शनिवार, 15 अगस्त 2009

i pill और चंडीगढ़ में बढ़ता विवाह पूर्व शारीरिक सम्बन्ध

चंडीगढ़ के चिकित्सक, शहर में बढ़ते गर्भनिरोधक के प्रचलन से परेशां हैं .महिला चिकित्सकों का कहना है युवा लड़कियां इन गोलियों के आने के बाद से कंडोम के उपयोग के लिए दबाव नहीं डाल रही हैं जिससे यौन जनित रोग और ऐड्स जैसी बीमारीओं का खतरा बढ़ता जा रहा है .
डॉ बाला का कहना है १८ से २८ वर्ष की युवतियों में कई लोगों से सम्बन्ध बनाने की घटना तेजी से बढ़ रही है जोकि खतरनाक है .इन गोलियों का सेवन अत्यधिक मात्र में हानिकारक है .
यहाँ तक की १६ वर्ष की लड़कियां भी इनका सेवन कर रही हैं .इसी तरह से अनचाहे गर्भ की संख्या भी बढ़ रही है . कुछ समय पहले एक MMS की घटना दिल्ली में हुई थी उसमे पता चला था की उसे इस फिल्मांकन के बारे में पता था !
इन आपात गर्भनिरोधक गोलियों का उपयोग निरंतर रूप से हो रहा है . पहेले अगर कोई लड़की मासिक धर्म से सम्बन्धित समस्या लेकर आती थी तो उसके संबंधों के बारे में पूछने में हिचकिचाहट होती थी लेकिन अब यह पहला प्रश्न होता है .
दवा दूकानदार भी इस बढती हुई मांग से परिचित हैं साथ ही सुरक्षात्मक उपायों की बिक्री नाम मात्र की रह गयी है .कई बार तो दिन का पहला ग्राहक इन दवाओं का होता है और अगर समझाने की कोशिश की जाये तो आप ग्राहक खो देते हैं . क्योंकि यह OTC दवा है जिसके लिए डॉ की पर्ची नहीं लगती है . इन के दुश्प्राभावो में रक्ताल्पता का होना सामान्य है . इसके और भी कई दुष्परिणाम है जिनके बारे में बिना सोचे समझे धड़ल्ले से इनका उपयोग हो रहा है .
इसके साथ revirgination ऑपरेशन की मांग बढ़ते जा रही है जिसका खर्च २५ से ५० हजार के बीच आता है ! क्या विवाह जैसी संस्था टूटने के कगार पर है , अविश्वास और धोखे पे खड़ी ईमारत कब तक खड़ी रहेगी . कुछ विकसित लोगों को ये विचार बुर्जुवा लग सकते हैं.

आज स्वतंत्र दिवस के अवसर पर यह पोस्ट लिखते हुए समझ नहीं आ रहा है की कहाँ जा रहा है हमारा देश और हमारी संस्कृति .
ये culture है या vulture
( सौजन्य : रजनी शालीन चोपडा और याहू )

4 टिप्‍पणियां:

हें प्रभु यह तेरापंथ ने कहा…

चिन्तनिय बात।
स्‍वतंत्रता दिवस की बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं !!

जय हिन्द!!
भारत मॉ की जय हो!!
आई लव ईण्डियॉ


आभार
मुम्बई-टाईगर
द फोटू गैलेरी
महाप्रेम
माई ब्लोग
SELECTION & COLLECTION

बेनामी ने कहा…

एक विश्वव्यापी धर्म विशेष के गुरू हमेशा ऐसी वस्तुयों के बाज़ार में रहने के विरूद्द्ध कहते रहे हैं। हमारे देश में गहरी पैठ बनाए धर्मों में ऐसी विचारधारा अभी जोर नहीं ले पाई है।

बाज़ारवाद भी काफी हद तक जिम्मेदार है

Akanksha Yadav ने कहा…

Sahi mudde par ek sarthak post.

स्‍वतंत्रता दिवस की बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं.

स्वतंत्रता रूपी हमारी क्रान्ति करवटें लेती हुयी लोकचेतना की उत्ताल तरंगों से आप्लावित है।....देखें "शब्द-शिखर" पर !!

shama ने कहा…

फिर वही बात ..जहाँ उपयोग वहाँ दुरूपयोग ! ये बात आज सामने आ रही है ..प्रचार या अन्य माध्यमों के ज़रिये ,वरना ये भोग वाद पुरातन काल से चला आ रहा है ..जहाँ मन पे नियंत्रण नही, वहाँ, अन्य कोई नियंत्रण काम नही आ सकता...

आज़ादी की सालगिरह मुबारक हो !
"मेरा जान रहे ना रहे,
मेरी माता के सर पे ताज रहे"

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