रविवार, 20 दिसंबर 2009

हम सब स्वार्थी हैं

जी हाँ इसे स्वीकार करने में आपको परेशानी क्यों हो रही है . यह एक सत्य है और नितांत सत्य है . यह एक सुरक्षात्मक जरूरत है . अगर ऐसा नहीं है तो क्यों आप पूरी की पूरी सड़क घेर के खड़े हो जाते हैं . आपतकालीन वाहन के लिए जगह नहीं छोडते . जल्दी के चक्कर में दूसरे को चोट पहुँच सकती है इसका भी ध्यान नहीं रखते . सारे नियम कायदों का उल्लंघन करना तो जैसे हमारी दिनचर्या है . दूसरों   से सब उम्मीद  करते हैं लेकिन अपनी बारी आने पर पीछे हट जाते हैं. आप भी कहेंगे क्या सबेरे सबेरे दिमाग खा रहा है , अपना ज्ञान बघार रहा है . देखिये यही सत्य है .













हम सभी स्वार्थी हैं , जी हाँ . हम सभी तो स्व की अर्थी लेकर घूम रहे हैं यानि अपनी जिंदा लाश . मरने के बाद कोई और उठाएगा लेकिन तब तक तो खुद को लेकर घूमना पड़ेगा :)

13 टिप्‍पणियां:

36solutions ने कहा…

सही है, हम सभी स्‍वार्थी हैं. आपने शायद फोटो भी बीच में लगाया है वह मेरे कम्‍प्‍यूटर में लोड नहीं हो पा रहा है.

डॉ महेश सिन्हा ने कहा…

@ संजीव जी
बीच में चित्र नहीं है केवल खाली स्थान है . नीचे कुछ लाइन हैं

संगीता पुरी ने कहा…

हम सभी स्वार्थी हैं , जी हाँ . हम सभी तो स्व की अर्थी लेकर घूम रहे हैं यानि अपनी जिंदा लाश . मरने के बाद कोई और उठाएगा लेकिन तब तक तो खुद को लेकर घूमना पड़ेगा :)
बिल्‍कुल सटीक बात !!

दिगम्बर नासवा ने कहा…

आपने बहुत ही सुंदर तरीके से बताया है ......... स्वार्थी का अर्थ भी कमाल का है ...... हाँ चित्र नज़र नही आ रहा .......

पंकज ने कहा…

स्वार्थ को बुरा क्यों समझा जाता है? स्वार्थ नहीं होगा तो परमार्थ भी नहीं होगा.

पोस्ट के बीच की खाली जगह का भी कुछ अर्थ है क्या ???

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

बढ़िया पोस्ट लिखी है....जो खालि जगह है उस के बारे मे बस इतना ही कहूँगा-

राज भाटिय़ा ने कहा…

बहुत सुंदर बात कही आप ने, लेकिन फ़ोटू कहा गया??

डॉ टी एस दराल ने कहा…

शायद स्वार्थी होना इंसान की लिमिटेशन है।
अगर इससे ऊपर उठ जाये तो भगवान् ना बन जाये।

Kavita Vachaknavee ने कहा…

सटीक

निर्मला कपिला ने कहा…

आपने बिलकुल सही कहा है हम सब स्वार्थी हैं अगर स्वार्थी न होते तो आज समाज और देश का ये हाल न होता। धन्यवाद ।विचारणीय य पोस्ट है

योगेन्द्र मौदगिल ने कहा…

sahi kaha...badiya post...

Pawan Kumar ने कहा…

स्वार्थी होने में तब तक बुरे नहीं जब तक कि दूसरे की गरिमा और सम्मान को आंच न पहुंचे........

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

हम सभी स्वार्थी हैं मगर यह भी सच है कि हम इतने संवेदनशील भी हैं कि जानते हैं कि हम सभी स्वार्थी हैं
इससे एक बात की संभावना है कि हम कभी भी अपना स्वार्थ छोड़ कर दूसरे की मदद कर सकते हैं