शुक्रवार, 27 नवंबर 2009

इस देश में कुछ बदलता भी है क्या ? कंपनियों के खोखले दावे

आज हमारे देश में सभी के लिए हर तरह के सामान उपलब्ध हैं , जिन्हें पहले एक छोटा सा समूह ही खरीद पता था , यह बात अलग है कि मीडिया अभी भी उन्हें विलासिता की वस्तु के दायरे में रखता है जैसे टीवी , फ्रीज ya वाशिंग मशीन. इन सारी वस्तुओं के साथ ही आई गारंटी  ya वारंटी की सौगात. बड़े बड़े वादे किये  जाते हैं . कस्टमर सर्विस टोल फ्री नम्बर जिससे आपको पैसा खर्च न करना पड़े किसी सेवा ya जानकारी के लिए . ya तो यह नंबर लगेगा नहीं ya आपके धैर्य की परीक्षा हो जाएगी संगीत ya होल्ड करते हुए .एक बार में अगर आपका काम हो गया तो अपने को धन्य समझिये . यही हाल इनके ईमेल का होता है , जवाब मिलेगा भी तो पता नहीं कब . एक संस्था ने तो औटोमटिक मेसेज भेज दिया था कि आपका मेल प्राप्त हुआ , आपको इसका जवाब २१ दिन में मिल जाना चाहिए , नहीं तो इस नंबर पर संपर्क करें! .
टीवी में आजकल दो पानी साफ़ करने वाली कंपनियों के बीच जंग छिड़ी हुइ है , मेरा पानी तेरे पानी से ज्यादा साफ़ . एक कंपनी तो एक करोड़  रपये का इनाम भी देने को तैयार है .
मैंने भी हिंदुस्तान यूनी लीवर कंपनी का pureit नामक यन्त्र खरीदा . दिवाली की सफाई के समय पुताई मजदूरों ने इसे गिरा दिया जिससे इसका डिब्बा टूट गया .७/१०/०९ को शिकायत की गयी, दो दिन बाद एक व्यक्ति आया और उसने खर्च बताकर कल आने को कह कर गया . वो दिन और आजका दिन तीन बार विभन्न नंबरों में शिकायत की गयी , हमेशा यही जवाब मिलता है आज कल में काम हो जायेगा . ईमेल का कोई जवाब नहीं .
इस तरह के न जाने कितने मामले होते हैं . एक वक्त था इस देश में ग्राहक को भी भगवान मना जाता था . आज शायद वह अलिएन हो गया है . मॉल भर खरीद ले फिर जय रामजी की .
क्या कारण है कि सर्विस को इस देश में महत्व नहीं दिया जाता . मुझे कई लोग मिले जो अपनी नई गाडी को सर्विस के लिए नहीं भेजते यह सोच कर कि न जाने कौन सा सामान  बदल दिया जायेगा, सर्विसिंग तो खाली धुलाई भर होगी तेल और फिल्टर का पैसा वसूला  जायेगा . उपभोक्ता क़ानून भी बना लेकिन वह भी सरकारी जंजाल में फँस गया .

 

4 टिप्‍पणियां:

Gyan Dutt Pandey ने कहा…

बड़ी से बड़ी कम्पनियां सामान बेचने में दक्ष हैं, सर्विसेज के माने में खोखली! :(

प्रवीण त्रिवेदी ने कहा…

बड़ी कम्पनियां हैं ....तो उनके नखरे भी तो बड़े बड़े ही होंगे ? अपनी समझ तो यही कहती है ....!

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद ने कहा…

कम्पनी के वादे... रात गई बात गई॥

कसमे, वादे, प्यार वफ़ा सब
बाते हैं बातों का क्या :)

राज भाटिय़ा ने कहा…

वाह क्या बात है, बहुत सुंदर जानकारी