बुधवार, 7 अप्रैल 2010

नेता की मृत्यु पर राजकीय या राष्ट्रीय शोक मनाया जाता है क्या शहीद इसके भी हकदार नहीं हैं

देश की रक्षा में रत छत्तीसगढ़ में केंद्रीय बल के जवानो की दुर्दांत हत्या और उनके संबंधियों और जनता के आँसू अभी सूखे भी नहीं हैं . सारा देश जहाँ शोकग्रस्त है, वहीं आज राष्ट्रपति भवन में पद्म पुरस्कारों का वितरण ?

7 टिप्‍पणियां:

Jandunia ने कहा…

बहुत अच्छी बात उठाई है आपने

sonal ने कहा…

महेश जी
निंदा करके अपनी कर्त्तव्य पूरे कर लिए ना इन्होने ...जश्न में रुदन के लिए स्थान कहा है सिर्फ नब्बे परिवार के लाल ही तो शहीद हुए है. गलती उनके परिवार की है जो अपने बच्चो को देश की रक्षा के लिए भेजा ....
मन कर रहा है कुछ असंसदीय भाषा में लिख दूं

Taarkeshwar Giri ने कहा…

Mere Bhai . in netawo ke pass itna time kidhar hai.

Taarkeshwar Giri ने कहा…

itna time kiske pass hai

36solutions ने कहा…

हॉं, शोक मनाया जाना चाहिए. मत मनायें वो शोक, हम अपने दिलों में मनाते हैं.

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

विचारणीय पोस्ट।

Anil Pusadkar ने कहा…

नेता लोग नेता जो ठहरे,इस देश मे दोहरे मापदण्ड है वही सारी समस्याओं की जड़ भी है।