गुरुवार, 16 जुलाई 2009

ऐसे तो हो चुका नक्सलवाद का इलाज

राज्यपाल द्वारा बुलाई गई बैठक को एक प्रभावशाली नेता ने निरस्त करवा दिया. ऐसे तो होने से रहा कोई काम. छत्तीसगढ़ के राज्यपाल ने एक सर्वदलीय बैठक बुलाई थी नक्सल समाया के बारे में . पहले तो कांग्रेस में ही सर फुट्टवल होने लगी बैठक के बहिस्कार को लेकर और अंत में ये हासिल हुआ। कांग्रेस क्या इस राज्य के लोगों को बेवकूफ समझती है । अभी हाल फिलहाल में दो चुनाव हार कर भी चैन नही आया तो अपने आकाओं से राष्ट्रपति शासन की मांग कर डाली । भइया पहले अपने घर का नेता तो चुन लो फिर गद्दी की तैयारी करना । आज पहली बार चिदंबरम ने स्वीकार किया की देश की सबसे बड़ी समस्या नक्सलवाद है । अपने राज्य के नेताओं को भी जरा समझा दें ये बात जो सिर्फ़ राज की बात सोचते हैं जनता की नही । अबूझमाड़ के द्वार बंद कर के आदिवासियों को उनके हाल पर ३० साल तक छोड़ने वाले कौन ? ६ साल के अलावा इस राज्य में आज तक शासन किसने किया ( पुराने मध्य प्रदेश को मिलाकर ) ? वाम दलों से समझौता किसने किया जो नक्सलवादियों के समर्थक हैं ? चुनाव से पहले नागा केंद्रीय दल को हटाने का कारण क्या था ? कहने को तो राज्य की आतंरिक सुरक्षा का जिम्मा राज्य सरकार का होता है लेकिन वो एक भी सिपाही केन्द्र की अनुमति के बिना नही रख सकती । हथियारों की तो बात ही नही करें प्रथम विश्व युद्ध के हथियार लेकर ऑटोमेटिक से लड़ना तो आम आत्महत्या करना ही है । पड़ोस का दुश्मन तो दिखाई देता है घर का दुश्मन लंका ढाये । राहुल भइया आप ही कोई क्लास लो अपने नेताओं की .

1 टिप्पणी:

Anil Pusadkar ने कहा…

महेश भैया आपको भी सच बोले बिना चैन नही आता लगता है।लोकल कांग्रेसियो के लिये नक्स्लियों स बड़ी समस्या डा रमन सिंह है इसिलिये तो वो चिल्ला रहे है रमन हटाओ भले ही नक्स्ली मत हटाओ।