हम यह जानते हैं कि हर वस्तु का आधार अणु और परमाणु हैं . फिर ये भेद क्यों कि किसी को हम जड़ कहते हैं किसी को चेतन . इन छोटे छोटे कणों में विशाल उर्जा समायी हुई है . इस उर्जा का धनात्मक या ऋणात्मक दोनों उपयोग किया जा सकता है . यह बात भी कही जाती है कि हर चीज के दो पहलु होते हैं और यह सत्य भी है . ऋण और धन के बिना उर्जा का प्रवाह नहीं होता . उचाई के बिना गहराई नहीं होती . अच्छे के बिना बुराई नहीं होती .
अगर दूसरा पहलु नहीं हो तो शायद उस गुण को पहचानना मुश्किल हो जाये . ठण्ड है तो गर्मी भी है , अगर एक नहीं होता तो पता कैसे चलता कि क्या ठण्ड है और क्या गर्मी .
जब हर वस्तु का आधार अणु परमाणु हैं तो जड़ और चेतन का अंतर क्यों ? ऐसा क्या है जिससे कोई वस्तु चेतन होती और दूसरी जड़ . मशीन, वाहन इत्यादि चलायमान हैं लेकिन चेतन नहीं . तो चलायमान होना भी चेतना नहीं है . संवाद कर लेना भी मशीनों के बीच संभव है , यह भी भेद नहीं प्रकट करता जड़ और चेतन का . या यह हमारी सोच का अंतर है कि जिस बात को हम महसूस नहीं कर पाते उसे जड़ कह देते हैं और जिसे कर पाते हैं उसे चेतन . मनुष्य के विभिन्न स्नायु तंत्रों की भी एक सीमा है और इसीसे विज्ञानं ने विभन्न तरंग धैर्यता को मनुष्य की समझ के अनुसार अलग अलग दर्शाया है . जैसे प्रकाश की अलग तरंग धैर्यता है तो ध्वनि की अलग . अभी तक प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रकाश की गति ही तीव्रतम मानी गयी है . लेकिन पराविज्ञान इससे भी तेज उर्जा के बारे में जानता है जैसे संवादों और विचारों का तुंरत एक स्थान से दूसरे स्थान पहुच जाना .
कुछ दिनों पहले एक प्रयोग किया गया है जिसमे अन्तरिक्ष की एक सम्बह्वित दिशा में एक सन्देश भेजा गया है जिसे अनुमान से २० वर्ष लेंगे वहां तक पहुँचने के लिए ? इतने लम्बे प्रयोग का क्या फल होगा ये तो समय ही बताएगा कितने लोग हैं आज जो उसका कोई सम्बह्वित उत्तर आने तक जीवित रहेंगे . विज्ञान कि अभी की अवस्था बहुत ज्यादा सक्षम नहीं है ब्रह्मांड के रहस्यों को समझने के लिए
8 टिप्पणियां:
रहस्यमय जानकारी ।आभार ।
छोटे छोटे कणों में विशाल उर्जा समायी हुई है .. क्या जड है और क्या चेतन .. बिल्कुल सही !!
विज्ञान कि अभी की अवस्था बहुत ज्यादा सक्षम नहीं है ब्रह्मांड के रहस्यों को समझने के लिए
सटीक विश्लेषण..
.. हैपी ब्लॉगिंग
डा सिन्हा जी, बहुत् ही रोचक तथा महत्वपूर्ण लेख। जड व चेतन विषय पर काफ़ी काम् किये जाने की आवश्यकता है। खासकर विज्ञान कथा लेखकों को इस विषय को गहराई से खंगालने की आवश्यक्ता है। इस आधार पर् यह लेख/ब्लोग कल्किआन् हिन्दी के लिये भी बेहद महत्वपूर्ण है। अतः मै आपसे अनुरोध करुगा कि कृपया इस् लेख को कल्किआन् हिन्दी मे भी प्रकाशित करवायें।
विज्ञान कि अभी की अवस्था बहुत ज्यादा सक्षम नहीं है ब्रह्मांड के रहस्यों को समझने के लिए
आप ने बिलकुल सही कहा,
डॉक्टर साहब अंतरिक्ष की ओर एक सन्देश भेजा गया है यह क्या कम उपलब्धि है । मै तो विज्ञान के चमत्कार देख देख कर अभिभूत होता हूँ । हमसे एक-दो पीढ़ी के लोग अगर जीवित हो जाये तो वे यह सब देख कर विश्वास ही नही कर पायेंगे क्योंकि उन्हे पता ही नही था भविश्य मे क्या घटित होने वाला है और हमे भी कहाँ पता है ?
इस विषय में मेरा अपना दृ्ष्टिकोण तो ये है कि विज्ञान की जो अन्तिम सीमा रेखा है.....वही पराविज्ञान का प्रारंभ बिन्दु है। यदि तुलनात्मक रूप से कहा जाए तो आधुनिक विज्ञान की दशा एक अन्धे इन्सान से भिन्न नहीं है........
जड और चेतन के बारे में बढिया विश्लेषण किया आपने!!
आपके इस ब्लाग से इस दिशा मे इशारा करने मे भी आसानी होती है कि चेतन और अचेतन का असितत्व हमारे असितत्व से संंबंधित है। होमो-सेपियन द्वारा विकास की उस दहलीज तक पहुँचना जहाँ वह चेतन आचेतन का निर्माण करें शायद प्रथ्वी पर 'बुद्दीमान' जीवों के विकास क्रम का एक पडाव भर है। मानव के सहयोग से मशीनों ने वास्तव मे मानव की अपेक्षा तीव्र गति से विकास किया है -- भविश्य मे बहुत कुछ प्रथ्वी पर'जीवन' के इन् दो प्रारूपों के आपसी सहयोग वा सामन्ज्स्य पर निर्भर करेगा। आपका ब्लाग नये विचार जाग्रत करता है। बहुत बहुत आभार अपना अनुभव बांटने के लिये।
स्वप्निल् भारतीय
कल्किआन हिदी
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