शुक्रवार, 24 अप्रैल 2009

आतंरिक आतंकवाद और विदेशी समर्थन

इस देश के आतंरिक आतंकवाद को विदेशी समर्थन की राह में विख्यात मेडिकल पत्रिका
लांसेट का भी प्रवेश http://www।thelancet।com/journals/lancet/article/PIIS0140-6736(09)60663-2/fulltext

हम कब जागेंगे ?

3 टिप्‍पणियां:

रविसिंह ने कहा…

उम्मीद रखे कि ह्त्यारे और आतंक के पैरोकार फांसी और जेल की कालकोठरी से बच न पायें

आप सोये हुओ को जगा सकते है, जो जगकर मक्कड़ कर रहे हैं उनको कैसे जगायेंगे?

aaj bhi ने कहा…

sunha ji hamare swagat ke liye danyawad.
samwad ka silsila jari rahega
aap jaiso ko karib pakar hum utsahit hai.
utsah badate rahe.
-aajbhi
aajbhi.blogspot.com

Anil Pusadkar ने कहा…

सही कहा रविसिंह ने,जो जाग कर भी अंजान बने हुये है उन्हे कैसे जगाया जाय्।