किन्तु परंतु, कई प्रश्न और विवाद हर बात के साथ खड़े किए जा सकते हैं , इस बार शायद यह कम रहा ।
कई लोग याद किए गए, सिद्धार्थ ने सौम्यता पूर्ण कहा कि सबको खुला निमंत्रण था । ललित शर्मा याद किए गए कि उनका एक सम्मेलन छत्तीसगढ़ में करवाने का वादा अब तक पूरा नहीं हुआ ।
समापन से पहले रवि रतलामी जी का दूरस्थ प्रसारण एक नयी बात हुई , मोबाइल और इंटरनेट का मिला जुला उपयोग ।
वापसी का रेल आरक्षण कनफर्म नहीं हो पाया था इसलिए मैंने और संजीत ने थोड़ा पहले स्टेशन जाने और वहाँ जगह ढूँढने का निश्चय किया । हम उस वक़्त की गाड़ियों को देख रहे थे । एक तों खचाखच भरी हुई थी इसलिए अगली का इंतेजार किया । आश्चर्य हुआ जब मुंबई मेल के आने की घोषणा हुई क्योंकि यह उसका आधिकारिक समय नहीं था । चार महीने पहले हुए नक्सली हमले के बाद से अभी भी कोलकाता से मुंबई चलने वाली ट्रेने , एक बड़े क्षेत्र में रात में नहीं चलाइ जा रही हैं। खैर किसी तरह इसमें स्थान मिला ।
नागपुर स्टेशन से निकलते समय आवाज हुई और ऐसा लगा कि बोगी एक तरफ झुकी हुई है और बड़ी ज़ोर से हिल रही है । अटटेंडेंट से पूछने पर उसने कहा कि प्लैटफ़ार्म में पातों का ठीक से रखरखाव नहीं होने से ऐसा होता है । ट्रेन की गति ज्यादा नहीं थी ।
सुबह के अखबार में खबर थी कि उसके बाद उसी प्लैटफ़ार्म से निकलने वाली अहमदाबाद एक्सप्रेस के कुछ डब्बे पटरी से उतर गए । भाग्य से किसी को कोई चोट नहीं आई ।
आलोक धनवा जी हिन्दी विश्वविद्यालय के विशिष्ठ आमंत्रित हैं उनकी कवितायें और विचार सुनने मिले ।
कुछ विचार आप भी सुनिए. सौजन्य : संजीत त्रिपाठी
अनीता कुमार जी चित्र लेने में व्यस्त
33 टिप्पणियां:
खुदा का शुक्र है कि आप सकुशल लौट आयें . बधाई .
आपकी कुशलक्षेम हमारी प्रसन्नता है।
प्रिय बंधु,,
आपकी पोस्ट के शीर्षक ने तो एकबारगी डरा ही दिया था.
कुशलता जान संतोष हुआ.
आपका ऋ.
शुक्र है कि आप लौट आये ....और सकुशल !!!!
सार्थक और सराहनीय वर्णन...आलोक धन्वा जी के विचारों की प्रस्तुती अच्छी लगी साथ में अनीता कुमार जी की तस्वीर भी | आप सभी से मिलना एक सुखद और यादगार अनुभव दे गया ...
डॉक्टर साहब,
अन्त भला तो सब भला…
ब्लॉगरों की हिफाजत के लिए खुदा खुद उतर आता है जमीं पर, इसलिए भय की कोई बात नहीं है मेरे बहादुर हिन्दी ब्लॉगरों।
आज की यात्रा से सकुशल लौट आना भी सौभाग्य ही है .. शुभकामनाएं !!
आपकी पोस्ट के शीर्षक ने तो डरा ही दिया था। लेकिन आप सकुशल हैं, जानकर अच्छा लगा। आपसे मिलना अच्छा लगा।
वाह महेश भैया, बढिया रपट है।
शायद आपने मेरी पोस्ट पूरी नहीं पढी है। मैने खुले या बंद आमंत्रण की बात नहीं की है। जो मेल लोगों को भेजा गया,वह मुझ तक नहीं पहुंचा यह कहा है। आमंत्रण कुछ लोगों के लिए खुला था और कुछ के लिए बंद।
रही छत्तीसगढ में सम्मेलन करवाने की बात तो पिछले मीट पर ही आपने देख लिया था ।आपका आदेश शिरोधार्य है,अवश्य ही इस कार्य को शीघ्र सम्पन्न किया जाएगा।
याद करने के लिए आपका आभार
आप कुशलता से है, जानकर अच्छा लगा. आशा है हम फिर मिलेंगे...
.
आपको सकुशल जानकार प्रसन्नता हुई । इश्वर आपको दीर्घायु करे।
.
ब्लागर बैठक और हादसा... दो अनुभव लेकिन भिन्न!!!!!! आप सकुशल है ईश्वर को धन्यवाद॥
गागर में सागर।
दुर्घटना की रिपोर्ट तो हमने भी पढी थी, शुक्र है वह बाद में घटी।
सब से भेंट कर बहुत प्रसन्नता हुई. आप दोनों की सकुशलता जान राहत अनुभव कर रही हूँ.
http://hindibharat.blogspot.com/2010/10/blog-post_13.html
अच्छा लगा सकुशल हैं |
आपकी पोस्ट के शीर्षक ने तो एकबारगी डरा ही दिया था.कुशलता जान संतोष हुआ.
आप सकुशल हैं जानकर अच्छा लगा...और दूसरी ट्रेन में भी कोई हताहत नहीं हुआ...यह एक अच्छी खबर है
बहुत सुंदर लेख, भगवान ओर रेल गाडी के ड्राईवर का धन्यवाद जो आप राजी खुशी घर पहुच गये
बचे! लाख शुक्र ईश्वर का !
शुक्र है आप सकुशल हैं ।
ऊपर वाले की छत्र छाया बनी रहे ।
आप दोनों कुशलता से घर पहुंच गये, जानकर अच्छा लगा. आशा है हम फिर मिलेंगे...
आपको सकुशल जानकर बहुत प्रसन्नता हुई
इसे कहते हैं बाल-बाल बचना। आप इसके लिए ईश्वर का शुक्रिया अदा कीजिए। आपके सुरक्षित होने का समाचार पढ़कर बहुत अच्छा लगा।
इसे कहते हैं बाल-बाल बचना। आप इसके लिए ईश्वर का शुक्रिया अदा कीजिए। आपके सुरक्षित होने का समाचार पढ़कर बहुत अच्छा लगा।
इसे कहते हैं बाल-बाल बचना। आप इसके लिए ईश्वर का शुक्रिया अदा कीजिए। आपके सुरक्षित होने का समाचार पढ़कर बहुत अच्छा लगा।
आपके सुरक्षित बचने की खबर सुनकर बहुत खुशी हुई। यह तो ईश्वर की ही कृपा है। आप उनका शुक्रिया अदा कीजिएगा।
आपसे मिलकर बहुत अच्छा लगा वर्धा में ।
आप सब के स्नेह एवं सदभावना संदेशो के लिए हार्दिक धन्यवाद।
अपनी सकुशलता के लिए ईश्वर का शुक्रिया अदा कीजिए
11-16 अक्टूबर पुणे में था, लौट कर ही यह पोस्ट विस्तृत पढ़ पाया
इसे आपके अच्छे कर्म व ईश्वर की कृपा ही कहें कि उन्होंने आपकी रक्षा की व आप सकुशल घर लौट आए। वर्धा ब्लॉगर सम्मेलन की बेहतर प्रस्तुति के लिए बधाईयाँ।
इसे आपके अच्छे कर्म व ईश्वर की कृपा ही कहें कि उन्होंने आपकी रक्षा की व आप सकुशल घर लौट आए। वर्धा ब्लॉगर सम्मेलन की बेहतर प्रस्तुति के लिए बधाईयाँ।
पहली बार आपके ब्लॉग पर आया हूँ, मुझे नहीं पता था कि आप भी ब्लॉग लिखते हैं - देर से ही सही - आ गया हूँ खजाने के पास !
चलो आप सकुशल वापस आ गये , इससे बड़ा आशीष और क्या इश्वर का !
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