गुरुवार, 16 अप्रैल 2009

वरुण गाँधी - सूक्ष्म टिपण्णी

सुप्रीम कोर्ट ने वरुण गाँधी से हलफनामा माँगा है कि वे आगे से भड़काऊ भाषण नही देंगे ? क्या इसका मतलब ये स्वीकारोक्ति नही होगी कि उन्होंने पहले ऐसा किया है ?

4 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

क्या आपने वरुण का हलफनामा पढ़ा है? कोर्ट जो चाहता था वरुण ने वैसा लिख कर नहीं दिया

कोर्ट ने इसे असंतोष जनक बताया है
लेकिन फिर भी पैरोल पर छोड़ दिया, न जाने क्यों?

क्यों? क्यों?

RAJNISH PARIHAR ने कहा…

kuchh pench to jroor hai...

Anil Pusadkar ने कहा…

अदालत का मामला है,अदालत ही जाने॥

बेनामी ने कहा…

इसलिये छोड़ा कि कांग्रेस की हवा निकल गई थी
कांग्रेस चाहती थी कि वरुण अन्दर न रहे इससे मायावती को बहुत फायदा होता और कांग्रेस को नुकसान

इसलिये वरूण द्वारा अदालत ने जैसा चाहा वैसा एफीडेबिट न देने पर भी पैरोल पर छोड़ दिया