सोमवार, 14 दिसंबर 2009

कितना सही है आभार कहना

सामान्य भाषा में काफी लोग "आभार" शब्द का प्रयोग करते हैं . यह एक तरीका है अपनी महसूसियत को जाहिर करने का . इसमें लेकिन एक पेंच है . जिसको भी हम आभार प्रदर्शित करते हैं उसका भार अपने ऊपर ले लेते हैं, आ भार. उचित यह होगा कि हम धन्यवाद कहें . इस दुनिया में कहे गए एक एक शब्द का महत्व है . इसका प्रभाव आप और आपके आसपास भी  होता है .
आपका क्या विचार है , बताएं.

9 टिप्‍पणियां:

श्यामल सुमन ने कहा…

आभार के इस सुन्दर विश्लेषण के लिए आपका आभारी हूँ। सॅारी -- आपको धन्यवाद।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com

ghughutibasuti ने कहा…

गुजरात में दस साल रहने से आभार की आदत पड़ गई है। सही भी लगता है यह शब्द।
घुघूती बासूती

Arshia Ali ने कहा…

अपना अपना विचार।
हमारी ओर से स्वीकारें आभार।
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ये तो बहुत ही आसान पहेली है?
धरती का हर बाशिंदा महफ़ूज़ रहे, खुशहाल रहे।

Murari Pareek ने कहा…

हा..हा.. सही बताया आ भार !! दुसरे का भार अपने ऊपर कदापि न लें !!! आपका भी अंगूठा लगाने के लिए आभा.....नहीं नहीं धन्यवाद !!!.

समयचक्र ने कहा…

सर आभार की सभी की अपनी अपनी डेफिनेशन हो सकती है ....

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद ने कहा…

मार्गदर्शन के लिए ‘आ भार’ :)

निर्मला कपिला ने कहा…

आपकी बात सही है धन्यवाद्

डॉ टी एस दराल ने कहा…

सिन्हा जी, रस्ते अलग अलग हैं, ठिकाना तो एक है।
आ और भार में संधि रहने दें, फ़िर कोई भार महसूस नही होगा।

36solutions ने कहा…

मुझसे शव्‍दों के प्रवाह में ब्‍लागों में टिप्‍पणियॉं देते हुए आभार शव्‍द टाईप होते हैं, मैं अधिकतम टिप्‍पणियों में आभार शव्‍द का प्रयोग करता हूं. आपने इस पोस्‍ट के माध्‍यम से मेरे प्रवाह में लहरें उठा दी है, प्रयास करूंगा कि अब इस शव्‍द का इस्‍तेमाल न करूं (अभी कुछ क्षणों पूर्व ही आपके ताजा पोस्‍टों में कमेंट किया हूं उसमें मैंनें धन्‍यवाद लिखा है) धन्‍यवाद
शव्‍दों के महत्‍व को कभी भी नहीं नकारा जा इसका प्रभाव हर हाल में होता है.

चिंतन को दिशा देनें के लिए धन्‍यवाद.