शुक्रवार, 17 अप्रैल 2009

बर्बरता ने एक और मासूम की जान ले ली

एक शिक्षक के व्यवहार ने एक मासूम की जान ले ली । कौन जिम्मेदार है इसके लिए ? हमारी व्यवस्था जिसने शिक्षा और स्वास्थ्य को एक व्वयसाय में बदल दिया है । हमारी मानसिकता हमें कहाँ ले कर आ गई जहाँ हर चीज सिर्फ़ एक व्यावसायिक रूप में देखी जाती है , सिर्फ़ पैसे कमाने के लिए कोई भी कुछ भी बन सकता है , उसके लिए मानसिक रूप से तैयार हुए बिना । कोई aptitude test के बिना कोई भी कुछ भी बन सकता है , क्या यही सवैधानिक अधिकार है ?
हमारी व्यवस्था ने हमारे बौद्धिक धन का बहुत नुक्सान किया है उसके बारे में फिर कभी .

1 टिप्पणी:

संगीता पुरी ने कहा…

इतने बुरे शैक्षणिक वातावरण में भला हम बच्‍चे के एक अच्‍छे नागरिक होने की उम्‍मीद रख सकते हें ?