स्कूल में यह व्यवस्था थी की फार्म में भरवाया जाता था की जाती और धरम क्या है ? घर में पूछ के भर देते थे . कभी यह प्रश्न नहीं खड़ा हुआ की यह क्या है .स्कूल तक विभिन्न मित्र थे कभी यह बात ही नहीं निकली की तू कौन है तेरी जाति या धर्म कौन है .
तो आज यह प्रश्न क्यों ?
सब लोग यह कहते हैं की यह हिंदु बहुल राज्य है ! फिर यहाँ हिंदुओं की सरकार तो नहीं दिखती ?
क्या हिंदु कहने वाली पार्टियाँ हिंदुओ का प्रतिनिधित्व करती हैं ?
अपने देश में ही लोग बेगाने क्यों ?
अकेला हिंदु राष्ट्र पड़ोस में भेंट चढ़ गया कहीं चूँ तक नहीं !
मैं कोई अन्ध धर्मावलम्बी नहीं हूँ लेकिन इस झूठ का निराकरण कौन करेगा .
और अगर हिंदु बहुसंख्यक नहीं तो अल्पसंख्यक कौन .
राजनीति से बाहर निकलो और राष्ट्र की सोचो .
जय हिन्द .
5 टिप्पणियां:
ऐसा ही है भाई, लोक तंत्र के पेंच हैं भाई...
यह तो लोगो को जागरुक होना चाहिये, यह नेता तो अपनी रोटिया सेकेगे हमारी लाशो पर, कोन हिन्दु ओर कोन मुस्लिम जरा पुछे उन्हे जिन्न्के घर के चिराग बुझ जाते है ऎसे दंगो मै. बहुत अच्छा संदेश दिया आप ने अपने लेख मै.
धन्यवाद
राजनीति से बाहर निकलो और राष्ट्र की सोचो .
जय हिन्द !!
बुल्ला दी जाणा मैं कौन ?
वह शेर याद आता है - जम्हूरियत वह तर्जे हुकूमत है, जिसमें बन्दे तोले नहीं जाते, गिने जाते हैं।
गिनने के गणित से निकलता है अल्पसंख्यक!
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