शनिवार, 4 अप्रैल 2009

राहुल गांधी का बयान की कांग्रेस गरीबो के साथ है

कोई शक नही इस बयान में । इस देश में गरीब और गरीबी को किसने बढाया ? जिसने ज्यादातर इस देश में शासन किया । किसने इस देश को धर्म, समाज , जाती और आरक्षण के भवंर में डाला । और हमेशा ये दावा करना की हम धर्म निरपेक्ष हैं, आपकी पार्टी या किसी भी पार्टी ने इस देश में क्या किया ये किसी से छुपा नही है।
आज बाबा साहेब आंबेडकर की आत्मा कितनी कराह रही होगी किसीको इसका अंदाजा है? उनमें इतनी दूरदृष्टि और क्षमता थी की उन्हों ने आरक्षण का विरोध किया था । उन्होंने सहमती इसी बात पर दी थी की यह समय के साथ हटा लिया जायेगा । किंतु जब गांधीजी की बात को नही माना गया तो कहाँ बेचारे डॉक्टर भीमराव !
सारी दुनिया चिल्लाती रही की आर्थिक आधार पर आरक्षण या सुविधा दो लेकिन सब सोते रहे । नेता तो चाहते ही हैं की जनता सिर्फ़ चुनाव के समय जागे अपना कमीशन ले और सो जाए , आख़िर राजा राजा होता है और प्रजा प्रजा होती है । अब कहीं से जाकर कांग्रेस को आर्थिक आधार पर आरक्षण देने की सुध आई है , देर आए दुरस्त आए ।

10 टिप्‍पणियां:

ghughutibasuti ने कहा…

प्रजा पर, देश पर शासन करना एक बात है गणित पर किसी का शासन नहीं चलता। दुर्भाग्य से प्रतिशत में बाँटने को सौ ही भाग हैं, सो यह आरक्षण किस किस में कितना बाँटा जा सकता है ? सौ के पार तो नहीं जाया जा सकेगा।
घुघूती बासूती

राज भाटिय़ा ने कहा…

महेश जी आप का स्वागत है, अभी अभी अनिल जी से आप के बारे पता चला, आप का लेख बहुत ही अच्छा लगा, क्या कांग्रेस सच मै आर्थिक आधार पर आरक्षण देना चाहती है?? या फ़िर राहूल बाबा को ही राजा बनाने के लिये फ़िर से झुठ बोल रही है...
धन्यवाद

विष्णु बैरागी ने कहा…

दुर्घटना से देर भली। लौट के बुध्‍दू घर को आए।

संगीता पुरी ने कहा…

देर से तो सोंच आएगी ही ... क्‍योंकि सिर्फ चुनाव के वक्‍त ही नेता सोंचते हैं।

Udan Tashtari ने कहा…

आपका हिन्दी ब्लॉगजगत में स्वागत है. नि्यमित लेखन का शुभकामनाऐं.

दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…

छोटी छोटी विचारोत्तेजक पोस्टें। संस्कृति वास्तव में एक ब्लाग है।

Gyan Dutt Pandey ने कहा…

ओह, डा. अम्बेडकर की दूरदृष्टि पर नो कमेण्ट्स। अरुण शौरी की पुस्तक पढ़ कर विचार कुछ गड्ड-मड्ड से हैं।

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद ने कहा…

आपकी निरपेक्ष सोच को साधुवाद। अनिल जी को धन्यवाद जिनके माध्यम से आपका परिचय मिला।

अनुनाद सिंह ने कहा…

महेश जी,
आपका हिन्दी ब्लागजगत में स्वागत है।
भारत से जाते-जाते अंग्रेज अपनी सारी जिम्मेदारियाँ कांग्रेस को देते गये। उसमें से एक थी - जनता को बांटने की जिम्मेदारी।

आप शायद गूगल ट्रान्सलिटरेशन पर १००% भरोसा करने लगे हैं। इसी लिये शीर्षक में 'कि' के स्थान पर 'की' हो गया है।

Sanjeet Tripathi ने कहा…

स्वागत है ब्लॉगजगत पर एक और छत्तीसगढ़िया का शुभकामनाओं के साथ।