जयललिता ने DMK द्वारा राजनैतिक रूप से प्रायोजित बंद का विरोध करके साह्स का परिचय दिया है । काफी समय से तमिलनाडु के नेता वहां की जनता को भाषा और क्षेत्रीयता का जहर पिलाते रहे हैं । शायद पहली बार किसीने इसका विरोध किया है । अब जब श्रीलंका अपनी एक समस्या के समाधान के मुहाने पर पहुँच गया है तो लोग अपनी रोटी सेकने लगे हैं । इन लोगों ने तमिल लोगों का कितना नुकसान किया है, ये गरीब किससे कहेंगे ?
टीवी में कुछ बच निकल आए लोगों के चित्र देखे , ये चित्र अपने आप में उनकी अवस्था का चित्रण कर रहे हैं ।
और अब अमेरिका और मानवतावादी संगठन भी कूद पड़े हैं सलाह देने , कहां सो रहे थे ये इतने सालों तक । अन्तिम वक्त में तो यूरोपिय संगठन भी पीछे हट गया .
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