बुधवार, 16 दिसंबर 2009

क्या इस देश में रहकर अपनी आवाज बुलंद करने के लिए एक अंग्रेजी ब्लॉग बनाना जरूरी है

क्या इस देश में रहकर अपनी आवाज बुलंद करने के लिए एक अंग्रेजी ब्लॉग बनाना जरूरी  है .
मुझे तो लग रहा है हाँ . क्योंकि आज भी इस देश की विचारधारा को अंग्रेजी के अख़बार ज्यादा प्रभावित  करते हैं बजाया हिंदी और   अन्य भाषाओँ  के .

12 टिप्‍पणियां:

PD ने कहा…

तभी तो मैंने अपना अंग्रेजी ब्लौग शुरू किया था.. मगर मन हिंदी में ही अधिक रमता है.. मेरे अंग्रेजी ब्लौग पर जाने के लिये इस पते पर जा सकते हैं.. www.micropostings.blogspot.com/

Udan Tashtari ने कहा…

अखबार क्या अभी भी प्रभावित करते हैं??

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) ने कहा…

हम आज भी अंग्रेजी में ही उलझे हुये हैं..... पर संस्कार और संस्कृति हिंदी में ही ढूंढते हैं.....

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

आप की बात विचारणीय है.......शायद आप सही कह रहे हैं लेकिन वे अपनी बात कैसे कहेगे जो अग्रेजी नही जानते......

डॉ टी एस दराल ने कहा…

कतई नही। देश के करोड़ों लोग हिन्दी भाषी या क्षेत्रीय भाषा को बोलने वाले ही हैं।

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

अगर आपको लगता है, तो बना ही डालिए। वैसे भी पुरानी कहावत है, सुनो सब की करो मन की।
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छोटी सी गल्ती जो बडे़-बडे़ ब्लॉगर करते हैं।
क्या अंतरिक्ष में झण्डे गाड़ेगा इसरो का यह मिशन?

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद ने कहा…

इस देश की पचासों भाषाओं की आवाज़ भी जब बहरी सरकार नहीं सुन रही तो अम्रेज़ी क्या कर लेगी :)

प्रवीण ने कहा…

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मैं सहमत हूँ, अभी भी OPINION MAKERS व OPINION LEADERS शायद अंग्रेजी ही समझते/ अंग्रेजी में लिखे को महत्व देते हैं।
आपका अपना READER BASE भी काफी बढ़ जाता है अंग्रेजी में लिखने से।

रंजन ने कहा…

एक ब्लोग अंग्रेजी में सही..

36solutions ने कहा…

यदि मुझसे पूछा जाए तो मैं बिना दलीलों के कहूंगा कि नहीं.
हां यदि एडसेंस विज्ञापनों से आय की सोंचें तब हॉं.

दिगम्बर नासवा ने कहा…

मुझे भी ये ज़रूरी नही लगता .......... हाँ अगर विदेशियों को समझाना है तो ज़रूरी है ...........

Gyan Dutt Pandey ने कहा…

अंग्रेजी में कम मेहनत से ज्यादा बड़ी रीडरशिप पा सकते हैं।