शनिवार, 16 जनवरी 2010

एक सुखद अनुभूति , संस्कृत बोलते गाँव

आज एक विज्ञापन देखा तो सुखद आश्चर्य हुआ की अभी भी संस्कृत आम भाषा के रूप में बोली जा रही है .
विज्ञापन में संदर्भ था मैंगलोर से 100 किलोमीटर दूर एक गाँव मत्तूर का . जिज्ञासावस गूगल में खोज की तो एक और गाँव मिला मध्य प्रदेश में "झिरी " इंदौर से 150 किलोमीटर दूर है यह गाँव जहाँ मालवी की जगह संस्कृत बोली जाती है .
इसी तरह मेतुर के बारे में यहाँ पढ़ें http://www.tribuneindia.com/2000/20000322/haryana.htm#5

14 टिप्‍पणियां:

Anil Pusadkar ने कहा…

वाकई आश्चर्य हो रहा है।

राज भाटिय़ा ने कहा…

बहुत अच्छी जानकारी दी आप ने.धन्यवाद

shikha varshney ने कहा…

wah vakai sukhad anubhuti....asha ki ek kiran dikhati hui.

Krishna ने कहा…

Bahut acchi baat hai ki abhi bhi hamari sanskrati jinda hai aur ek aam rup mein.

Udan Tashtari ने कहा…

आज तक इस विषय में नहीं सुना था.

36solutions ने कहा…

टीवी विज्ञापन के द्वारा हमें भी जब मत्तूर के संबंध में पता चला, तब से मन में उत्‍सुकता है कि उस गांव में जाकर बोली-भाषा-उच्‍चारण का अनुभव कुछ घंटों का ही सहीं, लूं. आपने इन्‍दौर के पास के इस गांव के संबंध में जानकारी प्रदान कर मेरी उत्‍सुकता को और बढा दिया, धन्‍यवाद.

संगीता पुरी ने कहा…

वाकई सुखद आश्‍चर्य की बात है !!

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

ये तो आश्चर्य जनक खबर सुनाई. इंदौर के पास यह झिरी गांव कहां है इसका पता लगाते हैं.

रामराम.

विवेक रस्तोगी ने कहा…

ये बढ़िया जानकारी है और जानकर सुखद भी लग रहा है कि भारत में देवभाषा बोली भी जा रही है।

अनुनाद सिंह ने कहा…

यह सुखद तो है किन्तु मुझे इससे अधिक आश्चर्यजनक लगता है इंग्लैण्ड से कई हजार किमी दूरी पर स्थित पूरा भारत अंग्रेजी बोलने को आतुर है। यहाँ तमान विद्यालयों में हिन्दी में एक भी शब्द कहने पर दण्डित किया जाता है।

Satyendra Kumar ने कहा…

अनुनाद जी की बात वास्तव मे कम्पन भरी है ,
अनुभूति सुखद है पर इसके क्या मायने है ? , संस्कृत बोले या उर्दू ,सिर्फ इतना कि हमने संजो रखी है अपनी पूर्व संस्कृति ,ये बासीपन है ,मुर्दा है , संस्कृति को जीवंत रखने के लिये प्रकृति के नियमानुसार बद्लाव अतिआवश्यक है , भाषा की उन्नति के लिए नयी व्यंजनाओ का समावेष अत्यंत आवश्यक है - विरोध नही है ये, नवजीवन है

vikas mehta ने कहा…

khushi hui bhartiyta khi to bchi hai dhnywad abhar

डॉ. मनोज मिश्र ने कहा…

यह सुखद है.

दिगम्बर नासवा ने कहा…

सुखद आश्चर्य की बात है ये तो ...........