अगर आप किसी बात का विरोध नहीं करते तो इसका अप्रत्यक्ष मतलब यही है की उस बात या विश्वास का आप समर्थन कर रहे हैं । यही अंतर है देशभक्ति और देशद्रोह में ।
इस देश की सबसे बड़ी विडंबना यही लगती है की इस नए माध्यम(ब्लॉग या बज) का उपयोग देश और जनकल्याण के लिए करने के बजाय और कुछ रूप में किया जा रहा है ।
हर जगह राजनीति नहीं होनी चाहिये लेकिन हो यही रहा है । इंसान की जान के सौदे हो रहे हैं और लोग या तो इन दुर्दांत घटनाओ का समर्थन कर रहे हैं या चुप हैं ।
इस देश में क्या कभी कोई क्रांति हो सकती है या हर बात में सौदेबाजी होगी