बुधवार, 6 जनवरी 2010

मेडिकल काउंसिल का जागना कितना प्रभावी होगा - 1

सालों की नींद से जागते हुए मेडिकल कौंसिल ने दो फैसले  लिए हैं . आज एक की बात करते हैं . कौंसिल ने डोक्टरों  और दवा कंपनियों पर किसी भी प्रकार के लेन देन पर रोक लगायी है .
यह बात काफी समय से प्रकाश में आ रही थी कि अपने उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए दवा कपनियां तरह तरह के प्रलोभन डोक्टरों को दे रही थी . पहले यह सिर्फ पेन, पैड और संपल तक सीमित था . धीरे धीरे इसका विस्तार होता गया . एक रिपोर्ट में तो यह भी पता चला कि भारत जैसे देशों में हर दूसरी दवा व्यर्थ में लिखी जाती है .
यह तो समय ही बताएगा कि कितना प्रभावी होगा  यह कदम .

15 टिप्‍पणियां:

राज भाटिय़ा ने कहा…

अगर इस पर अमल हो तो बात बने, धन्यवाद इस सुंदर जानकारी के लिये

संगीता पुरी ने कहा…

आज के युग में किसी फैसले को अच्‍छा या बुरा कह पाना भी मुश्किल है .. सचमुच समय ही इसके बारे में बता सकता है !!

Krishna ने कहा…

kya ye sachh hai ki kuch doctors extra davaiya likh dete hai, Par isko roka kaise jaayen.

Udan Tashtari ने कहा…

कुछ तो प्रभाव पड़ेगा ही.

Randhir Singh Suman ने कहा…

nice

36solutions ने कहा…

"भारत जैसे देशों में हर दूसरी दवा व्यर्थ में लिखी जाती है" आश्चर्य हुवा जानकर.

अनुनाद सिंह ने कहा…

यह तो बहुत ऊँचे दर्जे का भ्रष्टाचार था। चलिये, देर से ही सही, इसपर रोक तो लगी। अधिक से अधिक गैर-पेटेन्टकृत (जेनेरिक दवाइयाँ) लिखने की भी अनुशंशा होनी चाहिये।

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

हां डाक्टर साहब सुना है कि आजकल दवा कंपनियां डाक्टरों को क्रुज और स्विटर्जरलैंड की भी सैर करवाती है. और भारत मे ही विभिन्न जगह हवाईयात्राएं छोटे मोटे सभी डाक्टरों को अरवाती हैं. बदले मे क्या होता है? सभी जानते हैं.

पर सरकारी रोक से यह रुकेगा नही. कोई और तरीका निकल आयेगा. असली बात तो डाक्टरों के जमीर की है. और अभी तक सारे ही दाक्टरों का जमीर नही सोया है. सिर्फ़ चंद स्वार्थी ही हैं जो दवा कंपनियों के ललच मे मरीजों की जेबे कटवाते हैं.

रामराम.

दिगम्बर नासवा ने कहा…

मेरे एक परिचित एम. आर. हैं और इनके अनुसार हालात बहुत ही बुरे हैं ........... अगर कोई सुधार आ सके तो बहुत ही अच्छी बात होगी ...........

Gyan Dutt Pandey ने कहा…

हिप्पोक्रेटिक ओथ लिखने के समय भी यही मसाइल रहे होंगे! :)

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

सही कहा आपने।
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बारिश की वो सोंधी खुश्बू क्या कहती है?
क्या सुरक्षा के लिए इज्जत को तार तार करना जरूरी है?

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद ने कहा…

"कौंसिल ने डोक्टरों और दवा कंपनियों पर किसी भी प्रकार के लेन देन पर रोक लगायी है "

घोडा घास से दोस्ती करेगा तो खाएगा क्या? :)

डॉ टी एस दराल ने कहा…

क्या कुछ हो सकता है, डॉक्टर साहब ?
मैंने भी ये रिपोर्ट पढ़ी थी। मुझे इसमें ऐसा कुछ नज़र नहीं आया जो इस भ्रष्टाचार को रोक सके।
आखिर जब मियां बीबी राज़ी, तो क्या करेगा काजी।
अफ़सोस डॉक्टर्स भी इसी समाज का हिस्सा हैं।

निर्मला कपिला ने कहा…

मुझे नहीं लगता कि इस पर पूरी तरह अमल होगा। असल मे ड्रग माफिया इतना सशक्त हो चुका है कि इस पर काबू पाना बहुत मुश्किल काम है । देखो क्या होता है धन्यवाद

Alpana Verma ने कहा…

'एक रिपोर्ट में तो यह भी पता चला कि भारत जैसे देशों में हर दूसरी दवा व्यर्थ में लिखी जाती है .'
Behad afsos ki baat hai yah to!
--dekhen Sarkar ke naye kadam se kya solution niklta hai!