कौन है इसका जिम्मेदार ? क्या कोई व्यवस्था है इस देश में जो इस देशद्रोह को पनपने देने के लिए जिम्मेदार लोगों को रेखानाकित करेगी और उन्हें उनके कर्मों की सजा देगी ? इतना सब होने के बाद भी केंद्र सरकार के मंत्री विरोधाभासी बयां दे रहे हैं . आज बयां आता है गृह मंत्री का कल किसी और तरह का और मंत्री या सेना अध्यक्ष का अलग . क्या दिशा है है इस सरका की एक नीति बना के तो चले . राजधानी एक्सप्रेस को अगवा कर लेना कोई छोटी मोटी घटना नहीं है . लेकिन इससे भी बड़ी घटना है कि नेपथ्य में क्या हुआ? जिससे इस तरह लोगों को छोड़ दिया गया . आज सारी सुरक्षा कुछ गिने चुने लोगों की बीच केन्द्रित हो गयी है . कुछ तो वाकई इसके हकदार हैं लेकिन बहुतेरे चवन्नी छाप भी इसका फायदा उठा रहे हैं . जो नेता अपनी जनता से मिलने में घबराता है या सुरक्षा घेरे में मिलता हैं उसे तो चुल्लू बहर पानी में डूब मरना चाहिए . अमेरिकी राष्ट्रपति से भी जादा असुरक्षित मानते है ये अपने को.
कई बार लगता है हम अपना तनाव व्यर्थ में बढा रहे हैं उन घटनाओं से जिनका हमारी जिन्दगी से सीधा सम्बन्ध नहीं है लेकिन फिर यही लगता है यह बर्दास्त के बाहर है और विरोध तो होना ही चाहिए .
मैं गांधी वादी नहीं हूँ लेकिन गाँधी की एक बात सटीक रही कि लगे रहो .