यह परिणाम है 34 देशो में 70000 बच्चों पर किए गए परीक्षण का . दुनिया के एक तिहाई बच्चे अलालों की श्रेणी में आते हैं जो रोज तीन घंटे या उससे ज्यादा समय व्यतीत करते हैं टीवी या कम्प्युटर पर . यह सर्वेक्षण किया है विश्व स्वास्थ्य संगठन ने . इसमे यह भी पता चला की अमीर देशों या गरीब देशों में कोई अन्तर नहीं है .
यह सर्वेक्षण अमेरिका, एशिया, यूरोप और मध्य पूर्व के देशो में 2003 से 2007 के बीच किया गया .
इस परीक्षण में उपयुक्त शारीरिक गतिविधि का मापदंड था रोज एक घंटे व्यायाम वह भी जिम क्लास के बाहर और कम से कम पाँच दिन एक हफ्ते में . इस मापदंड में 25 प्रतिशत लड़के और 15 प्रतिशत लड़कियाँ ही टिक पायी .
वे बच्चे जो तीन या ज्यादा घंटे टीवी, कम्प्युटर या विडियो गेम में रोज खर्च करते हैं उन्हे सुस्त की श्रेणी में रखा गया . 25 %लड़के और 30 % लड़कियाँ सुस्त की श्रेणी में पायी गयी .
उरागुए में सबसे अधिक 42% और ज़ाम्बिया में सबसे कम 8 % लड़के उचित श्रेणी में पाये गए .
भारतीय लड़कियाँ सबसे आगे पायी गयी 37% के साथ जबकि इजिप्ट 4% के साथ सबसे पीछे .
म्यांमार के बच्चे सबसे कम सुस्त पाये गए 13% लड़के और 8% लड़कियाँ इस श्रेणी में पाये गए .
सबसे सुस्त बच्चे St. Lucia and the Cayman Islands में पाये गए 58% लड़कों और 64% लड़कियों के साथ .
यद्यपि इस सर्वेक्षण में इस सुस्ती के कारणों का पता नहीं लगाया गया लेकिन ऐसा अदाज लगाया गया है की शहरीकरण और साथ ही साथ टीवी और यातायात के यंत्रिक साधन इसके लिए जिम्मेदार हैं . ऐसा माना गया की स्कूल अपने पाठ्यक्रम में शारीरिक गतिविधि को प्रोत्साहन देकर इस समस्या को दूर कर सकते हैं साथ ही उन्हे व्यायाम का महत्व भी समझाया जाना चाहिए .
साइकल यातायात के लिए अलग से लेन और अन्य व्यवस्थाएँ करके इसे ठीक किया जा सकता है .
इस समस्या के ओर उचित एवं गहन ध्यान देने की बात पर भी ज़ोर दिया गया है