गुरुवार, 9 सितंबर 2010

चिकित्सा से उत्पन्न चोट का सहायक सेवा संस्थान

हमारे देश में जहां अभी पूरी  तरह से चिकित्सा व्यवस्था भी उपलब्ध नहीं है क्या ऐसी कोई व्यवस्था हो सकती है ? हमारी सबसे बड़ी कमजोरी रही है हर बात की नकल करने की, आज यह हो गया है की किसकी नकल करें , इसलिए फैसले या तो लिए नहीं जाते या अनिश्चित काल के लिए विलंबित होते हैं। हमारे नीति निर्धारकों ने स्वास्थ्य और शिक्षा को न्यूनतम श्रेणी में रखा लंबे समय  तक और इसे बीच वाली श्रेणी में रखा याने तेरा माई बाप कौन  । सारी अव्यवस्थाओं का कारण है हमारी मध्यवर्ती सूची जिसे फूटबाल के तरह जनता झेल रही है ।





7 टिप्‍पणियां:

राज भाटिय़ा ने कहा…

इन नेताओ कापेट ही नही भरता, ओर यह उन ऒलाद के लिये जमा कर रहे है जो हराम की है, इन की हे ही नही, तो अस्पताल कहां से बनाये

ZEAL ने कहा…

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It's our misfortune that our leaders/ politicians are unaware of the grievances of common man. They are unable to take right decisions for the benefit of poor and unprivileged .

Health standards are very poor in our country. They go for expensive machines and instruments , which are mostly out of order when required. And above all we do not have educated technicians to repair.

Instead it will be wise to have more doctors than the advanced technology to serve the needy.

Copying west is a foolishness. Situation in our country is very very different from there.

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कौशल तिवारी 'मयूख' ने कहा…

sundar

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद ने कहा…

अब होमियोपेथी और आयुर्वेद लोकप्रिय हो रहे हैं। शायद इस आल्टरनेटिव मेडिसिन से रोगियों को कुछ नीजात मिले॥

डॉ टी एस दराल ने कहा…

स्वास्थ्य सबसे बड़ा धन है । इसे उपेक्षित करके भला नहीं हो सकता । अपरोक्ष रूप से कहीं ज्यादा हानि होने की सम्भावना रहेगी ।

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

सबको स्वास्थ्य मिलना प्राथमिकता।

कुमार राधारमण ने कहा…

तस्वीर बहुत मार्मिक है। उसे थोड़ा और बड़ा कर पोस्ट के ऊपर रख दें,तो कथ्य और प्रभावी प्रतीत होगा।