हे प्रियजनों
नमस्कार
लगता है अनामधारी टिप्पणीकर्ताओं ने एक नया रूप धरा है । अब छद्म नाम की जगह एक वास्तविक से लगते नाम को ब्लॉगर में रजिस्टर करके प्रतिक्रिया व्यक्त करने का । अपना नाम संभाल के रखियेगा कोई चुरा न ले ।
आप ही या कोई तकनीकी व्यक्ति ही सुझा सकता है इसका इलाज । वैसे ये एक मानसिक समस्या भी है , ऐसा क्या भय है की नाम छुपाओ , ग़लत नाम बताओ , फोटो छुपाओ , अपनी जगह चिडिया की फोटो लगा दो । इस संगणक के महाजाल ने न जाने कितनी नई विषमताओं को जन्म दिया है । कवि और लेखक तो अपना नाम बढ़ा कर तख्हल्लुस तक रख लेते हैं की उनकी अलग पहचान बने । ठीक है हर कोई कवि और लेखक तो नही ।
2 टिप्पणियां:
जी सही लिखा आपने नित रोज़ नयी समस्या कड़ी हो रही है..पर निदान भी है...
माडरेशन ही फ़िल्हाल एकमात्र उपाय है इनसे बचने का।
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