शुक्रवार, 10 जुलाई 2009

ममता की रेल, वही रेलमपेल

रेल विभाग ने छत्तीसगढ़ को फिर अंगूठा दिखा दिया . कोई नयी बात नहीं क्योंकि न यहाँ के लोग स्टाप या ट्रेन बंद होने पर आग लगाते हैं या जहाँ लाल झंडे से डरकर रेलवे खुद बंगाल में अपना सञ्चालन बंद कर देता है . यहाँ अगर कभी रेल रोको आन्दोलन हुआ भी तो केस दर्ज हो जाता है , बंगाल में कितने केस दर्ज हुए ? अगर क्षेत्रीयता की बात छोड़ भी दी जाये तो रेलवे कितने राष्ट्रीय मुद्दे पर काम करता है . कोल्कता से मुंबई वाया नागपुर माल भाड़े के यातायात का इतना दबाव है कि पैसेंजर ट्रेनों को लेट चलाया जाता है ओर माल यातायात का गलियारा कहीं ओर बनाया जाता है . भिलाई स्टील प्लांट जो कि इस देश का एक बहुत बड़ा संस्थान है ओर जिसने सैल को संकट से उबारा था उसके संसाधन परिवहन की योजना दशकों से लंबित है कब जागेगी इस देश की सर्कार जब ये कारखाना बंद होने लगेगा .
ममताजी ने एक ओर दूर की कौडी लायी है लम्बी दूरी की बिना रुके ट्रेन ! जहाँ राजधानी एक्सप्रेस को समय से चलने के लाले हैं वहां कितनी सफल होगी ये योजना . शायद ममता की निगाह उड्डयन मंत्रालय पर है, वैसे भी एयर इंडिया की हालत ख़राब है.
हमारे एक नेताजी ने एक सलाह भी दे डाली कि छत्तीसगढ़ से गुजरने वाली इन ट्रेनों की सफाई के लिए यहाँ स्टाप बनाया जाये . वाह भाई वाह अब छत्तीसगढ़ अपनी मजदूरी में एक नया अध्याय जोड़ ले सफाई का ?

1 टिप्पणी:

समयचक्र ने कहा…

आजकल क्षेत्रवाद के आधार पर राजनीति की जा रही है . असल में जहाँ जरुरत है वहां पर ध्यान नहीं दिया जाता है . रेलवे विभाग द्वारा वजट में छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश की और बिलकुल ध्यान नहीं दिया गया है . बस फर्क यह की लालू की जगह ममता की रेल चल रही है .