भारतीय रेल को सबसे ज्यादा धन जुटाने वाला दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे और उसमे भी आगे रायपुर डिविजन ।
लेकिन इससे होता क्या है । सारे इन्तेजाम तो दिल्ली से स्वीकार होते हैं । ४३ डिग्री तापमान में यहाँ वैसा ही गर्म पानी मिल रहा है या ठंडी लोकल बनी मिनेरल वाटर की बोतल खरीदो ।
सबसे बर्बाद सूचना व्यवस्था । अन्तिम समय में प्लेटफोर्म बदला जाना । divisional मुख्यालय होने पर भी करंट रिज़र्वेशन काउंटर की व्यवस्था नही । बाहर से आने वाले चौंक जाते हैं । हर बड़े स्टेशन में उच्च श्रेणी विश्राम कक्ष में एसी की व्यवस्था है यहाँ तो प्लेटफोर्म में पंखा नही चलता । देश का सबसे बदनाम स्टेशन टिकेट की दलाली के लिए । दलालों के लिए तो ऐसी व्यवस्था है कि आप चौंक जायेंगे । एक छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस यहाँ से गुजरती है , इस ट्रेन में एसी ३ टियर का सबसे ज्यादा कोटा एक छोटे से स्टेशन तिल्दा का है जहाँ २ मिनट गाड़ी रूकती है । ये कोटा बिलासपुर और रायपुर से ज्यादा है ? १० प्रस्ताव यहाँ से अगर जाते है तो रेलवे बोर्ड एक भी स्वीकार कर ले तो अहोभाग्य .
इतने बड़े स्टेशन में कार्ड से टिकेट लेने की भी व्यवस्था नही है ।
सुरक्षा का तो ये आलम है बाहर आते ही ऑटो और रिक्शेवाले टूट पड़ते हैं । और सामान की जिम्मेदारी तो आपकी ही होती है ।
सबसे ज्यादा माल का परिवहन यहाँ से होता है पूरे देश में और freight कॉरिडोर बनाया जा रहा है मुंबई-दिल्ली-कोल्कता के बीच, क्योंकि वो बिहार हो कर जाता है ? इस देश में सबसे ज्यादा ट्रेन चलती हैं बिहार से , अच्छा है जब कुछ काम नही तो लोगों को एक्सपोर्ट होने की सुविधा तो मिलनी चाहिए , लेकिन धन कमा कर देने वाला ये क्षेत्र छोटी छोटी जरूरतों के लिए मोहताज है ! हम ही हैं इसके लिए जिम्मेदार । शायद यहाँ से कोई एक बार रेल मंत्री बन जाए तो ही शायद उद्धार हो .
2 टिप्पणियां:
आप की बात से सहमत हैं. यही रेल खंड रेलवे को सबसे अधिक आय देती है फिर भी हमेशा से ही उपेक्षित रही है. तिल्दा के बारे में जो बात बताई आश्चर्यजनक लगा. वैसे पहले की तुलना में अब रायपुर का स्टेशन काफी बड़ा हो गया है. धमतरी जाने वाली गाड़ी को मिलाके कुल तीन ही प्लेटफोर्म हुआ करते थे.
तिल्दा से भोपाल के लिया एसी ३ में ४० birth है जबकि रायपुर से १६ !?
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