ये मैं नहीं कह रहा हूँ , एक वैज्ञानिक सर्वेक्षण कह रहा है . लोगों को हिन्दी और अंग्रेजी पढने और बोलने कहा गया . साथ ही साथ उनकी मस्तिष्क की गतिविधियों की जांच की गयी . पाया गया कि हिन्दी पढने और बोलने के लिए दिमाग के दाएं और बाएँ दोनों हिस्सों का इस्तेमाल होता है जबकि अंग्रेजी पढने के लिए केवल बाएँ भाग का . शोधकर्ताओं का कथन है ऐसा इस लिए होता है क्योंकि हिन्दी पढने के लिए ऊपर नीचे पढ़ना पड़ता है, मात्राओं के कारण, जबकि अंग्रेजी सपाट भाषा है .
7 टिप्पणियां:
आपने इसी बहाने एक नयी जानकारी दी महेश भाई।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
आत्मन भाई समाचार एजेन्सी भाषा द्वारा प्रदत्त इस रिपोर्ट के एक अखबार में प्रकाशित होने पर समीक्षा एवं आलोचना पर आधारित हमारी वेबसाइट भड़ास8मीडिया में इस पर लिखा है नजर मारियेगा।
असली बात है हिन्दी बोलने के लिये दिमाग चाहिये, अग्रेजी तो बिना दिमाग के यानि गुलाम भी बोल लेते है:)
धन्यवाद इस जान्कारी के लिये
ये मैं नहीं कह रहा हूँ , एक वैज्ञानिक सर्वेक्षण कह रहा है .
अच्छा होता, यदि आप उस वैज्ञानिक सर्वेक्षण का मूल सन्दर्भ देते ।
जी, बोल बोल कर थक गये!! कुछ असर ही नहीं दिखा रहा दिमाग पर. :)
बडी दूर की कौडी ले आए डाक्टर सा’ब :)
BAHOOT ACHHEE JAANKAARI HAI MAHESH JI .... SAB BACHHON KO JAROOR PADHWAANI CHAAHIYE YE ..
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