क्या इस देश में रहकर अपनी आवाज बुलंद करने के लिए एक अंग्रेजी ब्लॉग बनाना जरूरी है
क्या इस देश में रहकर अपनी आवाज बुलंद करने के लिए एक अंग्रेजी ब्लॉग बनाना जरूरी है .
मुझे तो लग रहा है हाँ . क्योंकि आज भी इस देश की विचारधारा को अंग्रेजी के अख़बार ज्यादा प्रभावित करते हैं बजाया हिंदी और अन्य भाषाओँ के .
तभी तो मैंने अपना अंग्रेजी ब्लौग शुरू किया था.. मगर मन हिंदी में ही अधिक रमता है.. मेरे अंग्रेजी ब्लौग पर जाने के लिये इस पते पर जा सकते हैं.. www.micropostings.blogspot.com/
. . . मैं सहमत हूँ, अभी भी OPINION MAKERS व OPINION LEADERS शायद अंग्रेजी ही समझते/ अंग्रेजी में लिखे को महत्व देते हैं। आपका अपना READER BASE भी काफी बढ़ जाता है अंग्रेजी में लिखने से।
12 टिप्पणियां:
तभी तो मैंने अपना अंग्रेजी ब्लौग शुरू किया था.. मगर मन हिंदी में ही अधिक रमता है.. मेरे अंग्रेजी ब्लौग पर जाने के लिये इस पते पर जा सकते हैं.. www.micropostings.blogspot.com/
अखबार क्या अभी भी प्रभावित करते हैं??
हम आज भी अंग्रेजी में ही उलझे हुये हैं..... पर संस्कार और संस्कृति हिंदी में ही ढूंढते हैं.....
आप की बात विचारणीय है.......शायद आप सही कह रहे हैं लेकिन वे अपनी बात कैसे कहेगे जो अग्रेजी नही जानते......
कतई नही। देश के करोड़ों लोग हिन्दी भाषी या क्षेत्रीय भाषा को बोलने वाले ही हैं।
अगर आपको लगता है, तो बना ही डालिए। वैसे भी पुरानी कहावत है, सुनो सब की करो मन की।
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छोटी सी गल्ती जो बडे़-बडे़ ब्लॉगर करते हैं।
क्या अंतरिक्ष में झण्डे गाड़ेगा इसरो का यह मिशन?
इस देश की पचासों भाषाओं की आवाज़ भी जब बहरी सरकार नहीं सुन रही तो अम्रेज़ी क्या कर लेगी :)
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मैं सहमत हूँ, अभी भी OPINION MAKERS व OPINION LEADERS शायद अंग्रेजी ही समझते/ अंग्रेजी में लिखे को महत्व देते हैं।
आपका अपना READER BASE भी काफी बढ़ जाता है अंग्रेजी में लिखने से।
एक ब्लोग अंग्रेजी में सही..
यदि मुझसे पूछा जाए तो मैं बिना दलीलों के कहूंगा कि नहीं.
हां यदि एडसेंस विज्ञापनों से आय की सोंचें तब हॉं.
मुझे भी ये ज़रूरी नही लगता .......... हाँ अगर विदेशियों को समझाना है तो ज़रूरी है ...........
अंग्रेजी में कम मेहनत से ज्यादा बड़ी रीडरशिप पा सकते हैं।
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