रविवार, 26 अप्रैल 2009

बिनायक सेन को रिहा करो!

आप स्वयं देख सकते हैं कैसे ये आन्दोलन चल रहा है । ४३ डिग्री की गर्मी में बच्चों और बुजुर्गों पर ये अत्याचार कौनसा मानवाधिकार आन्दोलन है !
इनके चेहरे ही सब बयान कर रहे हैं

6 टिप्‍पणियां:

रवि सिंह ने कहा…

विनायक सेन के बहाने अच्छा प्रयास है
इन मानवधिक्कार वादियों के इस भले काम से कम इन बेराजगारों को तीन तीन दिन के लिये मज़दूरी तो मिली

Kapil ने कहा…

किसी फोटो को दिखाकर अपनी बात थोप देना कौन सी निश्‍चेतना है सिन्‍हाजी। फिर भी अगर इसे माना जाए तो मुझे तो आपकी फोटो भी अत्‍याचार से त्रस्‍त नजर आ रही है। थोड़ी समझदारी की बातें कीजिए भाई साहब।
रवि भाई, सबको क्‍या निक्‍कर या चड्डीधारी राजनीति वाला समझ रखा है। ये लोग शंकरगुहा नियोगी की छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा के हैं जहां विनायक सेन ने शहीद अस्‍पताल की स्‍थापना की थी। अपने डॉक्‍टर की रिहाई तक ये लोग ऐसे ही आते रहेंगे। यकीन न हो तो एक दिन जाकर धूप में तुम भी पसीना बहाकर खुद इन लोगों से पूछ आओ। अब ये मत कह देना कि नियोगी भी विदेशी पैसे पर काम कर रहे थे। दिमाग वाकई सच को समझना चाहता हो तो कभी दल्‍ली-राजहरा इलाके के मजदूरों से बात करके देख लेना।

बेनामी ने कहा…

डाक्टर साहब आपने तो पोल खोल दी। कपिल जैसो को अच्चे से जानना है तो Communist Goon Net (CGnet) ज्वाइन करिये।

भोला छत्तीसगढिया का मितान

दिनेश ने कहा…

सही कहा है महेश सिन्हा जी
देखिये सही चोट खाकर इन्हें कैसी मिर्चें लगी है
आपकी संयत भाषा में लिखी पोस्ट पर ये कैसे बौखला गये हैं

Sanjeet Tripathi ने कहा…

बहुत सही भाई साहब्।
मैं खुद इसी तस्वीर को ढूंढ रहा था।
आज ही स्कैन करवाया अखबार से।
बहुत सही प्वाइंट उठाया आपने।

L.Goswami ने कहा…

आपकी टिप्पणी का धन्यवाद, मुझे खुसी हुई आप मेरे चिठ्ठे पर आये और अपनी बहुमूल्य प्रतिक्रिया दी.स्नेह बनाये रखें