नेता की मृत्यु पर राजकीय या राष्ट्रीय शोक मनाया जाता है क्या शहीद इसके भी हकदार नहीं हैं
देश की रक्षा में रत छत्तीसगढ़ में केंद्रीय बल के जवानो की दुर्दांत हत्या और उनके संबंधियों और जनता के आँसू अभी सूखे भी नहीं हैं . सारा देश जहाँ शोकग्रस्त है, वहीं आज राष्ट्रपति भवन में पद्म पुरस्कारों का वितरण ?
महेश जी निंदा करके अपनी कर्त्तव्य पूरे कर लिए ना इन्होने ...जश्न में रुदन के लिए स्थान कहा है सिर्फ नब्बे परिवार के लाल ही तो शहीद हुए है. गलती उनके परिवार की है जो अपने बच्चो को देश की रक्षा के लिए भेजा .... मन कर रहा है कुछ असंसदीय भाषा में लिख दूं
7 टिप्पणियां:
बहुत अच्छी बात उठाई है आपने
महेश जी
निंदा करके अपनी कर्त्तव्य पूरे कर लिए ना इन्होने ...जश्न में रुदन के लिए स्थान कहा है सिर्फ नब्बे परिवार के लाल ही तो शहीद हुए है. गलती उनके परिवार की है जो अपने बच्चो को देश की रक्षा के लिए भेजा ....
मन कर रहा है कुछ असंसदीय भाषा में लिख दूं
Mere Bhai . in netawo ke pass itna time kidhar hai.
itna time kiske pass hai
हॉं, शोक मनाया जाना चाहिए. मत मनायें वो शोक, हम अपने दिलों में मनाते हैं.
विचारणीय पोस्ट।
नेता लोग नेता जो ठहरे,इस देश मे दोहरे मापदण्ड है वही सारी समस्याओं की जड़ भी है।
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