कुछ दिनो से टीवी में एक विज्ञापन आ रहा है , कुछ अलग सा. "अमन की आशा"
दरअसल यह एक प्रयास है , "टाइम्स ऑफ इंडिया" और पाकिस्तान के"जंग" समूह का दो देशों के बीच मैत्री एवं सदभावना का . अच्छा प्रयास है की दो पड़ोसी अच्छे रिश्ते बना सकें . इस प्रयास का महत्व इस लिए भी बढ़ जाता है कि यह कोई राजनैतिक प्रयास नहीं है . दोनों देशों के प्रतिष्ठित समाचार पत्र समूहों का है .
जितना खून इन देशों में बहा है आजादी के बाद , विभिन्न कारणों से शायद ही इतना रक्त पात कभी इस धरा पर हुआ हो . अंग्रेजों ने अपनी राजनीति खेली और सफल रहे वही खेल हमारे कुछ लोगों ने सीख लिया और आजाद होते हुए भी पड़ोसी देश नफरत और हिंसा का जहर पीते रहे .इन का प्रयास कितना सफल होगा यह तो वक्त ही बताएगा लेकिन आम आदमी तंग आ चुका है इस हिंसा से .
कुछ लोग इन प्रयासों से सहमत नहीं भी होंगे क्योंकि उनकी दुकान बंद हो जाएगी . लेकिन इनकी दुकानदारी
से ज्यादा जरूरी है अमन और चैन
11 टिप्पणियां:
इस प्रयास को शुभकामनायें।
ज्यादा जरूरी है अमन और चैन-सही कह रहे हैं. हर तरफ इसी की आशा है.
" inka prayash safal ho yahi prathana "
" ek acchi post "
----- eksacchai { AAWAZ }
http://eksacchai.blogspot.com
इन्ही बातो की वजह से यहाँ भी वोट मिलते है और वहाँ भी, अगर अमन क़ायम हो गया तो कितनो की तो दुकान ही बंद हो जाएगी, अवाम के बारे मैं आज तक किसी ने सोचा है जो अब कोई सोचेगा
पंछी, नदिया, और पवन के झोंके,
कोई सरहद न इनको रोके..
ज़रा सोचो तो क्या खोया, क्या पाया,
हमने इंसान होके...
जय हिंद...
angrej chale gaye par angreji chhod gaye... apni vichaardharaa aur niyatai yahin chhod gaye jiska upyog aaj humare apne hi humare liye kar rahe hai... par jyada din tak ab wo bhi nahi kar payenge... har cheej ki ek samay sima hoti hai... log jagenge jaroor jagenge... times of india ke is prayaas ko salaam karta hun...
हमारी भी यही दुआ है।
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घूँघट में रहने वाली इतिहास बनाने निकली हैं।
खाने पीने में लोग इतने पीछे हैं, पता नहीं था।
ये प्रयास सफल हो ........ कम से कम देश में कुछ शांति ही आएगी ..........
काश इस और लोग ध्यान दे सकें डॉ सिन्हा ! इस प्रयास हेतु शुभकामनायें !
acchaa prayas.
अच्छी शुरुआत है, हमने इसे ध्यान से देखा नही है. अब देखते है. धन्यवाद सर जी.
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