रविवार, 16 अगस्त 2009

हिंदी ब्लॉग जगत को आगे आने के लिए संकुचित मानसिकता और सस्ती लोकप्रियता छोड़नी होगी

मेरे विचार से ब्लॉग जगत व्यक्ति को अपनी प्रतिभा और विचारों को दुनिया के सामने लाने का अनूठा माध्यम है . मुझे ज्यादा समय नहीं हुआ इस क्षेत्र में पदार्पण किये हुए . लेकिन लगता है हम अपनी संकुचित मानसिकता से आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं . बहुत आसान होता है किसी के विरुद्ध टिप्पणी करना . आप अपनी बात रखने के लिए स्वतंत्र है लेकिन कोई आपको ये अधिकार नहीं दे देता की आप एक सीमा को पार कर लें, हम यह भूल जाते हैं की हमें ही एक सीमा रेखा बनानी होगी इस क्षेत्र में क्योंकि यह स्व नियंत्रित क्षेत्र है जहां आपको पूरी आजादी है जो चाहे कहें कोई संपादक नहीं है . लेकिन इस छूट का मर्यादा के अन्दर ही उपयोग करें . अगर आप विवेचन करेंगे अंग्रेजी ब्लॉग जगत से तो कोई तुलना ही नहीं हो सकती वहाँ कोई क़द्र और फिक्र नहीं है की क्या लिखा और कहा जा रहा है . हमें आगे बढ़ाना है तो छुद्र मानसिकता को छोड़ना पड़ेगी

9 टिप्‍पणियां:

Sudhir Kekre ने कहा…

Hi
very decent blog. i can imagine the difficulties in writing a hindi blog.
lekin ap bahut acha likh rahe hain. and bahut kaam ki baate bhi likhe rahe hain.
dont give up.

दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…

ब्लागिंग स्वांत-सुखाय कर्म है। करते रहिए। बस ऐसे कि औरों को तकलीफ न हो, हो भी तो सहनीय हो।

Unknown ने कहा…

aap thik kahte hain !

बेनामी ने कहा…

बात तो ठीक है

अनिल कान्त ने कहा…

आपसे सहमत

Ashish Khandelwal ने कहा…

आपकी बात से सौ फीसदी सहमत.. हैपी ब्लॉगिंग

कनिष्क कश्यप ने कहा…

आजकल इस मुद्दे को लेकर मैं भी गहरी चिन्ता में हू।
मैने इस दिशा में कुछ प्रयास किया है। आपके सहयोग की आशा रहेगी। क्योंकि हम ब्लागर्स को हीं समस्या का समाधान ढूँढना है।कुछ रोज पहले हीं इस विषय पर बड़ा विमर्ष किया था। आशा है आप इसे पसन्द करेंगें। एक बार पधारें
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/2009/08/blog-post_7173.html

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

सही कहा आपने ......!!

Shastri JC Philip ने कहा…

आप ने एक महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया है. इस विषय पर और अधिक चर्चा और आपसी सहमति की जरूरत है.

सस्नेह -- शास्त्री

हिन्दी ही हिन्दुस्तान को एक सूत्र में पिरो सकती है
http://www.Sarathi.info