इन्द्रधनुष सामान्यतः आसमान में दिखाई देता है लेकिन यह आँखों के सामने है . यहाँ पर एक पाइप से पानी ऊपर की ओर जा रहा था जिससे परावर्तित सूर्य की किरणे यह मनोरम दृश्य उत्पन्न कर रही थी .
अगले दिन गंगोत्री के लिए निकले रस्ते में एक स्थान पर भूस्खलन हुआ था जिसके कारण कुछ समय रुकना पड़ा . सीमा सड़क बल की तत्परता से रास्ता फिर से ठीक कर आवागमन के लिए खोल दिया गया
एक पुल से गुजरते हुए नीचे गहराई में बहती नदी . ड्राईवर के अनुसार एशिया का दूसरा सबसे ऊंचा पुल . पुल काफी पुराना भी है
दोपहर में गंगोत्री पहुंचे
गंगोत्री मंदिर
काम से लौटती महिलाएंजलप्रपात
गूजर बाल चरवाहा
गंगोत्री में दर्शन और भोजन के बाद वापस नेताला की ओर निकले . रात्रि विश्राम नेताला में .
क्रमश :