बुधवार, 5 अगस्त 2009
रक्षाबधन एक अलग तरह का
आज जब जेल रोड से गुजर रहा था तो सेंट्रल जेल के सामने भारी भीड़ थी इलेक्ट्रॉनिक मीडिया भी जुटा था अपना पूरा असबाब लेके . पहले तो लगा अरे सुबह सुबह न जाने क्या हो गया फिर दिमाग की बत्ती जली कि यह सारा कुछ राखी के लिए है . जेल में बंद अपने भाइयों को उनकी बहने आई हैं . कुछ पल के लिए एक उदासी सी छा गयी . कैसा लगता होगा उन बहनों को आज के दिन . दिमाग ने फिर जोर लगाया कि अगर येही प्रेम और ध्यान अन्दर बंद लोगों को होता तो नहीं इस जेल की जरूरत होती न पुलिस न अदालत की . बहुत सारे लोग बेचारे बेरोजगार हो जाते . विज्ञानं ने कितनी भी प्रगति कर ली हो इन्सान अभी भी वहीँ खडा है जर, जोरू और जमीन के झगडों में . अगर सब ओर प्रेम भाव होता तो शायद राम राज हो सकता है .
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3 टिप्पणियां:
अगर सब ओर प्रेम भाव होता तो शायद राम राज हो सकता है -सत्य वचन...
रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकानाएं.
सही कह रहे है आप्।
रक्षाबंधन पर हार्दिक शुभकामनाएँ!
विश्व-भ्रातृत्व विजयी हो!
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