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गुरुवार, 4 जून 2009
महिला राज्यम जय हो
हर किसी की आरक्षण की मांग में महिलाएं भी खड़ी हो गई हैं और पुरूष नेता उन्हें झुनझुना दिखा रहे हैं, जबकि एक बड़ी राष्ट्रीय पार्टी की मुखिया एक महिला है । उन्हें ये जो स्थान प्राप्त हुआ है उसके बाद तो उन्होंने जहाँतक हो सका मजबूती ही दिखाई है । अन्य राष्ट्रीय स्तर की महिला नेताओं ने जो स्थान बनाया है वो भी उनकी एक उपलब्धि है । क्या आवश्यकता है उन्हें कटोरा लेकर भीख मांगने की ? उनके पास मत देने का अधिकारहै और अगर वे एक जुट होकर केवल सही उम्मीदवारों का समर्थन करें तो १००% उनके द्वारा चुने हुए लोग ही सत्ता में आयेंगे । जिससे न केवल देश को ही एक नई दिशा मिलेगी बल्कि बहुत सारे अनावश्यक नेताओं सेछुटकारा मिलेगा । इसमे तो कोई विवाद नही हो सकता क्योंकि महिलायों की नजर पारखी होती है .
भारत की राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा देवी पाटिल , सरकारी पार्टी की मुखिया सोनिया गाँधी , लोकसभा अध्यक्ष मीराकुमार कई प्रमुख बैंको की मुखिया महिलाएं । क्या अभी भी आवश्यकता है महिला आरक्षण की । वैसे भी आजकलवैज्ञानिक हलको में चर्चा है की पुरूष और पौरूषता अवनति की ओर हैं और यही अवस्था रही तो पुरूष का सफायाहो जाएगा ।
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