एक ईमेल से जब यह खबर मुझे मिली तो आश्चर्य हुआ . पहले तो विश्वास नहीं हुआ फिर मैंने सोचा की पता किया जाए क्या बात है . अपने देश में तो यह व्यवस्था सरकार के पोस्ट विभाग पर है .
एक और ईमेल मिली जिसमे इस खबर पर अमेरिका में वाद विवाद हो रहा है कि क्या वाकई यह अधिकृत स्टैम्प है ? जिज्ञासावस मैंने अमेरिकी पोस्ट के आधिकारिक वेब साइट पर देखा तो पता चला कि वहाँ कुछ निजी कंपनियों को भी स्टैम्प छापने के अधिकार हैं . यह सुविधा ऑनलाइन भी उपलब्ध है . अपने देश में जहाँ नकली स्टैम्प छाप के अरबों का घोटाला किया जा चुका है . यह सूचना विस्मयकारी थी . इस सुविधा में आप अपने चित्र का भी स्टैम्प बनवा सकते हैं !
वैसे जिस संस्था का लिंक मुझे ईमेल से मिला था उसका नाम मुझे यहाँ नहीं दिखा इसलिये किसी भी प्रकार का प्रयास करने से पहले पूरी जानकारी एकत्रित करके ही आगे बढ़ें
गुरुवार, 28 जनवरी 2010
बुधवार, 27 जनवरी 2010
हम भारतीय इतने संवेदनशील क्यों हैं और बड़ी आसानी से इसकी सीमा भी लाँघ जाते हैं
अभी राजकुमार सोनी जी के ब्लॉग को पढ़ते हुए देश के एक वयोवृद्ध युगपुरुष के बारे में कुछ और जानकारी प्राप्त हुई . रामचंद्र जी ने विवाह नहीं किया .
आप कहेंगे शीर्षक से इस बात का क्या संबंध ? कुछ समय से रायपुर के दो अविवाहितों (eligible bachelors)अनिल पुसदकर और
संजीत त्रिपाठी जो की रायपुर एवं छत्तीसगढ़ के पत्रकारिता और ब्लॉग जगत के स्तंभ है के बारे में कई टिप्पणियाँ पढ़ने को मिली की ये विवाह क्यों नहीं करते इत्यादि इत्यादि . अनिल ने इनका उत्तर भी अपने ब्लॉग में दिया है .
इस तरह का प्रश्न शायद हमारे देश के अलावा कहीं भी सार्वजनिक रूप से नहीं किया जाता . हम कई बार अपनी सीमा से बाहर जाकर सवाल जवाब करने लगते हैं .मेरे ख्याल से यह एक पूर्णतः व्यक्तिगत प्रश्न है .
वहीं इन प्रश्नकर्ताओं पर लिंग आधारित भेदभाव का आरोप भी लग सकता है क्योंकि मैंने तो कही नहीं देखा ब्लोगजगत में ऐसी सलाह किसी स्त्री के लिए .
सोमवार, 25 जनवरी 2010
क्या एनडीटीवी नक्सलवाद का समर्थक है
क्या एनडीटीवी नक्सलवाद का समर्थक है . लगता तो ऐसा ही है . एनडीटीवी यह बात साफ़ करे की उनका इन महाशय से क्या संबंध है . आज जब पूरा देश एक बड़े षड्यंत्र से जूझने के लिए एक जुट हो रहा है तो ऐसे समय इस तरह की विचारधारा को प्रोत्साहन देना क्या साबित करता है . क्या आज एलेक्ट्रोनिक मीडिया अपने आप को स्वयंभू समझ बैठा है और उसे इस तरह की अराजकता और देशद्रोह फैलाने की छूट किसने दे रखी है .
चिदम्बरम जी ध्यान दें उनकी नाक के नीचे और कितने षड्यंत्र राजधानी में ही रचे जा रहे हैं
http://khabar.ndtv.com/2009/10/21002329/column-priyadarshan-maoists.html
चिदम्बरम जी ध्यान दें उनकी नाक के नीचे और कितने षड्यंत्र राजधानी में ही रचे जा रहे हैं
http://khabar.ndtv.com/2009/10/21002329/column-priyadarshan-maoists.html
रविवार, 24 जनवरी 2010
ऑस्ट्रेलिया से राज ठाकरे को बुलावा
यूपी बिहार वालों से तंग आकर ऑस्ट्रेलिया सरकार ने मनसे के राज ठाकरे को ऑस्ट्रेलिया आने का निमंत्रण दिया है . उनका मानना है की राज ठाकरे और उनकी समस्या एक है . उन्होने राज ठाकरे से कुछ टॅक्सी ड्राइवरों की भी माँग की है जो बाहरी लोगों को भगाने में सक्षम हों .
ऑस्ट्रेलिया ने राज ठाकरे से मनसे की एक शाखा ऑस्ट्रेलिया में भी खोलने की माँग की है . उनका बयान है की उन्होने तो पैसे कमाने के लिए भारतीयों को पढ़ने आने दिया लेकिन ये मरदूद तो यहाँ बसने लगे . अब अंतर्राष्ट्रीय समाज के सामने हम तो खुल्लम खुल्ला कुछ नहीं कर सकते इसलिये महाराज पधारो म्हारी लाज बचाओ इन मवालियो से.
सुनने में आया है की राज ठाकरे ने उनकी माँग कुछ शर्तों के साथ स्वीकार कर ली है . जिसमें एक है की उन्हे मुंबई से भगाए जाने की अवस्था में ऑस्ट्रेलिया राजनीतिक शरण देगा और उनका दर्जा राजनैतिक सहयोगी का होगा ..
ऑस्ट्रेलिया ने राज ठाकरे से मनसे की एक शाखा ऑस्ट्रेलिया में भी खोलने की माँग की है . उनका बयान है की उन्होने तो पैसे कमाने के लिए भारतीयों को पढ़ने आने दिया लेकिन ये मरदूद तो यहाँ बसने लगे . अब अंतर्राष्ट्रीय समाज के सामने हम तो खुल्लम खुल्ला कुछ नहीं कर सकते इसलिये महाराज पधारो म्हारी लाज बचाओ इन मवालियो से.
सुनने में आया है की राज ठाकरे ने उनकी माँग कुछ शर्तों के साथ स्वीकार कर ली है . जिसमें एक है की उन्हे मुंबई से भगाए जाने की अवस्था में ऑस्ट्रेलिया राजनीतिक शरण देगा और उनका दर्जा राजनैतिक सहयोगी का होगा ..
शनिवार, 23 जनवरी 2010
हैकरों ने आयकर विभाग को चूना लगाया
मुंबई में 14 करोड़ रुपये आयकर विभाग के खाते से एलेक्ट्रोनिक क्लियरेंस सिस्टम के द्वारा उड़ा दिये गए .
अब यह काम हैकरों का है या कोई विभागीय आदमी का इस बारे में जाँच चल रही है . इस घोटाले के लिए आयकर वापसी के लिए उपयोग होने वाले खाते का प्रयोग किया गया . विभिन्न खातों में यह पैसा ट्रान्सफर किया गया .
यह काम दिसंबर में हुआ लेकिन इसका पता कल ही चला .
कितने सुरक्षित हैं एलेक्ट्रोनिक ट्रैंज़ैक्शन ?
अब यह काम हैकरों का है या कोई विभागीय आदमी का इस बारे में जाँच चल रही है . इस घोटाले के लिए आयकर वापसी के लिए उपयोग होने वाले खाते का प्रयोग किया गया . विभिन्न खातों में यह पैसा ट्रान्सफर किया गया .
यह काम दिसंबर में हुआ लेकिन इसका पता कल ही चला .
कितने सुरक्षित हैं एलेक्ट्रोनिक ट्रैंज़ैक्शन ?
26/11 ताज होटल और उसके बाद टाटा समूह का उदाहरण क्या कोई मुक़ाबला कर सकता है ?
आज इस देश में टाटा एक ऐसा ब्रांड है जो टाटा भी अपने सारे उत्पादों को नहीं देता . हो सकता है यह आपके लिए एक समाचार हो लेकिन टाटा अपना लोगो उन उत्पादों को ही लगाने की इजाजत देता है जो उसके कठिन मापदंडों में खरे उतरते हैं .
लेकिन आज जो बात मैं आपके सामने रखना चाहता हूँ वह मुझे एक ईमेल से मिली . क्षमा चाहूँगा रोमन में भेजने के लिए . किसी को असुविधा हो तो मुझे लिखें .
A. Terrorist entry
1. They entered from the Leopold Colaba hotel entrance and also from
the northern entrance – spraying indiscriminate bullets on the Taj security
personnel and guests in general.
2. Though Taj had a reasonable security – they were surely not
equipped to deal with terrorists who were spraying 6 bullets per trigger.
3. The strategy of the terrorists was to throw chunks of RDX in an
open area that will explode and burn – creating chaos so that the guests and
staff run helter skelter so that the terrorists could kill them. The idea was
to create maximum casualties.
4. There were several critical gatherings and functions happening in
the hotel on that day – a Bohra wedding, global meet of Unilever CEOs and Board
members and 2 other corporate meetings were being held in the hotel – besides
the usual crowd.
5. The firing and chaos began at about 8.30 p.m. and the staff
including employees on casual and contract basis displayed exemplary presence
of mind, courage and sacrifice to protect the guests who were in various halls
and conference rooms.
B. Stories of Staff Heroics
1. A young lady guest relation executive with the HLL gathering
stopped any of the members going out and volunteered 3 times to go out and get
stuff such as ice cubes for whiskey of the guests when the situation outside
the hall was very explosives and she could have been easily the target of the
bullets
2. Thomas George a captain escorted 54 guests from a backdoor
staircase and when he was going down last he was shot by the terrorists
3. There were 500 emails from various guests narrating heroics of
the staff and thanking them for saving their lives
4. In a subsequent function, Ratan Tata broke down in full public
view and sobbed saying – "the company belongs to these people". The wife of
Thomas George who laid his life saving others said, she and the kids were proud
of the man and that she did not know that for 25 years she lived with a man who
was so courageous and brave
5. The episode happened on 26th November, a significant part of the
hotel was burnt down and destroyed – the hotel was re-opened on 21st December
and all the employees of the hotel were paraded in front of the guests
6. It was clearly a saga of extra-ordinary heroics by ordinary
people for their organisation and in a way for their country. The sense of duty
and service was unprecedented
7. The young lady who protected and looked after the HLL guests was
a management trainee and we often speak of juniority and seniority in the
organisation. She had no instructions from any supervisor to do what she did
a. She took just 3 minutes to rescue the entire team through the kitchen
b. Cars were organised outside the hotel as per seniority of the members
c. In the peak of the crisis, she stepped out and got the right wine glass
for the guest
8. People who exhibited courage included janitors, waiters,
directors, artisans and captains – all level of people
C. The Tata Gesture
1. All category of employees including those who had completed even
1 day as casuals were treated on duty during the time the hotel was closed
2. Relief and assistance to all those who were injured and killed
3. The relief and assistance was extended to all those who died at
the railway station, surroundings including the "Pav-Bhaji" vendor and the pan
shop owners
4. During the time the hotel was closed, the salaries were sent my
money order
5. A psychiatric cell was established in collaboration with Tata
Institute of Social Sciences to counsel those who needed such help
6. The thoughts and anxieties going on people's mind was constantly
tracked and where needed psychological help provided
7. Employee outreach centers were opened where all help, food,
water, sanitation, first aid and counseling was provided. 1600 employees were
covered by this facility
8. Every employee was assigned to one mentor and it was that
person's responsibility to act as a "single window" clearance for any help that
the person required
9. Ratan Tata personally visited the families of all the 80
employees who in some manner – either through injury or getting killed – were
affected.
10. The dependents of the employees were flown from outside Mumbai to
Mumbai and taken care off in terms of ensuring mental assurance and peace. They
were all accommodated in Hotel President for 3 weeks
11. Ratan Tata himself asked the families and dependents – as to what
they wanted him to do.
12. In a record time of 20 days, a new trust was created by the Tatas
for the purpose of relief of employees.
13. What is unique is that even the other people, the railway
employees, the police staff, the pedestrians who had nothing to do with Tatas
were covered by compensation. Each one of them was provided subsistence
allowance of Rs. 10K per month for all these people for 6 months.
14. A 4 year old granddaughter of a vendor got 4 bullets in her and
only one was removed in the Government hospital. She was taken to Bombay
hospital and several lacs were spent by the Tatas on her to fully recover her
15. New hand carts were provided to several vendors who lost their
carts
16. Tata will take responsibility of life education of 46 children of
the victims of the terror
17. This was the most trying period in the life of the organisation.
Senior managers including Ratan Tata were visiting funeral to funeral over the
3 days that were most horrible
18. The settlement for every deceased member ranged from Rs. 36 to 85
lacs in addition to the following benefits:
a. Full last salary for life for the family and dependents
b. Complete responsibility of education of children and dependents –
anywhere in the world
c. Full Medical facility for the whole family and dependents for rest of
their life
d. All loans and advances were waived off – irrespective of the amount
e. Counselor for life for each person
D. Epilogue
1. How was such passion created among the employees? How and why did
they behave the way they did?
2. The organisation is clear that it is not something that someone
can take credit for. It is not some training and development that created such
behaviour. If someone suggests that – everyone laughs
3. It has to do with the DNA of the organisation, with the way Tata
culture exists and above all with the situation that prevailed that time. The
organisation has always been telling that customers and guests are #1 priority
4. The hotel business was started by Jamshedji Tata when he was
insulted in one of the British hotels and not allowed to stay there.
5. He created several institutions which later became icons of
progress, culture and modernity. IISc is one such institute. He was told by the
rulers that time that he can acquire land for IISc to the extent he could fence
the same. He could afford fencing only 400 acres.
6. When the HR function hesitatingly made a very rich proposal to
Ratan – he said – do you think we are doing enough?
7. The whole approach was that the organisation would spend several
hundred crore in re-building the property – why not spend equally on the
employees who gave their life?
--
मंगलवार, 19 जनवरी 2010
भगवान राम की सहायता से पर्यावरण सुधार
चौंक गए न आप ! मैं भी चौंक गया था शीर्षक पढ़ के . लेख पढ़ा तो समझ आया की कितना अभिनव प्रयास कर रही एक संस्था धर्म के सहारे . जहाँ लोग धर्म के नाम पर न जाने अपने कितनी दुकानदारी चला रहे हैं वहीं एक संगठन "रौनक एवं जागरूक समाज संस्था " ने लखनऊ से 250 किलोमीटर दूर सोनभद्र में अपना अभियान चला रखा है .
ये जगह जगह रामायण का पाठ करवाते हैं और प्रसाद के रूप में पौधे देते है . इनका यह कार्यक्रम काफी सफल हो रहा है , क्योंकि लोग प्रसाद का सम्मान करते हैं .
रौएजसस (REJSS) ने पिछले 6 महीने में इस तरह 18000 पौधों का वितरण किया है .
सोनभद्र के अलावा वाराणसी, चंदौली और मिर्ज़ापुर में भी यह अभियान चलाया गया है .
डिंपल सिंह जो इस संस्था की एक प्रवक्ता हैं ने बताया की पिछले पाँच सालों से वे ये अभियान स्कूलों में चला रहे थे लेकिन उन्हे इतनी सफलता नहीं मिली जितनी अब मिल रही है .इस कार्य के लिए जनता भी मुक्त हस्त से दान दे रही है . संस्था की योजना धीरे धीरे इसे राज्य के अन्य जिलों में ले जाने की है .
"जय श्रीराम करो कल्याण "
सौजन्य : याहू और आईएएनएस
(Asit Srivastava can be contacted at asit.s@ians.in)
ये जगह जगह रामायण का पाठ करवाते हैं और प्रसाद के रूप में पौधे देते है . इनका यह कार्यक्रम काफी सफल हो रहा है , क्योंकि लोग प्रसाद का सम्मान करते हैं .
रौएजसस (REJSS) ने पिछले 6 महीने में इस तरह 18000 पौधों का वितरण किया है .
सोनभद्र के अलावा वाराणसी, चंदौली और मिर्ज़ापुर में भी यह अभियान चलाया गया है .
डिंपल सिंह जो इस संस्था की एक प्रवक्ता हैं ने बताया की पिछले पाँच सालों से वे ये अभियान स्कूलों में चला रहे थे लेकिन उन्हे इतनी सफलता नहीं मिली जितनी अब मिल रही है .इस कार्य के लिए जनता भी मुक्त हस्त से दान दे रही है . संस्था की योजना धीरे धीरे इसे राज्य के अन्य जिलों में ले जाने की है .
"जय श्रीराम करो कल्याण "
सौजन्य : याहू और आईएएनएस
(Asit Srivastava can be contacted at asit.s@ians.in)
क्या कारण है बिहार तरक्की नहीं करता
वह राज्य जिसका एक स्वर्णिम इतिहास है उसके साथ ऐसा क्यों हो रहा है ?
पलायन इस देश के हर राज्य से हुआ
कुछ राज्य जिनसे पलायन हुआ आज देश के सबसे अग्रणी राज्य हैं
बिहार और उससे लगे राज्य जिनसे भी पलायन हुआ आज भी क्यों पिछड़े हुए हैं
आइये अपने विचारों से इसका कारण और इसका समाधान ढूँढने का प्रयास करें
क्योंकि जब तक सारे राज्य समृद्ध नहीं होंगे वसुधेव कुटुंबकम की अवधारणा संभव नहीं है
पलायन इस देश के हर राज्य से हुआ
कुछ राज्य जिनसे पलायन हुआ आज देश के सबसे अग्रणी राज्य हैं
बिहार और उससे लगे राज्य जिनसे भी पलायन हुआ आज भी क्यों पिछड़े हुए हैं
आइये अपने विचारों से इसका कारण और इसका समाधान ढूँढने का प्रयास करें
क्योंकि जब तक सारे राज्य समृद्ध नहीं होंगे वसुधेव कुटुंबकम की अवधारणा संभव नहीं है
रविवार, 17 जनवरी 2010
इब्न बतूता
आजकल यह गाना सब जगह सुनाई दे रहा है . यह कुछ सुना हुआ शब्द लगा, तो खोज करने पर पता चला की इंका असली नाम है " Abu Abdullah Muhammad Ibn Abdullah Al Lawati Al Tanji Ibn Battuta " .
ये जनाब मोरक्को के रहने वाले थे और एक प्रसिद्ध यात्री थे . 1304 में इनका जन्म हुआ था . 30 सालों तक इनने दुनिया के लगभग सभी इस्लामिक देशों की खाक छानी . इनने अपने समकालीन मार्को पोलो का रेकॉर्ड भी तोड़ दिया था .
इनने इन सारे देशों की यात्रा की जिनमे भारत भी शामिल है
इब्ने बतूता बगल में जूता ...............
ये जनाब मोरक्को के रहने वाले थे और एक प्रसिद्ध यात्री थे . 1304 में इनका जन्म हुआ था . 30 सालों तक इनने दुनिया के लगभग सभी इस्लामिक देशों की खाक छानी . इनने अपने समकालीन मार्को पोलो का रेकॉर्ड भी तोड़ दिया था .
इनने इन सारे देशों की यात्रा की जिनमे भारत भी शामिल है
इब्ने बतूता बगल में जूता ...............
मायावती द्वारा जनता के पैसे पर जन्म दिन मनाया गया
रायपुर के कई अखबारों में यह पूरे पेज का विज्ञापन दिखाई दिया . पहले तो यह विचार आया की कहीं मैं उत्तर प्रदेश में तो नहीं हूँ .
जनता के पैसे का ऐसा दुरुपयोग , क्या कोई न्याय पालिका इसका संज्ञान लेगी
शनिवार, 16 जनवरी 2010
एक सुखद अनुभूति , संस्कृत बोलते गाँव
आज एक विज्ञापन देखा तो सुखद आश्चर्य हुआ की अभी भी संस्कृत आम भाषा के रूप में बोली जा रही है .
विज्ञापन में संदर्भ था मैंगलोर से 100 किलोमीटर दूर एक गाँव मत्तूर का . जिज्ञासावस गूगल में खोज की तो एक और गाँव मिला मध्य प्रदेश में "झिरी " इंदौर से 150 किलोमीटर दूर है यह गाँव जहाँ मालवी की जगह संस्कृत बोली जाती है .
इसी तरह मेतुर के बारे में यहाँ पढ़ें http://www.tribuneindia.com/2000/20000322/haryana.htm#5
विज्ञापन में संदर्भ था मैंगलोर से 100 किलोमीटर दूर एक गाँव मत्तूर का . जिज्ञासावस गूगल में खोज की तो एक और गाँव मिला मध्य प्रदेश में "झिरी " इंदौर से 150 किलोमीटर दूर है यह गाँव जहाँ मालवी की जगह संस्कृत बोली जाती है .
इसी तरह मेतुर के बारे में यहाँ पढ़ें http://www.tribuneindia.com/2000/20000322/haryana.htm#5
सोमवार, 11 जनवरी 2010
भारत 88 वीं पायदान पर ....
इस वर्ष की सूची में भारत ने 35 स्थानो की छलांग लगाते हुए 88 वाँ स्थान प्राप्त किया है . 2010 के जीवन की गुणवत्ता के आधार पर इंटरनेशनल लिविंग नामक पत्रिका ने यह सूची जारी की है . यह पत्रिका 30 साल से यह सर्वेक्षण कर रही है . इस सर्वेक्षण में 9 विभिन्न श्रेणीयों को ध्यान में रखा जाता है - जीवन यापन का खर्च , संस्कृति और आराम , अर्थ व्यवस्था , पर्यावरण, आजादी , स्वास्थ्य, आधारभूत स्थिति , सुरक्षा और ख़तरे और वातावरण .
इस महाद्वीप में भारत ने दूसरा स्थान प्राप्त किया है भूटान के बाद . पिछले वर्ष यह चौथे स्थान में था .
अंतर्राष्ट्रीय सूची में फ़्रांस लगातार पाँचवी बार प्रथम स्थान पर है , इसके बाद हैं ऑस्ट्रेलिया !, स्विट्ज़रलैंड और जर्मनी . अमेरिका चार स्थान खोते हुए सातवीं पायदान पर है. स्वीडन विश्व का सबसे महंगा देश है .
सौजन्य : याहू
इस महाद्वीप में भारत ने दूसरा स्थान प्राप्त किया है भूटान के बाद . पिछले वर्ष यह चौथे स्थान में था .
अंतर्राष्ट्रीय सूची में फ़्रांस लगातार पाँचवी बार प्रथम स्थान पर है , इसके बाद हैं ऑस्ट्रेलिया !, स्विट्ज़रलैंड और जर्मनी . अमेरिका चार स्थान खोते हुए सातवीं पायदान पर है. स्वीडन विश्व का सबसे महंगा देश है .
सौजन्य : याहू
श्री श्रीमान श्रीमती कुमारी सुश्री सुश्रा
मनीषियों से निवेदन है ये सुश्री शब्द कहाँ से आया और सुश्री है तो सुश्रा कहाँ है. कुछ समय से यह शब्द खटक रहा था . नारियां ध्यान दे ये भी एक जेण्डर बाईस है .
शुक्रवार, 8 जनवरी 2010
थ्री इडियट - एक सही संदेश
इस फिल्म ने एक पुराने सिद्धांत को सामने रखने की कोशिश की है कि अपने आप को पहचानो . हर इंसान में एक बीज छिपा है उसके विकास का, जो इसे उचित धरातल दे पाया उसका जीवन पुष्पित पल्लवित हो गया . बाकी सब एक भीड़ में गुम गए . रंचो प्रतीक है उस धुन का जिसे अपना वाद्य और संगीत पता था . लगता तो एक स्वप्न जैसा ही है , लेकिन चरितार्थ करता है " जिन खोजा तीन पाइयाँ गहरे पानी पैठ ".उसके लिए पढ़ाई एक माध्यम था अपने आप तक पहुँचने का, ना कि अपनी झोली भरने का .
सिर्फ खलता है, इसकी प्रस्तुति में कुछ हल्के दृश्य दिखाने क्या जरूरी थे ?
सिर्फ खलता है, इसकी प्रस्तुति में कुछ हल्के दृश्य दिखाने क्या जरूरी थे ?
बुधवार, 6 जनवरी 2010
मेडिकल काउंसिल का जागना कितना प्रभावी होगा - 1
सालों की नींद से जागते हुए मेडिकल कौंसिल ने दो फैसले लिए हैं . आज एक की बात करते हैं . कौंसिल ने डोक्टरों और दवा कंपनियों पर किसी भी प्रकार के लेन देन पर रोक लगायी है .
यह बात काफी समय से प्रकाश में आ रही थी कि अपने उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए दवा कपनियां तरह तरह के प्रलोभन डोक्टरों को दे रही थी . पहले यह सिर्फ पेन, पैड और संपल तक सीमित था . धीरे धीरे इसका विस्तार होता गया . एक रिपोर्ट में तो यह भी पता चला कि भारत जैसे देशों में हर दूसरी दवा व्यर्थ में लिखी जाती है .
यह तो समय ही बताएगा कि कितना प्रभावी होगा यह कदम .
यह बात काफी समय से प्रकाश में आ रही थी कि अपने उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए दवा कपनियां तरह तरह के प्रलोभन डोक्टरों को दे रही थी . पहले यह सिर्फ पेन, पैड और संपल तक सीमित था . धीरे धीरे इसका विस्तार होता गया . एक रिपोर्ट में तो यह भी पता चला कि भारत जैसे देशों में हर दूसरी दवा व्यर्थ में लिखी जाती है .
यह तो समय ही बताएगा कि कितना प्रभावी होगा यह कदम .
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