विश्व स्वास्थ्य संगठन इस बीमारी को वैश्विक महामारी घोषित करने की और अग्रसर ।
जरूरी जानकारी के लिए देखें http://www.pandemicflu.gov/ । अगर आप को साँस से सम्बंधित कोई तकलीफ है तो यात्रा न करें .
गुरुवार, 30 अप्रैल 2009
रविवार, 26 अप्रैल 2009
बिनायक सेन को रिहा करो!
शनिवार, 25 अप्रैल 2009
तुमको मिर्ची लगी तो मैं क्या करूँ
राहुल गाँधी ने आज बंगाल में जो कहा उसे सुनकर kamnishthon को मिर्ची लग गई । यहाँ छपाई की भूल नही है ये खाते तो भारत का लेकिन बजाते कहीं और का हैं। चार साल तक सरकार के साथ रहते रहते इन्हे याद नही था कि राजीव गाँधी ने क्या कहा था - "कोल्कता एक मृत शहर है"। आज जैसे ही राहुल ने कहा कि बंगाल में तो उत्तर प्रदेश से भी कम विकास हुआ है तो इनके तोते उड़ गए । फिर ख्याल आया, बंगाल की अतिसंवेदी जनता के लिए उनकी डूबती नैया का खेवनहार मिल गया । अब ये जनता को ये संदेश देकर बर्गलायेंगे , और इसके सिवा उनको आता क्या है । जिंदगीभर यही तो किया है .
श्रीलंका में शान्ति की और बढ़ते कदम और विश्व
आज इस संगणक महाजाल की दुनिया में घूमते घूमते इंडियन एक्सप्रेस के संपादक के एक आलेख पर नजर पड़ी . वाकई लोग कितने भयावह हो सकते हैं . एक तालिबान ही नहीं एक ओसामा ही नहीं कितने बिखरे है दुनिया के कोने कोने में
http://epaper.indianexpress.com/IE/IEH/2009/04/25/ArticleHtmls/25_04_2009_012_003.shtml?Mode=१
और उधर अमेरिका की शह पर भारत ने सलाह दे डाली श्रीलंका को सयम बरतने की, क्यों जख्मो पे नमक छिड़क रहे हो पडोसी के . भूल गए राजीव गाँधी और अपनी सेना को ! और ये कांग्रेस सरकार कर रही है ? बदले में अमेरिका ने पीठ थपथपा दी , क्या यही हमारी अपनी सोच है या हम सोचते भी हैं किराये के विचारों से . राष्ट्रसंघ भी पीछे नहीं रहा बयानबाजी में क्योंकि कर तो कुछ नहीं सकता ,
http://epaper.indianexpress.com/IE/IEH/2009/04/25/ArticleHtmls/25_04_2009_012_003.shtml?Mode=१
और उधर अमेरिका की शह पर भारत ने सलाह दे डाली श्रीलंका को सयम बरतने की, क्यों जख्मो पे नमक छिड़क रहे हो पडोसी के . भूल गए राजीव गाँधी और अपनी सेना को ! और ये कांग्रेस सरकार कर रही है ? बदले में अमेरिका ने पीठ थपथपा दी , क्या यही हमारी अपनी सोच है या हम सोचते भी हैं किराये के विचारों से . राष्ट्रसंघ भी पीछे नहीं रहा बयानबाजी में क्योंकि कर तो कुछ नहीं सकता ,
टोपी में पंखा वाह भाई वाह
कल एक टीवी चैनल में दिखाया जा रहा था , मुंबई में एक पार्टी अपने समर्थकों को सोलर चालित टोपी बाँट रही है जिसमे गर्मी से बचाव के लिए पंखा लगा है । चलिए कहीं तो इन्हे लोगों का ख्याल आया । यही अगर पीने के पानी के बारे में सोच लें तो भगवान इनका भला करे । एक एफ एम् चैनल ने अभियान चलाया है चिडिया रानी को पिलाओ पानी , अच्छा प्रयास है । मनुष्यों एवं अन्य जीवों का भी ख़याल कर लें ।
शुक्रवार, 24 अप्रैल 2009
आतंरिक आतंकवाद और विदेशी समर्थन
इस देश के आतंरिक आतंकवाद को विदेशी समर्थन की राह में विख्यात मेडिकल पत्रिका
लांसेट का भी प्रवेश http://www।thelancet।com/journals/lancet/article/PIIS0140-6736(09)60663-2/fulltext
हम कब जागेंगे ?
लांसेट का भी प्रवेश http://www।thelancet।com/journals/lancet/article/PIIS0140-6736(09)60663-2/fulltext
हम कब जागेंगे ?
गुरुवार, 23 अप्रैल 2009
भारतीय रेल और छत्तीसगढ़
भारतीय रेल को सबसे ज्यादा धन जुटाने वाला दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे और उसमे भी आगे रायपुर डिविजन ।
लेकिन इससे होता क्या है । सारे इन्तेजाम तो दिल्ली से स्वीकार होते हैं । ४३ डिग्री तापमान में यहाँ वैसा ही गर्म पानी मिल रहा है या ठंडी लोकल बनी मिनेरल वाटर की बोतल खरीदो ।
सबसे बर्बाद सूचना व्यवस्था । अन्तिम समय में प्लेटफोर्म बदला जाना । divisional मुख्यालय होने पर भी करंट रिज़र्वेशन काउंटर की व्यवस्था नही । बाहर से आने वाले चौंक जाते हैं । हर बड़े स्टेशन में उच्च श्रेणी विश्राम कक्ष में एसी की व्यवस्था है यहाँ तो प्लेटफोर्म में पंखा नही चलता । देश का सबसे बदनाम स्टेशन टिकेट की दलाली के लिए । दलालों के लिए तो ऐसी व्यवस्था है कि आप चौंक जायेंगे । एक छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस यहाँ से गुजरती है , इस ट्रेन में एसी ३ टियर का सबसे ज्यादा कोटा एक छोटे से स्टेशन तिल्दा का है जहाँ २ मिनट गाड़ी रूकती है । ये कोटा बिलासपुर और रायपुर से ज्यादा है ? १० प्रस्ताव यहाँ से अगर जाते है तो रेलवे बोर्ड एक भी स्वीकार कर ले तो अहोभाग्य .
इतने बड़े स्टेशन में कार्ड से टिकेट लेने की भी व्यवस्था नही है ।
सुरक्षा का तो ये आलम है बाहर आते ही ऑटो और रिक्शेवाले टूट पड़ते हैं । और सामान की जिम्मेदारी तो आपकी ही होती है ।
सबसे ज्यादा माल का परिवहन यहाँ से होता है पूरे देश में और freight कॉरिडोर बनाया जा रहा है मुंबई-दिल्ली-कोल्कता के बीच, क्योंकि वो बिहार हो कर जाता है ? इस देश में सबसे ज्यादा ट्रेन चलती हैं बिहार से , अच्छा है जब कुछ काम नही तो लोगों को एक्सपोर्ट होने की सुविधा तो मिलनी चाहिए , लेकिन धन कमा कर देने वाला ये क्षेत्र छोटी छोटी जरूरतों के लिए मोहताज है ! हम ही हैं इसके लिए जिम्मेदार । शायद यहाँ से कोई एक बार रेल मंत्री बन जाए तो ही शायद उद्धार हो .
लेकिन इससे होता क्या है । सारे इन्तेजाम तो दिल्ली से स्वीकार होते हैं । ४३ डिग्री तापमान में यहाँ वैसा ही गर्म पानी मिल रहा है या ठंडी लोकल बनी मिनेरल वाटर की बोतल खरीदो ।
सबसे बर्बाद सूचना व्यवस्था । अन्तिम समय में प्लेटफोर्म बदला जाना । divisional मुख्यालय होने पर भी करंट रिज़र्वेशन काउंटर की व्यवस्था नही । बाहर से आने वाले चौंक जाते हैं । हर बड़े स्टेशन में उच्च श्रेणी विश्राम कक्ष में एसी की व्यवस्था है यहाँ तो प्लेटफोर्म में पंखा नही चलता । देश का सबसे बदनाम स्टेशन टिकेट की दलाली के लिए । दलालों के लिए तो ऐसी व्यवस्था है कि आप चौंक जायेंगे । एक छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस यहाँ से गुजरती है , इस ट्रेन में एसी ३ टियर का सबसे ज्यादा कोटा एक छोटे से स्टेशन तिल्दा का है जहाँ २ मिनट गाड़ी रूकती है । ये कोटा बिलासपुर और रायपुर से ज्यादा है ? १० प्रस्ताव यहाँ से अगर जाते है तो रेलवे बोर्ड एक भी स्वीकार कर ले तो अहोभाग्य .
इतने बड़े स्टेशन में कार्ड से टिकेट लेने की भी व्यवस्था नही है ।
सुरक्षा का तो ये आलम है बाहर आते ही ऑटो और रिक्शेवाले टूट पड़ते हैं । और सामान की जिम्मेदारी तो आपकी ही होती है ।
सबसे ज्यादा माल का परिवहन यहाँ से होता है पूरे देश में और freight कॉरिडोर बनाया जा रहा है मुंबई-दिल्ली-कोल्कता के बीच, क्योंकि वो बिहार हो कर जाता है ? इस देश में सबसे ज्यादा ट्रेन चलती हैं बिहार से , अच्छा है जब कुछ काम नही तो लोगों को एक्सपोर्ट होने की सुविधा तो मिलनी चाहिए , लेकिन धन कमा कर देने वाला ये क्षेत्र छोटी छोटी जरूरतों के लिए मोहताज है ! हम ही हैं इसके लिए जिम्मेदार । शायद यहाँ से कोई एक बार रेल मंत्री बन जाए तो ही शायद उद्धार हो .
विदेशों में जमा धन
अरे जरा रुकिए , ये क्या कह रहे हैं आप ? विदेशों में जमा धन वापस लायेंगे , क्यों ? फिर से उस भ्रष्ट व्यवस्था में डालने के लिए । कुछ तो अपने बुजुर्गों का लिहाज कीजिये , जो खून पसीने की कमाई उन्होंने इस देश के या अपने भविष्य के लिए जोड़ रखी है उसे तो छोड़ दीजिये , उन्होंने ही तो आपको सिखाया कैसे भ्रष्टाचार करना और अब आपकी नजर उस पर भी लग गई ! अच्छा कुछ पल के लिए मान भी लिया जाय की आपकी सोच अच्छी है और आप इस पैसे से इस देश में खुशहाली और तरक्की ले आएंगे , मगर आप ऐसा करंगे कैसे , कोई व्यवस्था है आपके पास ? अन्यथा फिर एक बार बाटने और बटवारे का चक्र चलेगा और जो जनता में एक आस पैदा हुई उसे भी बेमौत मरना पड़ेगा । विनम्र निवेदन है की जनता की आस न तोडें । अगर इतनी ही चिंता है तो स्विट्जरलैंड पर ही छोड़ दीजिये वो इस देश का विकास करे उस धन से .
बुधवार, 22 अप्रैल 2009
जयललिता ने साहसिक कदम उठाया
जयललिता ने DMK द्वारा राजनैतिक रूप से प्रायोजित बंद का विरोध करके साह्स का परिचय दिया है । काफी समय से तमिलनाडु के नेता वहां की जनता को भाषा और क्षेत्रीयता का जहर पिलाते रहे हैं । शायद पहली बार किसीने इसका विरोध किया है । अब जब श्रीलंका अपनी एक समस्या के समाधान के मुहाने पर पहुँच गया है तो लोग अपनी रोटी सेकने लगे हैं । इन लोगों ने तमिल लोगों का कितना नुकसान किया है, ये गरीब किससे कहेंगे ?
टीवी में कुछ बच निकल आए लोगों के चित्र देखे , ये चित्र अपने आप में उनकी अवस्था का चित्रण कर रहे हैं ।
और अब अमेरिका और मानवतावादी संगठन भी कूद पड़े हैं सलाह देने , कहां सो रहे थे ये इतने सालों तक । अन्तिम वक्त में तो यूरोपिय संगठन भी पीछे हट गया .
टीवी में कुछ बच निकल आए लोगों के चित्र देखे , ये चित्र अपने आप में उनकी अवस्था का चित्रण कर रहे हैं ।
और अब अमेरिका और मानवतावादी संगठन भी कूद पड़े हैं सलाह देने , कहां सो रहे थे ये इतने सालों तक । अन्तिम वक्त में तो यूरोपिय संगठन भी पीछे हट गया .
एक अपील
जो कुछ भी कुछ समय से राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मीडिया में नक्सलवाद और बिनायक सेन के बारे में ग़लत बयानबाजी हो रही है , उसका छत्तीसगढ़ के पत्रकार अपने संपर्कों को सही स्थिति बताकर ये दुष्प्रचार बंद करवाएं।
हद ही हो गई अरुंधती रॉय के नेशनल मीडिया को दिए बयान में "There is a civil war in this state" यानी छत्तीसगढ़ में अराजकता फैली हुई है ? शायद अरुंधती जी को यहाँ के पत्रकारों द्वारा पूछे प्रश्न भारी लगे । ये बयान मेधा जी ने प्रेस को भेजा है , मेधाजी ने मीडिया मैनेजमेंट का नया काम संभाल लिया है , बधाई हो।
हद ही हो गई अरुंधती रॉय के नेशनल मीडिया को दिए बयान में "There is a civil war in this state" यानी छत्तीसगढ़ में अराजकता फैली हुई है ? शायद अरुंधती जी को यहाँ के पत्रकारों द्वारा पूछे प्रश्न भारी लगे । ये बयान मेधा जी ने प्रेस को भेजा है , मेधाजी ने मीडिया मैनेजमेंट का नया काम संभाल लिया है , बधाई हो।
अमेरिका पाकिस्तान और हम
अमेरिका ने भारत से अनुरोध किया है कि वो पाकिस्तान की सहायता करे आतंकवाद की समाप्ति के लिए । सुनने में तो बड़ा अच्छा लगता है पर वास्तविकता क्या है ? क्या पाकिस्तान भी ऐसा चाहेगा ? २६/११ के बाद जैसे ही भारत ने अपनी सीमा पर सेना तैनात की, पाकिस्तान ने भी अपनी सेना अफगानिस्तान सीमा से हटाकर भारत की ओर लगा दी । इससे अमेरिका के तालिबान के खिलाफ अभियान में कमजोरी आयी । अमेरिका पाकिस्तान को पैसा तो देता है आतंकवाद को ख़त्म करने लेकिन पाकिस्तान इसका उपयोग करता है ISI के द्वारा भारत के खिलाफ आतंकवादी पैदा और भेजने के लिए । पाकिस्तान जिसने स्वात घाटी में तालिबान का शासन स्वीकार कर लिया वो क्या आतंकवाद से लडेगा, वो भी भारत से मिलकर ! वास्तव में जो मांग अमेरिका ने रखी है , वो ये है कि भारत अपनी सेना सीमा से हटा ले जिससे पाकिस्तान अपनी सेना अफगानिस्तान बॉर्डर पर ले जा सके । क्यों जिससे भारत अपने यहाँ आतंकवादी के घुसने का रास्ता खोल दे । अमेरिका पाकिस्तान को ये विश्वास क्यों नही दिला सकता कि भारत उसपर आक्रमण नही करेगा । पाकिस्तान ने भारत के द्वारा आक्रमण के खतरे को उठाकर अंतर्राष्ट्रीय सहानुभूति बटोरने की कोशिश की लेकिन जब भारत ने ऐसा नही किया तो उसके अभियान की हवा निकल गई । अब उसने एक नया पैतरा अमेरिका के द्वारा खेला है । पाकिस्तान आज अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जिन्दा है तो सिर्फ़ एक कारण से , सिर्फ़ और सिर्फ़ भारत का विरोध। पाकिस्तान अपना सारा दम भारत के खिलाफ दिखाता है अगर इतना ही दम है तो क्यों नही अपने यहाँ से आतंकवाद को उखाड़ फेंकता । अमेरिकी सेना को वो अपने यहाँ सीमान्त इलाकों में बम गिराने की इजाजत देता है । भारत को भी इजाजत देके तो देखे , आतंकवाद का सफाया हो जायेगा । लेकिन क्या इतनी हिम्मत और इच्छाशक्ति है उसमें ???
मंगलवार, 21 अप्रैल 2009
श्रीलंका आतंकवाद और हम
श्रीलंका की सेना बधाई की पात्र है की उसने बहुत सारे बंधकों को छुडा लिया और अपनी अन्तिम विजय की और अग्रसर है । हर देश को ये अधिकार है की वो अपनी संप्रभुता की रक्षा कर सके और शान्ति और व्यवस्था बनाये रख सके। सरकार का धर्म ही है की वो अपने नागरिकों की रक्षा कर सके ।
हमारे देश की सरकार कब जागेगी ? कब जब ये तथाकथित नक्सलवादी संसद की देहलीज तक पहुँच जायेंगे । कुछ दिन पहले थलसेना अध्यक्ष अपनी यात्रा बिना पूरी किए छत्तीसगढ़ से चले गए । एक अखबार में एक टी वी चैनल के संदर्भ से उनका बयान आया है कि नक्सलवाद सामाजिक आर्थिक समस्या है उसके लिए सेना की आवश्यकता नही है ! न जाने किसने जनरल की ब्रीफिंग की है ? चुनाव के पहले चरण में ही १७ सुरक्षा कर्मी शहीद हो गए हैं । छत्तीसगढ़ में नियुक्त BSF के अधिकारी का कुछ दिनों पहले ही बयान आया था कि ये समस्या पुलिस के बस की नहीं है । क्योंकि इससे लड़ने के लिए न उनके पास ट्रेनिंग है न ही हथियार । देश की सुरक्षा की चिंता करने वाले नेता कब जागेंगे और ये पता लगायेंगे कि इन्हे रसद पानी कहां से मिल रहा है जिससे इनके पास रॉकेट और ग्रेनेड लौंचेर जैसे हथियार पहुँच गए जो टीवी पर तालिबानी लिए घूमते हैं ?
हमारे देश की सरकार कब जागेगी ? कब जब ये तथाकथित नक्सलवादी संसद की देहलीज तक पहुँच जायेंगे । कुछ दिन पहले थलसेना अध्यक्ष अपनी यात्रा बिना पूरी किए छत्तीसगढ़ से चले गए । एक अखबार में एक टी वी चैनल के संदर्भ से उनका बयान आया है कि नक्सलवाद सामाजिक आर्थिक समस्या है उसके लिए सेना की आवश्यकता नही है ! न जाने किसने जनरल की ब्रीफिंग की है ? चुनाव के पहले चरण में ही १७ सुरक्षा कर्मी शहीद हो गए हैं । छत्तीसगढ़ में नियुक्त BSF के अधिकारी का कुछ दिनों पहले ही बयान आया था कि ये समस्या पुलिस के बस की नहीं है । क्योंकि इससे लड़ने के लिए न उनके पास ट्रेनिंग है न ही हथियार । देश की सुरक्षा की चिंता करने वाले नेता कब जागेंगे और ये पता लगायेंगे कि इन्हे रसद पानी कहां से मिल रहा है जिससे इनके पास रॉकेट और ग्रेनेड लौंचेर जैसे हथियार पहुँच गए जो टीवी पर तालिबानी लिए घूमते हैं ?
सोमवार, 20 अप्रैल 2009
इसरो और देश को बधाई
हमारे वैज्ञानिको ने फिर एक कमाल कर दिखाया इस बार एक सुरक्षा उपग्रह छोड़ कर। उम्मीद है इससे हमारी धरती पर चोरी छुपे घुसपैठ पर रोक लगेगी। पड़ोसी देशों के हालत देखकर ऐसा और भी जरूरी हो गया था ।
राहुल गाँधी और वाजपेयी जी
राहुल ने टिपण्णी की है कि वाजपेयी जी को अपने गृहमंत्री पर विश्वास नहीं था । राहुल से कोई पूछेगा अगर कांग्रेस की सरकार रहती तो कंधार मामले में क्या करती । चीन से युद्ध के समय बंदूकें न चलने के कारण जो सैनिक मारे गए और हमारी हार हुई उसका जवाबदार कौन है । पाकिस्तान ने कश्मीर का एक हिस्सा हड़प लिया १९४७-४८ में कौन जिम्मेदार। भाषा के आधार पर राज्यों का पुनर्गठन कर जो जहर बीज बोया गया , कौन जिम्मेदार।
मित्रता की मौत
मुंबई शहर में एक विदेशी छात्रा के साथ जो हुआ वो सिर्फ़ एक बलात्कार ही नही था , मित्रता के नाम पर एक मेहमान महिला के साथ अनाचार, हमारी संस्कृति पर एक काला धब्बा है । मित्रता एक ऐसा रिश्ता है जो सभी रिश्तों से अलग होता है इसमे भी धोखाधडी और अनाचार होने लगे तो लोगों का विश्वास किस पर रहेगा ।
शुक्रवार, 17 अप्रैल 2009
बर्बरता ने एक और मासूम की जान ले ली
एक शिक्षक के व्यवहार ने एक मासूम की जान ले ली । कौन जिम्मेदार है इसके लिए ? हमारी व्यवस्था जिसने शिक्षा और स्वास्थ्य को एक व्वयसाय में बदल दिया है । हमारी मानसिकता हमें कहाँ ले कर आ गई जहाँ हर चीज सिर्फ़ एक व्यावसायिक रूप में देखी जाती है , सिर्फ़ पैसे कमाने के लिए कोई भी कुछ भी बन सकता है , उसके लिए मानसिक रूप से तैयार हुए बिना । कोई aptitude test के बिना कोई भी कुछ भी बन सकता है , क्या यही सवैधानिक अधिकार है ?
हमारी व्यवस्था ने हमारे बौद्धिक धन का बहुत नुक्सान किया है उसके बारे में फिर कभी .
हमारी व्यवस्था ने हमारे बौद्धिक धन का बहुत नुक्सान किया है उसके बारे में फिर कभी .
आतंकवाद और राजनीति
आजकल राजनेताओं में बहस छिडी है कि आतंकवाद का मुकाबला हम ज्यादा अच्छे से कर सकते हैं । इनको अभी तक क्या किसी ने रोक रखा था ? इतने गंभीर विषय को एक चुनावी मुद्दा बनाना क्या उचित है ? आज ये आतंकवाद देश को अन्दर और बाहर दोनों ओर से विकराल रूप से घेरे हुआ खड़ा है और ये अपनी रोटी सेकने में लगे हैं ।
आतंरिक आतंकवाद को तो पहले ये सरकार नकारती रही , पूर्व गृहमंत्री का तो ये बयान था कि नक्सलवाद कोई समस्या नही है , वर्त्तमान गृहमंत्री ने न जाने किस आधार पर वाम दलों को clean chit दे दी कि इनका कोई सम्बन्ध इनसे नही है , तो फिर ये क्यों इनका अपरोक्ष समर्थन करते हैं ?
छत्तीसगढ़ में माओवाद के आगमन और विस्तार के लिए कौन जिम्मेदार है ? इतिहास में जाएँ तो सब पता चल जायेगा । नक्सलवाद के प्रणेता कनु सान्याल ने तो इसका हश्र देखकर ख़ुद इससे किनारा कर लिया ।
चुनाव से कुछ समय पूर्व एक ट्रक भरा असला पकडाया छत्तीसगढ़ में , ये किस बात कि तय्यारी थी ?
मतदान के पहले और दौरान खून बहता रहा शायद इसकी ख़बर दिल्ली तक नही पहुँचती ।
BSF के अधिकारी ने तो स्पष्ट कहा है कि इसे रोक पाना राज्य सरकारों की क्षमता के बाहर है ।
हमारी सरकारें पाकिस्तान को कहते रहती हैं कि वो अपने देश में आतंकवादियों को समाप्त करें , पहले आप अपने देश में तो ऐसा कर दिखाएं , किसका इन्तेजार कर रहे हैं कि कब पानी सर के ऊपर से गुजर जाए ।
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर की जेल में एक व्यक्ति विचारधीन कैदी के रूप में बंद है , देशद्रोह के आरोप में , कहा जाता है है के ये एक बहुत बड़े समाजसेवी चिकित्सक है , जिन्हें इस राज्य में शायद ही कोई चिकित्सक जानता है । इनके समर्थन में देश विदेश के लोग विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं । इससे इनकी पहुँच का अंदाजा हो सकता है । जिन्हें सुप्रीम कोर्ट ने भी जमानत देने से इंकार कर दिया उनके समर्थन में ख्याति प्राप्त लोग राज्य सरकार के खिलाफ खुला आन्दोलन चला रहे हैं । मुझे क्षमा करें किंतु या तो ये लोग किसी प्रभाव में ऐसा कर रहे हैं या इन्हे पता नही ये क्या कर रहे हैं।
मीडिया को भी कैसे दिग्भ्रमित किया जा सकता है इसका ये भी एक उदाहरण है । पूरे देश और विदेशों में नक्सली हिंसा के बारे में उतना नही छपता जितना इन्हे छुडाने के बारे में। कोई पूछे दो दर्जन नोबल पुरस्कार विजेता इन्हे कैसे जानते हैं ? जो अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार इन्हे दिया गया है , जिसे नोबल के बराबर बताया जा रहा है उसकी असलियत क्या है ? नामधारी मानवाधिकार संगठन इनको छुडाने के लिए आन्दोलन कर रहे हैं उनके लिंक क्या हैं . ये देश की आतंरिक सुरक्षा का विषय है ।
कुछ इन सज्जन के बारे में जो जानकारी मुझे मिली - इन्हों ने च्रिस्तियन मेडिकल कॉलेज वेल्लोर से अध्ययन किया है , ये वहाँ काफी नाम रखते हैं। वहाँ एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मलेन में जोकि एक चिकीत्सा से सम्बंधित सम्मलेन था में इनकी तारीफ़ के पुल बंधे जाते हैं और छत्तीसगढ़ सरकार को गरियाया जाता है ।
आतंरिक आतंकवाद को तो पहले ये सरकार नकारती रही , पूर्व गृहमंत्री का तो ये बयान था कि नक्सलवाद कोई समस्या नही है , वर्त्तमान गृहमंत्री ने न जाने किस आधार पर वाम दलों को clean chit दे दी कि इनका कोई सम्बन्ध इनसे नही है , तो फिर ये क्यों इनका अपरोक्ष समर्थन करते हैं ?
छत्तीसगढ़ में माओवाद के आगमन और विस्तार के लिए कौन जिम्मेदार है ? इतिहास में जाएँ तो सब पता चल जायेगा । नक्सलवाद के प्रणेता कनु सान्याल ने तो इसका हश्र देखकर ख़ुद इससे किनारा कर लिया ।
चुनाव से कुछ समय पूर्व एक ट्रक भरा असला पकडाया छत्तीसगढ़ में , ये किस बात कि तय्यारी थी ?
मतदान के पहले और दौरान खून बहता रहा शायद इसकी ख़बर दिल्ली तक नही पहुँचती ।
BSF के अधिकारी ने तो स्पष्ट कहा है कि इसे रोक पाना राज्य सरकारों की क्षमता के बाहर है ।
हमारी सरकारें पाकिस्तान को कहते रहती हैं कि वो अपने देश में आतंकवादियों को समाप्त करें , पहले आप अपने देश में तो ऐसा कर दिखाएं , किसका इन्तेजार कर रहे हैं कि कब पानी सर के ऊपर से गुजर जाए ।
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर की जेल में एक व्यक्ति विचारधीन कैदी के रूप में बंद है , देशद्रोह के आरोप में , कहा जाता है है के ये एक बहुत बड़े समाजसेवी चिकित्सक है , जिन्हें इस राज्य में शायद ही कोई चिकित्सक जानता है । इनके समर्थन में देश विदेश के लोग विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं । इससे इनकी पहुँच का अंदाजा हो सकता है । जिन्हें सुप्रीम कोर्ट ने भी जमानत देने से इंकार कर दिया उनके समर्थन में ख्याति प्राप्त लोग राज्य सरकार के खिलाफ खुला आन्दोलन चला रहे हैं । मुझे क्षमा करें किंतु या तो ये लोग किसी प्रभाव में ऐसा कर रहे हैं या इन्हे पता नही ये क्या कर रहे हैं।
मीडिया को भी कैसे दिग्भ्रमित किया जा सकता है इसका ये भी एक उदाहरण है । पूरे देश और विदेशों में नक्सली हिंसा के बारे में उतना नही छपता जितना इन्हे छुडाने के बारे में। कोई पूछे दो दर्जन नोबल पुरस्कार विजेता इन्हे कैसे जानते हैं ? जो अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार इन्हे दिया गया है , जिसे नोबल के बराबर बताया जा रहा है उसकी असलियत क्या है ? नामधारी मानवाधिकार संगठन इनको छुडाने के लिए आन्दोलन कर रहे हैं उनके लिंक क्या हैं . ये देश की आतंरिक सुरक्षा का विषय है ।
कुछ इन सज्जन के बारे में जो जानकारी मुझे मिली - इन्हों ने च्रिस्तियन मेडिकल कॉलेज वेल्लोर से अध्ययन किया है , ये वहाँ काफी नाम रखते हैं। वहाँ एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मलेन में जोकि एक चिकीत्सा से सम्बंधित सम्मलेन था में इनकी तारीफ़ के पुल बंधे जाते हैं और छत्तीसगढ़ सरकार को गरियाया जाता है ।
गुरुवार, 16 अप्रैल 2009
वरुण गाँधी - सूक्ष्म टिपण्णी
सुप्रीम कोर्ट ने वरुण गाँधी से हलफनामा माँगा है कि वे आगे से भड़काऊ भाषण नही देंगे ? क्या इसका मतलब ये स्वीकारोक्ति नही होगी कि उन्होंने पहले ऐसा किया है ?
बुधवार, 15 अप्रैल 2009
मेरी गुजरात यात्रा
कुछ समय के लिए मैं ब्लॉग की दुनिया से दूर था । मैं गुजरात राज्य की यात्रा पर था जो सामाजिक और धार्मिक दोनों थी । गुजरात आज जो भी मैंने देखा और सुना पर्याय बन गया है नरेन्द्र मोदी का , जिससे भी मैंने बात की वही मोदी fan दिखा । गुजरात राज्य का बड़ा हिस्सा पेयजल की समस्या से ग्रस्त है , उसके बावजूद जो विकास इस राज्य ने किया है काबिले तारीफ़ है , वहाँ आज सिर्फ़ एक नाम चलता है - नरेन्द्र मोदी , कोई पार्टी नही । काफ़ी समय के बाद इस देश में किसी व्यक्ति ने ये स्थान पाया है। जन मानस का प्रतिनिधि ।
लोगों ने मुझे काफ़ी हिदायतें दी कि बड़े मंदिरों में सावधान रहना पंडे जाल में फंसा कर लूट लेंगे । लेकिन जितना बतया गया उससे काफ़ी कम निकला । ज्यादातर पंडे शायाद समझ गए हैं कि प्रेम से ज्यादा प्राप्त किया जा सकता है बजाय दबाव के ।
गुजरात राज्य आजादी के बाद से ही एकमात्र राज्य है जहाँ शराबबंदी है । इसका मतलब ये नही है कि मिलती नही है । अगर आप थोडी रसूख रखते हैं तो उपलब्ध है , किंतु लेनी आपको छुप कर ही होगी , आप उधम मचाने कि तो सोच भी नही सकते । अगर आप कानून से डरने वाले हैं तो कोई बात नही हर छेत्र से लगा हुआ कोई पड़ोसी है जो जी ही पर्यटक से रहा है खासकर दियू , दमन, दादरा और नगर हवेली । इससे ये तो लगा कि यह प्रदेश महिलाओं के लिए सबसे सुरक्षित है , इसमे लेकिन गुजरात की महिलायों का भी योगदान है वे आम भारतीय नारी की तरह भीरु नही हैं , कंधे से कन्धा मिलाकर काम करती हैं .
लोगों ने मुझे काफ़ी हिदायतें दी कि बड़े मंदिरों में सावधान रहना पंडे जाल में फंसा कर लूट लेंगे । लेकिन जितना बतया गया उससे काफ़ी कम निकला । ज्यादातर पंडे शायाद समझ गए हैं कि प्रेम से ज्यादा प्राप्त किया जा सकता है बजाय दबाव के ।
गुजरात राज्य आजादी के बाद से ही एकमात्र राज्य है जहाँ शराबबंदी है । इसका मतलब ये नही है कि मिलती नही है । अगर आप थोडी रसूख रखते हैं तो उपलब्ध है , किंतु लेनी आपको छुप कर ही होगी , आप उधम मचाने कि तो सोच भी नही सकते । अगर आप कानून से डरने वाले हैं तो कोई बात नही हर छेत्र से लगा हुआ कोई पड़ोसी है जो जी ही पर्यटक से रहा है खासकर दियू , दमन, दादरा और नगर हवेली । इससे ये तो लगा कि यह प्रदेश महिलाओं के लिए सबसे सुरक्षित है , इसमे लेकिन गुजरात की महिलायों का भी योगदान है वे आम भारतीय नारी की तरह भीरु नही हैं , कंधे से कन्धा मिलाकर काम करती हैं .
रविवार, 5 अप्रैल 2009
नंबर प्लेट
क्या चीज है ये नंबर प्लेट । बड़े बड़े इसे अपने वाहन में लगाने से घबराते हैं :) या अगर लगा भी ली तो कुछ और पुछल्ला जरूर लगवाते हैं । कुछ अपना कला का ज्ञान इस पर ही दिखलाते हैं । क्या कारण है इसका कि लोग कानून तोड़ने से हिचकिचाते नही । क्या एक अदना सा सिपाही इतना खतरनाक होता है जिसके रोकने पर ये घबराते हैं । आज की कानून व्यवस्था की दशा में कितना उचित है इस कानून का उल्लंघन करना ? दिल्ली की पत्रकार और एक अन्य महिला की हत्या में शामिल हत्यारों की गाड़ी में तो पन्जाब पुलिस के स्टिकर और दिल्ली पुलिस के निशान लगे पाये गए हैं । क्या छोटे छोटे कानूनों का उल्लंघन उस व्यक्ति की मानसिकता को नही दर्शाता ।
हार्दिक धन्यवाद
अनिल भाई का धन्यवाद् . उनके और एक और छोटे भाई डॉक्टर अजय सक्सेना के प्रोत्साहन से मैं आज आपके सामने हूँ . साथ ही उन सब सुधि जनों का भी धन्यवाद् जिन्होंने अपना अमूल्य समय निकाल कर मेरे ब्लॉग की ओर झांका . आशा करता हूँ की हम सबका प्रयास एक अच्छी दिशा लेगा .
शनिवार, 4 अप्रैल 2009
राहुल गांधी का बयान की कांग्रेस गरीबो के साथ है
कोई शक नही इस बयान में । इस देश में गरीब और गरीबी को किसने बढाया ? जिसने ज्यादातर इस देश में शासन किया । किसने इस देश को धर्म, समाज , जाती और आरक्षण के भवंर में डाला । और हमेशा ये दावा करना की हम धर्म निरपेक्ष हैं, आपकी पार्टी या किसी भी पार्टी ने इस देश में क्या किया ये किसी से छुपा नही है।
आज बाबा साहेब आंबेडकर की आत्मा कितनी कराह रही होगी किसीको इसका अंदाजा है? उनमें इतनी दूरदृष्टि और क्षमता थी की उन्हों ने आरक्षण का विरोध किया था । उन्होंने सहमती इसी बात पर दी थी की यह समय के साथ हटा लिया जायेगा । किंतु जब गांधीजी की बात को नही माना गया तो कहाँ बेचारे डॉक्टर भीमराव !
सारी दुनिया चिल्लाती रही की आर्थिक आधार पर आरक्षण या सुविधा दो लेकिन सब सोते रहे । नेता तो चाहते ही हैं की जनता सिर्फ़ चुनाव के समय जागे अपना कमीशन ले और सो जाए , आख़िर राजा राजा होता है और प्रजा प्रजा होती है । अब कहीं से जाकर कांग्रेस को आर्थिक आधार पर आरक्षण देने की सुध आई है , देर आए दुरस्त आए ।
आज बाबा साहेब आंबेडकर की आत्मा कितनी कराह रही होगी किसीको इसका अंदाजा है? उनमें इतनी दूरदृष्टि और क्षमता थी की उन्हों ने आरक्षण का विरोध किया था । उन्होंने सहमती इसी बात पर दी थी की यह समय के साथ हटा लिया जायेगा । किंतु जब गांधीजी की बात को नही माना गया तो कहाँ बेचारे डॉक्टर भीमराव !
सारी दुनिया चिल्लाती रही की आर्थिक आधार पर आरक्षण या सुविधा दो लेकिन सब सोते रहे । नेता तो चाहते ही हैं की जनता सिर्फ़ चुनाव के समय जागे अपना कमीशन ले और सो जाए , आख़िर राजा राजा होता है और प्रजा प्रजा होती है । अब कहीं से जाकर कांग्रेस को आर्थिक आधार पर आरक्षण देने की सुध आई है , देर आए दुरस्त आए ।
शुक्रवार, 3 अप्रैल 2009
हंगामा है क्यों बरपा थोडी सी जो छू ली है
जरा इस चित्र को देख के बताइए की इसमे कोई आपतिजनक बात है ?
किंतु इस घटना को लेकर इंग्लैंड में बवाल हो गया है । क्योंकी महारानी के कंधे पर अमेरिकी प्रथम महिला का हाथ रखना प्रोटोकॉल का उल्लंघन हो गया । हमें पश्चिमी सभ्यता के बारे में अपना मिथक तोड़ लेना चाहिए की वहाँ सब गले मिलते हैं और चुम्बन लेते हैं । हमें सावधान होने की भी आवश्यकता है जो आजकल हमारी फिल्मों और सीरियल में सिखाया जा रहा है .
गुरुवार, 2 अप्रैल 2009
आचार संहिता
चुनाव आयोग प्रजातंत्र के पांचवे स्तम्भ के रूप में इस देश में स्थापित हो गया है । अच्छा है जितने स्तम्भ होंगे उतना आधार मजबूत होगा । पर प्रजातंत्र और प्रजा का क्या होगा ? संहिता लागू होते ही सारे सरकारी दफ्तरों में काम बंद , अघोषित छुट्टी , बहाना चुनाव कार्य में व्यस्त यानी भ्रस्टाचार प्रीमियम रेट पर ।
आम आदमी को तो इसका कहीं कोई प्रभाव नेताओं या पार्टियों पर नही दिखाई देता, हर मामले को निपटने के लिए कब तक सुप्रीम कोर्ट जाते रहेंगे, अगर ऐसा ही है तो सब कोर्ट बंद करके सिर्फ़ सुप्रीम कोर्ट चलाया जाए ।
नेता बड़े चालाक होते हैं उन्होंने ऎटम बम को सुर्री बम बना के रख दिया है , बेचारी जनता करे भी तो क्या करे, अब तो खुले मंच से धमकी चमकी भी हो रही है । जनता को समझ कर एक मजबूत सरकार बनानी होगी वरना पिछले दो सत्रों जैसा हाल होगा, बड़ी पार्टियाँ छोटी पार्टियों को तेल लगा रही होंगी और छोटी पार्टियाँ मक्खन खा रही होंगी । हम एक भाग्यवादी देश के निवासी हैं सो हमें अपना भाग्य अपने हाथों नही बिगाड़ना चाहिए
आम आदमी को तो इसका कहीं कोई प्रभाव नेताओं या पार्टियों पर नही दिखाई देता, हर मामले को निपटने के लिए कब तक सुप्रीम कोर्ट जाते रहेंगे, अगर ऐसा ही है तो सब कोर्ट बंद करके सिर्फ़ सुप्रीम कोर्ट चलाया जाए ।
नेता बड़े चालाक होते हैं उन्होंने ऎटम बम को सुर्री बम बना के रख दिया है , बेचारी जनता करे भी तो क्या करे, अब तो खुले मंच से धमकी चमकी भी हो रही है । जनता को समझ कर एक मजबूत सरकार बनानी होगी वरना पिछले दो सत्रों जैसा हाल होगा, बड़ी पार्टियाँ छोटी पार्टियों को तेल लगा रही होंगी और छोटी पार्टियाँ मक्खन खा रही होंगी । हम एक भाग्यवादी देश के निवासी हैं सो हमें अपना भाग्य अपने हाथों नही बिगाड़ना चाहिए
G 20
बीस देशों के नेता इकट्ठा होकर दुनिया की अर्थव्यवस्था पर विचार करते हैं । अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं को १ हजार लाख देने का वादा करते हैं । कौन किसकी अवस्था सुधार रहा है समझ नही आता ? ये संस्थान कहाँ खर्च करेंगे भगवान मालिक है । अमेरिका में मंदी में भी संस्थाओं के निदेशक अपनी झोली भरकर संस्थाओं को डुबा रहे थे !
बुधवार, 1 अप्रैल 2009
Terrorism
हमारे नेता पता नही कितने समय से पाकिस्तान के पीछे पड़े हैं की मुंबई हमले के अपराधियों को हमारे हवाले करो। मुझे ये samajh नही आता अगर पाकिस्तान ने उन्हें इनके हवाले कर भी दिया तो आप उनका करोगे क्या?
जो पहले से आपके पास हैं उनका तो आप कुछ नही कर पा रहे हो । उनकी सुरक्षा में आपकी सुरक्षा एजेन्सी की जान आफत में है। कई नेता तो खुले आम आपको चैलेन्ज कर चुके हैं की इन्हे सजा दी तो हाल बुरा होगा ?
पाकिस्तान का हाल तो जग जाहिर है , न निगलते बने न उगलते बने । जो बोया है वही तो काटोगे । बोया पेड़ babool का तो आम कहाँ से होय
जो पहले से आपके पास हैं उनका तो आप कुछ नही कर पा रहे हो । उनकी सुरक्षा में आपकी सुरक्षा एजेन्सी की जान आफत में है। कई नेता तो खुले आम आपको चैलेन्ज कर चुके हैं की इन्हे सजा दी तो हाल बुरा होगा ?
पाकिस्तान का हाल तो जग जाहिर है , न निगलते बने न उगलते बने । जो बोया है वही तो काटोगे । बोया पेड़ babool का तो आम कहाँ से होय
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