रविवार, 16 मई 2010

सारे संतरी वीआईपी सुरक्षा में, देश और गरीब जाए भाड़ में

इस देश में सुरक्षित रहना है तो आपको किसी भी टाइप का वीआईपी होना चाहिए . कुछ संवैधानिक वीआईपी हैं तो कुछ उनसे भी बड़े . सरकार की इच्छा होनी चाहिए और मुफ्त सेवा हाजिर . जबकि इनमे से ज्यादातर लोग सक्षम हैं अपनी सुरक्षा व्यवस्था करने के लिए लेकिन जब काम मुफ्त में हो तो बात ही क्या है .

सबसे ज्यादा सुरक्षा चाहिए जन प्रतिनिधि को ! हर सांसद और विधायक को एक गन मैन उपलब्ध है . नगर निगम के महापौरों और अध्यक्षों को भी यह सुविधा प्राप्त है . अधिकारियों और विशेषकर पुलिस अधिकारियों को भी सुरक्षा चाहिए ! न्यायाधीशों को भी सुरक्षा चाहिए . कुछ पत्रकारों को भी यह सुविधा प्रदान की जाती है . फिल्म अभिनेता, खिलाड़ी, कलाकार . अंतहीन है यह सूची . जिस देश के कर्णधार असुरक्षित समझते  हैं अपने को  और अपने बिल में दुबके रहते हैं उस देश का क्या होगा ?

ज्यादातर पड़ोसी देश आपके दुश्मन हैं क्यों . और उनने देश के अंदर भी घुसपैठ कर ली है . बड़ी मुश्किल से सोनिया गांधी के शब्द बाहर निकले की हमारी व्यवस्था की कमजोरी है की आदिवासियों और गरीबों तक विकास योजनाएँ नहीं पहुँच पा रही है इसलिये नक्सल समस्या पैदा हुई है . सोनिया जी , ये तो बहुत पहले राजीव जी कह गए थे लेकिन किसीकी कानो में जूँ रेंगी क्या . उल्टे लाख करोड़ का घपले का इल्जाम आपके मंत्री पर ही लगा है . जब आप वहीं चोर नहीं पकड़ पा रही हैं तो आखरी छोर का क्या होगा

आम आदमी न घर में सुरक्षित है न बाहर . सबसे असुरक्षित स्थान हैं बस अड्डे और रेल्वे स्टेशन . कुली से लेकर औटो और टॅक्सी चालक तैयार रहते हैं आक्रमण के लिए . ज्यादा दिन आप घर से बाहर रहे तो उसपर भी कोई कब्जा कर लेगा .

कहने को कहा जाता है जनता की सरकार है . जाइए कोई भी चीज जो किसी सरकारी संस्था के अधीन है उससे वह काम आसानी से करके तो दिखाईये चाहे वह रैशन कार्ड हो, ड्राइविंग लैसेंस , गैस या बिजली का कनेक्शन हो.

आम आदमी का तो कोई माई बाप नहीं है

6 टिप्‍पणियां:

36solutions ने कहा…

राजीव जी नें 100 में 18 की बात की थी उनके बाद तो हालात 5 तक भी पहुच जाए तो बहुत है.


चिंतन के लिए धन्‍यवाद.


ब्‍लागरों को भी सुरक्षा के वास्‍ते गनमेन मिलनी चाहिए. :)

नरेश सोनी ने कहा…

बिलकुल सही कहा। कोई माई बाप नहीं है आम आदमी का।

राज भाटिय़ा ने कहा…

आज का सत्य है जी, बहुत ्सही लिखा आप ने.
धन्यवाद

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

जिस विधि से 100 में 82 लुट जाते हैं, क्या कोई बता सकता है पूरे क्यों नहीं लुट जाते होंगे ।

डॉ महेश सिन्हा ने कहा…

@ प्रवीण पाण्डेय
यह आंकड़ा भी सरकारी है :)

Vinashaay sharma ने कहा…

सहमत हूँ नरेश सोनी जी से ।