ब्लाग में भी ऐसी कोई सीमा है तो उसके बारे में जानकार लोग बताएंगे . मेरी जानकारी में तो नहीं है की स्थान के अभाव में कोई ब्लाग ब्लाक किया गया है
देखिये उन दो बज को जो ब्लाक हो गए याने इनपर कोई टिप्पणी अब नहीं दी जा सकती . केवल पसंद का चटका लगाया जा सकता है .
पहला बज है पंकज उपाध्याय का
इस बज़ को अपने अपने अजायबघर मे सजाने के लिये ये लिन्क देखे:
Buzz by Pankaj Upadhyay
दुसरे लम्बर पे है हरदिल अजीज समीर लाल "समीर" का बज
सोच क्या रहे हैं खुद देखें
"हाथ कंगन को आरसी क्या
पढ़े लिखे को फ़ारसी क्या "
7 टिप्पणियां:
हो सकता है कि बज़ अनुमान से पहले अधिक लोकप्रियता प्राप्त कर गया हो। वैसे भी कल रात को अनेक बार गूगल के साथ परेशानी का सामना करना पड़ा जब कि उस का सर्वर अप्राप्य रहा।
अरे, बज़ लॉक करवाने में समीरलाल पिछड़ क्यूं गये?! :)
आप सब लोगो को बधाई.. :)
खोजी जानकारी आधारित विवेचनात्मक रचना के लिए आपका धन्यवाद /
आप सब लोगो को बधाई.. :)
लगता है लोगों ने बज्ज को ज्यादा ही बजा दिया
सुना है आप भी थे रात उसी मुशायरे में ....रात देर तक चलता रहा आपका मुशायरा ....किसी को सोने नहीं दिया गया ......
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