001, फोन : 011-2371 1401/2/3, वेबसाइट : www.britishcouncil.org

ऑस्ट्रेलिया : ऑस्ट्रेलिया हाई कमिशन, 1/50 जी, शांतिपथ, चाणक्यपुरी, नई दिल्ली -110021, फोन : 011-4139 9900, वेबसाइट : www.india.embassy.gov.au

कनाडा : कनाडा एम्बेसी, 7/8 शांतिपथ, चाणक्यपुरी, नई दिल्ली - 110021, फोन : 2687 6500, वेबसाइट : www.canadainternational.gc.ca

रूस : एम्बेसी ऑफ रशियन फेडरेशन, शांतिपथ, चाणक्यपुरी, नई दिल्ली-110021, फोन : 2611 0640/41/42, वेबसाइट : www.russianembassy.net

कुछ और अहम सरकारी नियंत्रक संस्थान 

इनसे संपर्क करके आप किसी यूनिवर्सिटी के असली-नकली होने का पता लगा सकते हैं :

* यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमिशन (यूजीसी), बहादुर शाह जफर मार्ग, नई दिल्ली - 110002, फोन : 011-2323 2701, 2323 6735, 2323 4116, वेबसाइट : www.ugc.ac.in

* असोसिएशन ऑफ इंडियन यूनिवर्सिटीज, एआईयू हाउस, 16 - कॉमरेड इंदजीत गुप्ता मार्ग, नई दिल्ली - 110002, फोन : 011-2323 0059, वेबसाइट : www.aiuweb.org

* मिनिस्ट्री ऑफ ह्यूमन रिसोर्स एंड डिवेलपमेंट, शास्त्री भवन, नई दिल्ली - 110001, फोन : 011-2338 3436, वेबसाइट : www.education.nic.in

यूजीसी द्वारा जारी फर्जी यूनिवर्सिटीज की लिस्ट

* बिहार
मैथिली यूनीवसिर्टी, दरभंगा

* दिल्ली
वाराणसेय संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी (यूपी), जगतपुरी, दिल्ली
कमर्शल यूनिवर्सिटी लिमिटेड, दरियागंज, दिल्ली
युनाइटेड नेशंस यूनिवर्सिटी, दिल्ली
वोकेशनल यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली
एडीआर - सेंट्रिक जूरिडिकल यूनिवर्सिटी, राजेंद्र प्लेस, नई दिल्ली
इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस एंड इंजीनियरिंग, नई दिल्ली

कर्नाटक 
* भदगनवी सरकार वर्ल्ड ओपन यूनिवर्सिटी एजुकेशन सोसायटी, गोकाक, बेलगांव, कर्नाटक

केरल 
* सेंट जॉन्स यूनिवर्सिटी, किशनट्टम, केरल

मध्य प्रदेश 
* केसरवाणी विद्यापीठ, जबलपुर, मध्य प्रदेश

महाराष्ट्र 
* राजा अरबिक यूनिवर्सिटी, नागपुर, महाराष्ट्र

तमिलनाडु 
* डीडीबी संस्कृत यूनिवर्सिटी, पुतुर, त्रिची, तमिलनाडु

पश्चिम बंगाल 
* इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ ऑल्टरनेटिव मेडिसिन, कोलकाता

उत्तर प्रदेश 
- महिला ग्राम विद्यापीठ/ विश्वविद्यालय, प्रयाग, इलाहाबाद
- गांधी हिंदी विद्यापीठ, प्रयाग, इलाहाबाद
- नैशनल यूनिवर्सिटी ऑफ इलेक्ट्रो कॉम्प्लैक्स होम्योपैथी, कानपुर
- नेताजी सुभाष चंद बोस यूनिवर्सिटी (ओपन यूनिवर्सिटी), अचालताल, अलीगढ़
- उत्तर प्रदेश विश्वविद्यालय, कोसी कलां, मथुरा
- महाराणा प्रताप शिक्षा निकेतन विश्वविद्यालय, प्रतापगढ़
- इंद्रप्रस्थ शिक्षा परिषद, इंस्टिट्यूशनल एरिया, खोड़ा, मकनपुर, नोएडा
- गुरुकुल विश्वविद्यालय, वृंदावन

कैसे बचें फर्जी संस्थानों के चंगुल से 
* पूरी कोशिश करें कि प्रतिष्ठित सरकारी शैक्षिक संस्थान में दाखिला मिल जाए, चाहे घर से दूर ही क्यों न हो।
* शक होने पर मैनेजमेंट से संस्थान और कोर्सों के मान्यता संबंधित सर्टिफिकेट (जो किसी सरकारी एजेंसी द्वारा जारी किया गया हो) दिखाने को कह सकते हैं।
* संस्थान का ट्रैक रेकॉर्ड जरूर चेक करें। इसमें संस्थान का इतिहास कैसा रहा है, कितने बैच पास-आउट हो चुके हैं, कैंपस प्लेसमेंट की स्थिति क्या है, फीस स्ट्रक्चर कैसा है, जैसे मुद्दों पर संस्थान में पढ़ रहे या वहां से पास होकर गए स्टूडेंट्स से जानकारी ले सकते हैं।
* संस्थान के इन्फ्रास्ट्रक्चर और फैकल्टी की शैक्षिक योग्यता की भी जानकारी लें।
* अगर संस्थान का कोर्स किसी यूनिवर्सिटी से रेकग्जनाइज्ड है तो उस यूनिवर्सिटी के बारे में जानने की कोशिश करें। इंटरनेट से भी इस बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। संस्थान की वेबसाइट पर जाकर भी जांच कर सकते हैं।

विकल्प क्या 
* ज्यादा फीस देकर यूनिवर्सिटी की फ्रेंचाइजी में दाखिला लेने से अच्छा है कि सीधे ओपन/ कॉरेस्पॉन्डेंस कोर्स करानेवाली यूनिवर्सिटी से संपर्क करें।
* ओपन यूनिवर्सिटी से ग्रैजुएशन कोर्स करते हुए प्रफेशनल कोर्स कर सकते हैं।
* फीस हमेशा चेक या डिमांड ड्राफ्ट से दें और रसीद भी जरूर लें।
* मजबूरी में प्राइवेट संस्थानों में दाखिला लेने की स्थिति में मैनेजमेंट से सारे दावे लिखित में जरूर लें।
(साथ में नोएडा से देवेंद्र कुमार, ग्रेटर नोएडा से पवन सिंह और फरीदाबाद से राजकिशोर)

सौजन्य : नवभारत टाइम्स  29 मई 


गुरुवार, 27 मई 2010

Beware Admission in Medical College

जैसा की आप सब देख चुके हैं मेडिकल कौंसिल का हाल . अगर आप अपने बच्चे को किसी मेडिकल कॉलेज में भरती करवा रहे हैं तो पूरी जानकारी उस कॉलेज और उसके माहौल के बारे में पता कर लें . नहीं तो बाद में पछताना न पड़े . कुछ बड़े नामी गिरामी प्राइवेट कॉलेज में पैसों और नशे का बड़ा खेल है .
अपनी मेहनत से की हुई कमाई का सदुपयोग करें . नाम के जाल में न फसें