अगली सुबह बद्रीनाथ के लिए प्रस्थान .रास्ते में वह पुल भी पड़ा जो इस साल जून में बदल फटने के कारण बह गया था उसका निर्माण कार्य जारी है . करीब २ १/२ घंटे में बद्रीनाथ पहुँच गए .बद्रीविशालजी का मंदिर नारायण पर्वत के नीचे स्तिथ है . निकट ही नीलकंठ की चोटी है जो हमेशा हिमाच्छादित रहती है . सामने की ओर नर पर्वत है . दर्शन के बाद नाश्ता और मध्यान्ह प्रसाद ग्रहण करने के बाद अगला पडाव माना गाँव था जो कि यहाँ से करीब ४ किलोमीटर दूर है . यह इस सीमा में भारत का आखरी गाँव है. इस गाँव में गणेश गुफा, व्यास गुफा , सरस्वती नदी का उद्गम और मंदिर तथा भीम शिला हैं . कहा जता है कि व्यास मुनि ने वेदों का उच्चारण किया और गणेश जी ने लेखांकन . यह भी कहा जाता है कि पांडव महाभारत के बाद इसी दिशा से आगे बढे थे और युधिस्ठिर इसी रास्ते से स्वर्गारोहण के लिया अग्रसर हुए थे .
टूटा पुल
श्री बद्री विशाल
हिमाच्छादित नीलकंठ
नारायण पर्वत
नर पर्वत
गणेश गुफा
व्यास गुफा
आखरी चाय की दुकान
बैंक यहाँ भी
पिट्ठू
सरस्वती नदी में इन्द्रधनुष
पूजा करते साधू
मानसरोवर की जल धारा
सरस्वती मंदिर
भीम शिला
दूरसंचार क्रांति, आखरी मील तक संपर्क
सतोपंथ यात्रा
सरस्वती का संगम
बद्रीनाथ से वापसी
दोपहर में वापसी की यात्रा प्रारंभ हुई . रात्रि विश्राम पीपलकोटी में हुआ .
क्रमशः:
7 टिप्पणियां:
अच्छे चित्र .. सुंदर प्रस्तुतीकरण .. आपको बद्रीनाथ यात्रा की बधाई !!
महेश जी आप ने तो मन को लालच से भर दिया, इअतने सुंदर सुंदर चित्र, इतना सुंदर लेख, दिल करता है दो तीन महीने की छुट्टियां ले कर यहा घुम आये, ओर फ़िर यही कही बस जाये, सच मै बहुत सुंदर आप का धन्यवाद
बेहतरीन चित्र. इसी माध्यम से घूमने का आनन्द मिल जा रहा है. बहुत आभार आपका.
घर बैठे ही बेहतर यात्रा करायी आपने ।
आभार ।
आपकी पोस्ट देख/पढ कर ही तीर्थयात्रा हो रही है।
CHITRMAY TEERTH YAATRA HUM BHI AAPKI SAATH SAATH AANAND LE RAHE HAIN ...
महेश जी चित्रो के माध्यम के आप ने यहा की सैर करा डाली बहुत बहुत धन्यवाद ।
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