बुधवार, 22 अप्रैल 2009

अमेरिका पाकिस्तान और हम

अमेरिका ने भारत से अनुरोध किया है कि वो पाकिस्तान की सहायता करे आतंकवाद की समाप्ति के लिए । सुनने में तो बड़ा अच्छा लगता है पर वास्तविकता क्या है ? क्या पाकिस्तान भी ऐसा चाहेगा ? २६/११ के बाद जैसे ही भारत ने अपनी सीमा पर सेना तैनात की, पाकिस्तान ने भी अपनी सेना अफगानिस्तान सीमा से हटाकर भारत की ओर लगा दी । इससे अमेरिका के तालिबान के खिलाफ अभियान में कमजोरी आयी । अमेरिका पाकिस्तान को पैसा तो देता है आतंकवाद को ख़त्म करने लेकिन पाकिस्तान इसका उपयोग करता है ISI के द्वारा भारत के खिलाफ आतंकवादी पैदा और भेजने के लिए । पाकिस्तान जिसने स्वात घाटी में तालिबान का शासन स्वीकार कर लिया वो क्या आतंकवाद से लडेगा, वो भी भारत से मिलकर ! वास्तव में जो मांग अमेरिका ने रखी है , वो ये है कि भारत अपनी सेना सीमा से हटा ले जिससे पाकिस्तान अपनी सेना अफगानिस्तान बॉर्डर पर ले जा सके । क्यों जिससे भारत अपने यहाँ आतंकवादी के घुसने का रास्ता खोल दे । अमेरिका पाकिस्तान को ये विश्वास क्यों नही दिला सकता कि भारत उसपर आक्रमण नही करेगा । पाकिस्तान ने भारत के द्वारा आक्रमण के खतरे को उठाकर अंतर्राष्ट्रीय सहानुभूति बटोरने की कोशिश की लेकिन जब भारत ने ऐसा नही किया तो उसके अभियान की हवा निकल गई । अब उसने एक नया पैतरा अमेरिका के द्वारा खेला है । पाकिस्तान आज अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जिन्दा है तो सिर्फ़ एक कारण से , सिर्फ़ और सिर्फ़ भारत का विरोध। पाकिस्तान अपना सारा दम भारत के खिलाफ दिखाता है अगर इतना ही दम है तो क्यों नही अपने यहाँ से आतंकवाद को उखाड़ फेंकता । अमेरिकी सेना को वो अपने यहाँ सीमान्त इलाकों में बम गिराने की इजाजत देता है । भारत को भी इजाजत देके तो देखे , आतंकवाद का सफाया हो जायेगा । लेकिन क्या इतनी हिम्मत और इच्छाशक्ति है उसमें ???

1 टिप्पणी:

विजय वडनेरे ने कहा…

आपकी बात सही है, परंतु इस पंक्ति (अमेरिकी सेना को वो अपने यहाँ सीमान्त इलाकों में बम गिराने की इजाजत देता है) पर मुझे कुछ कहना है। पाकिस्तान, अमेरिका को बम गिराने की "इजाजत" नहीं देता है, दरअसल वह अमेरिका को मना ही नहीं कर सकता क्योंकि उसे अमेरिका की शक्ति पता है। भारत की शक्ति(?) अगर होती तो पाकिस्तान से इजाजत लेने की बात ही कहाँ आती।