रविवार, 15 नवंबर 2009

ये स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया है स्टेट बैंक ऑफ़ maharshtra नहीं

 जैसा  की होता है अलगाववादी ताकतों ने फिर से मांग की है कि स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया में महाराष्ट्रियन  लोगों को ही नौकरी मिलनी चाहिए . शायद यह मांग करने वाले भूल गए कि यह एक राष्ट्रीय बैंक है प्रांतीय नहीं . इसी तरह के झगडे रेल सेवा के समय भी दिखाई  देते हैं . कौन है  इन झगडों का जिम्मेदार . व्यवस्था जो देश को बांटती है राज्य और जाती के नाम से और जनता खुश होती है इस को देखकर . विभाजन करो और राज करो . राज यानि राज ठाकरे भी वही कर रहा है . इस देश में शायद देश द्रोह का कोई कानून और सजा नहीं है .

7 टिप्‍पणियां:

संगीता पुरी ने कहा…

ग्‍लोबल युग में क्षेत्रीय मानसिकता .. हास्‍यास्‍पद प्रतीत होता है !!

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद ने कहा…

ये तो वोट बैंक आफ़ महाराष्ट्र है जी :)

राज भाटिय़ा ने कहा…

यही बाते देश को बांटती है, हमे भी ऎसे नेताओ का वहिसकार करना चाहिये.... केंद्र सरकार भी तो वोटो के लिये चुप है, हम किस ओर देश को ले जा रहे है?यह अलगाववादी ताकते है कोन इन्हे पहचानो ओर निकालो इस देश से

prabhat gopal ने कहा…

ये तो वोट बैंक आफ़ महाराष्ट्र है जी :)

शरद कोकास ने कहा…

भाई मैने तो पहले ही स्टेट बैंक की नौकरी छोड़ दी है । बरं झाल ना ? मतलब ठीक किया ना ?

SACCHAI ने कहा…

" aapka lekh karara tamacha hai un neta o ke gaalo per jo " prantwad " ka card khel rahe hai nahut hi badhiya aalekh sir "

----- eksacchai { aawaz }

http://eksacchai.blogspot.com

Science Bloggers Association ने कहा…

सही कहा आपने, कुछ लोगों की गुण्डागर्दी लाखों लोग भुगत रहे हैं। और कानून के रखवाले कान में उंगली डाल कर मौज मस्ती कर रहे हैं।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }