इन्द्रधनुष सामान्यतः आसमान में दिखाई देता है लेकिन यह आँखों के सामने है . यहाँ पर एक पाइप से पानी ऊपर की ओर जा रहा था जिससे परावर्तित सूर्य की किरणे यह मनोरम दृश्य उत्पन्न कर रही थी .
अगले दिन गंगोत्री के लिए निकले रस्ते में एक स्थान पर भूस्खलन हुआ था जिसके कारण कुछ समय रुकना पड़ा . सीमा सड़क बल की तत्परता से रास्ता फिर से ठीक कर आवागमन के लिए खोल दिया गया
एक पुल से गुजरते हुए नीचे गहराई में बहती नदी . ड्राईवर के अनुसार एशिया का दूसरा सबसे ऊंचा पुल . पुल काफी पुराना भी है
दोपहर में गंगोत्री पहुंचे
गंगोत्री मंदिर
काम से लौटती महिलाएंजलप्रपात
गूजर बाल चरवाहा
गंगोत्री में दर्शन और भोजन के बाद वापस नेताला की ओर निकले . रात्रि विश्राम नेताला में .
क्रमश :
6 टिप्पणियां:
सुन्दर चित्रों के साथ बढिया वर्णन. आगे की कडियों का इंतजार है.
भाई आप की यह देवभूमि यात्रा बहुत सुंदर लगी, कृप्या आप यह जरुर लिखे कि हरिदुवार से नेताला ओर गंगोत्री कितने किलो मिटर दुर है, ओर यहां पहाड की उंचाई समुंदर तल से कितनी है.बहुत सुंदर चित्र
आप का धन्यवाद
interesting..
बहुत ही सुन्दर चित्र और यात्रा वृत्तांत. आभार.
सुन्दर चित्रों से सजी .... सुन्दर यात्रा वृतांत ...... आगे की प्रतीक्षा है ......
sundar sansmaran hai.
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