सालों की नींद से जागते हुए मेडिकल कौंसिल ने दो फैसले लिए हैं . आज एक की बात करते हैं . कौंसिल ने डोक्टरों और दवा कंपनियों पर किसी भी प्रकार के लेन देन पर रोक लगायी है .
यह बात काफी समय से प्रकाश में आ रही थी कि अपने उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए दवा कपनियां तरह तरह के प्रलोभन डोक्टरों को दे रही थी . पहले यह सिर्फ पेन, पैड और संपल तक सीमित था . धीरे धीरे इसका विस्तार होता गया . एक रिपोर्ट में तो यह भी पता चला कि भारत जैसे देशों में हर दूसरी दवा व्यर्थ में लिखी जाती है .
यह तो समय ही बताएगा कि कितना प्रभावी होगा यह कदम .
15 टिप्पणियां:
अगर इस पर अमल हो तो बात बने, धन्यवाद इस सुंदर जानकारी के लिये
आज के युग में किसी फैसले को अच्छा या बुरा कह पाना भी मुश्किल है .. सचमुच समय ही इसके बारे में बता सकता है !!
kya ye sachh hai ki kuch doctors extra davaiya likh dete hai, Par isko roka kaise jaayen.
कुछ तो प्रभाव पड़ेगा ही.
nice
"भारत जैसे देशों में हर दूसरी दवा व्यर्थ में लिखी जाती है" आश्चर्य हुवा जानकर.
यह तो बहुत ऊँचे दर्जे का भ्रष्टाचार था। चलिये, देर से ही सही, इसपर रोक तो लगी। अधिक से अधिक गैर-पेटेन्टकृत (जेनेरिक दवाइयाँ) लिखने की भी अनुशंशा होनी चाहिये।
हां डाक्टर साहब सुना है कि आजकल दवा कंपनियां डाक्टरों को क्रुज और स्विटर्जरलैंड की भी सैर करवाती है. और भारत मे ही विभिन्न जगह हवाईयात्राएं छोटे मोटे सभी डाक्टरों को अरवाती हैं. बदले मे क्या होता है? सभी जानते हैं.
पर सरकारी रोक से यह रुकेगा नही. कोई और तरीका निकल आयेगा. असली बात तो डाक्टरों के जमीर की है. और अभी तक सारे ही दाक्टरों का जमीर नही सोया है. सिर्फ़ चंद स्वार्थी ही हैं जो दवा कंपनियों के ललच मे मरीजों की जेबे कटवाते हैं.
रामराम.
मेरे एक परिचित एम. आर. हैं और इनके अनुसार हालात बहुत ही बुरे हैं ........... अगर कोई सुधार आ सके तो बहुत ही अच्छी बात होगी ...........
हिप्पोक्रेटिक ओथ लिखने के समय भी यही मसाइल रहे होंगे! :)
सही कहा आपने।
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बारिश की वो सोंधी खुश्बू क्या कहती है?
क्या सुरक्षा के लिए इज्जत को तार तार करना जरूरी है?
"कौंसिल ने डोक्टरों और दवा कंपनियों पर किसी भी प्रकार के लेन देन पर रोक लगायी है "
घोडा घास से दोस्ती करेगा तो खाएगा क्या? :)
क्या कुछ हो सकता है, डॉक्टर साहब ?
मैंने भी ये रिपोर्ट पढ़ी थी। मुझे इसमें ऐसा कुछ नज़र नहीं आया जो इस भ्रष्टाचार को रोक सके।
आखिर जब मियां बीबी राज़ी, तो क्या करेगा काजी।
अफ़सोस डॉक्टर्स भी इसी समाज का हिस्सा हैं।
मुझे नहीं लगता कि इस पर पूरी तरह अमल होगा। असल मे ड्रग माफिया इतना सशक्त हो चुका है कि इस पर काबू पाना बहुत मुश्किल काम है । देखो क्या होता है धन्यवाद
'एक रिपोर्ट में तो यह भी पता चला कि भारत जैसे देशों में हर दूसरी दवा व्यर्थ में लिखी जाती है .'
Behad afsos ki baat hai yah to!
--dekhen Sarkar ke naye kadam se kya solution niklta hai!
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