बीस देशों के नेता इकट्ठा होकर दुनिया की अर्थव्यवस्था पर विचार करते हैं । अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं को १ हजार लाख देने का वादा करते हैं । कौन किसकी अवस्था सुधार रहा है समझ नही आता ? ये संस्थान कहाँ खर्च करेंगे भगवान मालिक है । अमेरिका में मंदी में भी संस्थाओं के निदेशक अपनी झोली भरकर संस्थाओं को डुबा रहे थे !
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